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हिंदू संस्कृति की रक्षा हेतु बनायेंगे केसरी सेना

संत समागम में जगतगुरू राराजेश्वराचार्य का प्रतिपादन

अमरावती/दि.8- सनातन आस्था पर स्थापित हिंदू संस्कृति अपने आप में बेहद महान है, जो शाश्वत एवं सुसंस्कृत रहने के साथ ही भारत देश की अंतरआत्मा भी है, लेकिन विगत लंबे समय से हिंदू संस्कृति पर जानबूझकर सांस्कृतिक आघात किये जा रहे है, ताकि देश की अंतरआत्मा को मारते हुए देश को खंडित किया जा सके. ऐसे में देश को एकजूट रखने के लिए हिंदू संस्कृति को बचाये रखना बेहद जरूरी है और इस कार्य हेतु अब संत समुदाय द्वारा केसरी सेना का गठन किया जा रहा है. जो नई पीढी को शिक्षा के साथ ही धर्म का ज्ञान देने का कार्य भी करेगी. इस आशय का प्रतिपादन श्री रूख्मिणी विदर्भ पीठ के पीधाधिश्वर जगतगुरू रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामराजेश्वराचार्य जी महाराज (माउली सरकार) द्वारा किया गया.
बता दें कि, स्वामी श्री रामराजेश्वराचार्य महाराज की प्रेरणा से भातकुली डीपी रोड पर व्यास लेआउट के निकट श्री चिंतामणी नगर में श्री चिंतामणी विनायक गणेश मंदिर के प्रस्तावित निर्माण स्थल पर विगत 21 अगस्त से श्री चिंतामणी विनायक गणेश महायज्ञ का आयोजन चल रहा है. जिसके तहत कल बुधवार 7 सितंबर को इस महायज्ञ में संत सम्मेलन व संत दर्शन समारोह का आयोजन किया गया. जिसमें जगतगुरू स्वामी श्री रामराजेश्वराचार्य महाराज के साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों से आये 12 तपस्वी संत-महंतों ने हिस्सा लिया. जिन्हें नेहरू मैदान से निकाली गई भव्य शोभायात्रा के जरिये आयोजन स्थल पर गाजे-बाजे के साथ लाया गया. जिनके दर्शन हेतु अमरावती शहर व जिले सहित आसपास के क्षेत्रों से भाविक श्रध्दालु बडी संख्या में उपस्थित हुए थे. जिन्हें अपने आशिर्वचन प्रदान करने के साथ ही जगतगुरू स्वामी श्री रामराजेश्वराचार्य द्वारा उपरोक्त प्रतिपादन किया गया. इस समय उन्होंने मातृशक्ति की महत्ता को प्रतिपादित करते हुए कहा कि, भगवान को भी अवतार के रूप में इस धरती पर अवतरित होने के लिए जननी के रूप में मातृशक्ति की जरूरत पडती है. अत: हमने विश्व का सृजन करनेवाली मातृशक्ति का सम्मान करना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने केसरी सेना की संकल्पना को विस्तार के साथ विषद करते हुए सभी हिंदू समाज बंधुओं से जाति व संप्रदाय का भेद भुलाकर केसरी सेना में शामिल होने का आवाहन भी किया.
इस संत सम्मेलन में तपोवन (मलाड, मुंबई) के श्री टिलाद्वारा गाद्याचार्य मंगल पीठाधिश्वर यज्ञ सम्राट श्री श्री 1008, श्री माधवाचार्यजी महाराज, अखिल भारतीय संत समिती के प्रमुख निर्देशक श्री श्री 1008 निर्मल पीठाधिश्वर श्री महंत ज्ञानदेव सिंहजी महाराज (निर्मल अखाडा, हरिद्वार), अखाडा परिषद के अध्यक्ष श्री महेंद्र रविंद्र पुरी जी महाराज (हरिद्वार), अ. भा. संत समिती के केंद्रीय मंत्री महामंडलेश्वर ईश्वरदासजी महाराज (ऋषिकेश, हरिद्वार), पाटोदी (हरवाना, गुरूग्राम) के महामंडलेश्वर आचार्य श्री धर्मदेवजी महाराज, अ. भा. संत समिती के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष महामंडलेश्वर श्री जनार्दन हरी जी महाराज (फैजपुर, महाराष्ट्र), अखाडा परिषद के उपाध्यक्ष श्री महंत रामकिशोरदास जी महाराज (दिगंबर अखाडा, नासिक), अखाडा परिषद के महामंत्री श्री महंत राजेंद्रदास जी महाराज (अहमदाबाद), अ. भा. संत समिती के महामंत्री श्री महंत गौरीशंकरदास जी महाराज (हनुमानगढी, अयोध्या), अ. भा. संत समिती के संयुक्त राष्ट्रीय महामंत्री महामंडलेश्वर श्री राधे-राधे बाबा (इंदौर, मध्य प्रदेश), नरसिंह मंदिर (गीताधाम) के श्री महंत डॉ. नरसिंहदासजी महाराज (जबलपुर), अ. भा. संत समिती के राष्ट्रीय सह प्रवक्ता श्री. महंत बालकदास जी महाराज (वाराणसी), अ. भा. संत समिती के महामंत्री श्री महंत हनुमानदास जी महाराज (मध्य प्रदेश), अ. भा. संत समिती के महामंत्री श्री महंत अरूणदास जी महाराज (जगन्नाथ धाम, उत्तराखंड), श्रीनाथ पीठाधिश्वर आचार्य स्वामी श्री जीतेंद्रनाथ महाराज (श्री देवनाथ मठ, श्री क्षेत्र सुर्जी-अंजनगांव) तथा अ. भा. संत समिती के प्रवक्ता व कार्यालय प्रभारी श्री महंत स्वामी अनिल आनंद जी महाराज (भोपाल) मंच पर विराजीत थे. साथ ही इस समय प्रमुख अतिथियों के रूप में सांसद नवनीत राणा, विधायक रवि राणा, पूर्व पालकमंत्री यशोमति ठाकुर व जगदीश गुप्ता, यशोमति ठाकुर की माताजी पुष्पमालाताई ठाकुर, पूर्व महापौर विलास इंगोले, कांग्रेस की महिला शहराध्यक्ष अंजली ठाकरे आदि मंच पर उपस्थित थे. इस समय सभी संत-महात्माओं ने उपस्थितों को अपने आशिर्वचन प्रदान करने के साथ ही अपने धर्म व संस्कृति के प्रति जागरूक एवं कृतसंकल्पित रहने का आवाहन किया. वही प्रमुख अतिथियों ने संतजनों का आशिर्वाद प्राप्त करते हुए अपने समयोचित विचार व्यक्त किये.
इस अवसर पर श्री चिंतामणी विनायक गणेश महायज्ञ के विशालकाय पंडाल में आयोजन के मुख्य यजमान किशोर गोयनका व कार्याध्यक्ष विजय झटाले सहित प्रवीण सिकची, विजय खंडेलवाल (भाईजी), नितीन चांडक, आनंद पारा, नितीन कदम, निखिल देशमुख, अप्पासाहेब देशमुख, मुकेश पवार, संतोष जवारकर, संतोष परांजपे, समीर पाटील, सिद्धनाथ कश्यप, उमेश जव्हेरी, पायल बारब्दे, अरुण बारब्दे, विजय हाते, भूषण देशमुख, पिंटू अवघड़, शुभांगी हाते, सुरशराव देशमुख, अनूप सिकची के साथ ही शहर के अनेकोें धर्मशील नागरिक एवं धार्मिक संगठनोें के पदाधिकारी उपस्थित थे.

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