अमरावती

अतिवृष्टि से जिले के चार लाख हेक्टेअर क्षेत्र में खरीफ फसलें बर्बाद

कपास व सोयाबीन की बुआई का समय भी हुआ खत्म

* अब रबी सीजन की फसलों का बुआई क्षेत्र बढ़ेगा
* पूरा जिला है गीले अकाल के साये में, भारी नुकसान
* बारिश की वजह से किसानों के हरेभरे सपने हुए चकनाचूर
अमरावती/दि.3– विगत जुलाई माह के दौरान लगातार होती मूसलाधार बारिश की वजह से अमरावती जिले में करीब चार लाख हेक्टेअर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बर्बादी हुई है और कई स्थानोें पर दोबारा बुआई करने की नौबत पैदा हो गई है. हालांकि कई स्थानों पर बाढ़ व बारिश की वजह से खेतों में दलदल व कीचड़ की स्थिति अब भी बनी हुई है. जिसकी वजह से इन खेतों में फिलहाल बुआई नहीं हो सकी. वहीं इस दौरान कपास व सोयाबीन जैसी खरीफ फसलों की बुआई का वक्त भी लगभग खत्म हो गया है. ऐसे में इस खेतों में अब सीधे रबी फसलों की बुआई करने हेतु तैयारी की जाएगी. जिसके चलते इस बार रबी फसलों का बुआई क्षेत्र बढ़ेगा.
बता दें कि जुलाई माह के दौरान अमरावती जिले में 388 मिमी औसत पानी बरसा जो अपेक्षित बारिश की तुलना में 188 फीसद रहा. यानि समूचे जिले में हर ओर अतिवृष्टि वाली स्थिति रही. जिसकी वजह से जिले के सभी नदी-नालों में बाढ़ आ गई और रही सही कसर बांधों से छोड़े जाने वाले पानी ने पूरी कर दी. ऐसे में जहां बारिश के चलते हर ओर पहले ही जल जमाव वाली स्थिति थी, वहीं दूसरी ओर बाढ़ का पानी भी रिहायशी इलाकों के साथ-साथ खेत परिसरों में जा घुसा. इस दौरान नदी-नालों के किनारे रहने वाले खेतों की उपजाऊ मिट्टी भी बाढ़ के पानी में बह गई. जिसकी वजह से हजारों हेक्टेअर कृषि क्षेत्र में खेती किसानी बर्बाद हुई. जिसके बाद प्रशासन द्वारा बाढ़ व बारिश की वजह से हुए नुकसान का पंचनामा करने हेतु सर्वेक्षण करने की शुरुआत की गई. जिसमें पता चला है कि अमरावती जिले में करीब 4 लाख हेक्टेअर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बर्बादी हुई है. जिसमें से 1 लाख 32 हजार 264 हेक्टेअर क्षेत्र में बाढ़ व बारिश की वजह से सर्वाधिक नुकसान हुआ. ऐसे में कहा जा सकता है कि इस बार पूरा अमरावती जिला गीले अकाल के साये में रहा.
बता दें कि जून माह में बारिश की अपेक्षित शुरुआत नहीं होेने के चलते जिले में करीब 4 लाख हेक्टेअर क्षेत्र में बुआई रुकी हुई थी. जो 4 जुलाई के बाद बारिश का दौर शुरु होने के बाद प्रारंभ हुई. लेकिन इसके बाद जिले में लगातार मूसलाधार बारिश का दौर शुरु हुआ और 18 व 19 जुलाई को एक तरह से अतिवृष्टि वाले हालात बने. ऐसे में हर ओर जलजमाव वाली स्थिति बन गई तथा नदी-नालों के साथ-साथ सभी बांध भी ओवरफ्लो हो गए. जिसकी वजह से खेती-किसानी का जमकर नुकसान हुआ. इसके अलावा बाढ़ व बारिश की वजह से आम जनजीवन भी लंबे समय तक बुरी तरह से अस्त व्यस्त रहा. वहीं अब 24 जुलाई के बाद बारिश पूरी तरह से रुक गई है, लेकिन कई खेतों में अब भी दलदल और कीचड़ की स्थिति बनी हुई है. जिसके चलते वहां पर दोबारा बुआई करने इस समय संभव नहीं. ऐसे में इन खेतों को खरीफ सीजन में खाली ही छोड़ दिया जाएगा. यहां पर सितंबर माह के बाद ही रबी फसलों की बुआई को लेकर तैयारी की जाएगी.
सितंबर के बाद होगी हरभरे की बुआई
खरीफ सीजन की मुख्य फसलों की बुआई का समय अब खत्म होने में है और पर्यायी फसल रहने वाली बाजरा, सूर्यफूल, करडी व तुअर जैसी फसलों की ओर किसानों का कोई रुझान नहीं है. ऐसे में अब सितंबर माह से रबी फसलों की बुआई का सीजन शुरु होगा. जिसके तहत प्रमुख रुप से हरभरे की फसल पर किसानों द्वारा विशेष तौर पर ध्यान दिया जाएगा.
संतरे व फल बागानों का भी अतिवृष्टि से नुकसान
खरीफ फसलों के साथ-साथ मूसलाधार बारिश की वजह से संतरे सहित फल बागानों का भी काफी नुकसान हुआ है. जहां लगातार होती बारिश की वजह से संतरों की फसल मार खाकर गल गई, वहीं अब अतिवृष्टि के बाद संतरे पर कई तरह के रोगों का प्रभाव भी देखा जा रहा है. जिसके चलते किसानों के साथ-साथ फल उत्पादकों के माथे पर भी चिंता की लकीरें देखी जा रही है और सभी किसानों द्वारा सरकार से जल्द से जल्द नुकसान का मुआवजा दिए जाने की मांग की जा रही है.

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