अमरावती

पुलिस अधिकारियों का खाकी कोट हुआ इतिहास जमा

अब ‘ट्युनिक यूनिफॉर्म’ का नहीं होगा प्रयोग

  • डीजीपी संजय पांडे ने जारी किया आदेश

  • भौगोलिक स्थिति के मद्देनजर लिया गया फैसला

अमरावती/दि.9 – महाराष्ट्र की भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए पुलिस अधिकारियों के लिए ‘ट्युनिक’ यूनिफॉर्म का प्रयोग करना दिक्कतभरा और आर्थिक रूप से खर्चिला रहने का अभिप्राय घटक प्रमुखों से प्राप्त हुआ था. जिसके मद्देनजर महाराष्ट्र पुलिस दल के प्रमुख पुलिस महासंचालक संजय पांडे ने विगत 2 फरवरी को एक नया आदेश जारी किया है. जिसके अनुसार पुलिस उपनिरीक्षक से पुलिस उपअधीक्षक स्तर के अधिकारियों के लिए ट्युनिक यूनिफॉर्म को पहनना अनिवार्य नहीं रहेगा. यानी एक तरह से ट्युनिक यूनिफॉमर्र् को बंद ही कर दिया गया है.
डीजीपी संजय पांडे ने इसे लेकर जारी आदेश में कहा है कि, नियम 211 से 213 के तहत पुलिस उपनिरीक्षक से पुलिस उपअधीक्षक स्तर के अधिकारियों हेतु ट्युनिक यूनिफॉर्म को बंद कर दिया गया है. साथ ही यह भी कहा गया है कि, राज्य पुलिस दल के पुलिस अधिकारियों ने किसी भी समारोह, परेड व ध्वजवंदन के समय रोजाना पहनी जानेवाली वर्किंग यूनिफॉर्म पर क्रॉस बेल्ट व तलवार धारण करनी चाहिए.

क्या है ट्युनिक युनिफॉर्म

किसी भी विशेष अवसर पर पुलिस उपअधीक्षक से पुलिस उपनिरीक्षक स्तर के अधिकारियों के लिए ट्युनिक यूनिफॉमर्र् धारण करना अनिवार्य था. इस यूनिफॉमर्र् में खाकी रंग की पूरी बाहवाले ब्लेझर, उसके भीतर पूरी बाह वाले खाकी शर्ट, गले में टाई या स्कार्फ तथा ब्लू कैप का समावेश रहा करता था.

असुविधाजनक था प्रयोग

खाकी रंग के पूरी बांहवाले ब्लेजर और उसके भीतर पूरी बांहवाले खाकी शर्ट के साथ ही गले में टाई पहनकर पूरे कार्यक्रम में उपस्थित रहना और इधर से उधर घुमना पुलिस अधिकारियों के लिए कभी-कभी बेहद कष्टकारी भी हुआ करता था. इस ट्युनिक यूनिफॉर्म की वजह से उमस एवं गरमीवाले दिनों में काफी शारीरिक व मानसिक तकलीफे भी हुआ करती थी. जिससे अब पुलिस अधिकारियों को छुट्टी मिल गई है.

भत्ते की तुलना में ट्युनिक पर खर्च अधिक

पुलिस अधिकारियों को सरकार की ओर से गणवेश भत्ता दिया जाता है. किंतु एक ट्युनिक यूनिफॉर्म पर करीब 10 हजार रूपये का खर्च आता है. जिसकी तुलना में मिलनेवाला भत्ता बेहद कम होता है. इसके साथ ही ट्युनिक यूनिफॉर्म ड्यूटी से संबंधित दैनंदिन कामों में काम भी नहीं आता. ऐसे में भत्ते के अलावा खर्च करते हुए टयुनिक यूनिफॉर्म को सालभर यूं ही संभालकर रखना पडता है.

इन मौकोें पर होता था ट्युनिक का प्रयोग

पुलिस विभाग द्वारा आयोजीत किये जानेवाले समारोह, परेड, ध्वजवंदन तथा क्रीडा स्पर्धा जैसे मौकों पर भारी-भरकम ट्युनिक यूनिफॉर्म को पहनना इससे पहले अनिवार्य किया गया था. जिसे लेकर आदेश और नियम भी जारी किये गये थे. किंतु अब इस गणवेश को चलन से बाहर कर दिया गया है.

क्या कहते हैं रिटायर्ड पुलिस अधिकारी

ट्युनिक यूनिफॉर्म एक तरह से पुलिस फोर्स की शान थी. जिसे अमूमन दिसंबर व जनवरी जैसे ठंडी के महिनों में ही पहना जाता था. इस यूनिफॉर्म के जरिये पुलिस की एक अलग पहचान दिखती थी. साथ ही इसमें नाविन्यता व विविधता भी झलकती थी.
– दिलीप चव्हाण,
रिटायर्ड पुलिस निरीक्षक

पुलिस संचालक का निर्णय स्वागतयोग्य है. क्योेंकि विभिन्न स्तरों पर इसे लेकर मांग की गई थी. भौगोलिक स्थिति के चलते ट्युनिक को बंद किये जाने की जानकारी मिली, लेकिन यह यूनिफॉर्म हम पुलिस अधिकारियों की शान हुआ करती थी.
– किशोर सूर्यवंशी,
रिटायर्ड एसीपी

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