मोरपंख रखना भी कानूनन अपराध
अमरावती/दि.29– पहले के जमाने में राजा महाराजाओं के समय हिरण के सींग व बाघ में चमडे को घर पर लाकर रखा जाता था. जिसे एक तरह से प्रतिष्ठा की निशानी माना जाता था. लेकिन अब ऐसा करना काफी भारी पड सकता है. क्योंकि वन्य प्राणियों के सींग, चमडे व हड्डियों के साथ ही साधा मोरपंख ही घर पर लाकर रखना भारी पड सकता है. साथ ही यह मामला शिकार से संबंधित पाये जाने पर वन्यजीव अधिनियम अंतर्गत कारावास की कार्रवाई सहित दंडात्मक सजा भी हो सकती है.
* क्या है वन्यजीव अधिनियम?
वन्य प्राणियों की अवैध शिकार व तस्करी को रोकने हेतु केंद्र सरकार ने भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम तैयार किया है. जिसे बेहद कडाई के साथ अमल में भी लाया जा रहा है.
* कैसे पहचाने शिकार वाले मोर पीस?
मोर जब नित्य करता है, तो उसके शरीर पर रहने वाले मोरपंखों में से केवल दो से तीन फीसद पंख ही अपने आप झडकर नीचे गिरते है. जिनके नीचले हिस्से में काला धब्बा होता है. वहीं मोर का शिकार करने के बाद उसके शरीर से नोचे गये मोरपंखों को बीच से काटा जाता है. ऐसे में मोरपंख खरीदने से पहले वह प्राकृतिक तौर पर मोर के शरीर से झडा है अथवा नहीं इसकी पडताल कर लेनी चाहिए. इसके तहत यह देखा जाना चाहिए कि, मोरपंख विक्रेता के पास मोरपंख के स्थलांतरण व विक्री का लाईसेंस है अथवा नहीं. अन्यथा कानूनी कार्रवाई का सामना कर सकता है.
* 35 मामले हुए दर्ज
विगत 5 माह के दौरान जिले में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम अंतर्गत 35 मामले दर्ज हुए है. जिनमें हिरण का शिकार करने और शिकार के बाद मांस का प्रयोग करने जैसे मामलों का समावेश है.
* वन्य प्राणियों की चमडी, सींग, हड्डी, नाखून व मांस को अपने पास रखने और यह शिकार से संबंधित मामला रहने की बात सामने आने पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज हो सकता है.
– वर्षा हरणे,
वन परिक्षेत्र अधिकारी