अमरावती

इस वर्ष 7.28 लाख हेक्टेयर में होगी खरीफ की बुआई

सर्वाधिक 2.7 लाख हेक्टेयर में बोया जायेगा सोयाबीन

  • आज से शुरू हो रहा मृग नक्षत्र, 15 जून तक बुआई करने से मनाई

अमरावती/दि.7 – गत वर्ष जून माह में बुआई योग्य बारिश नहीं होने की वजह से दुबारा बुआई करने की नौबत आन पडी थी. ऐसे में इस वर्ष ऐसा कोई संकट उत्पन्न न हो, इस हेतु मृग नक्षत्र का प्रारंभ होने के बावजूद आगामी 15 जून तक बुआई न की जाये, ऐसी सलाह कृषि विभाग द्वारा दी गई है. बता दें कि, इस बार अमरावती जिले में 7.28 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुआई होनी है. जिसमें से सर्वाधिक 2.70 लाख यानी 37 फीसदी क्षेत्र में सोयाबीन की बुआई होगी. ऐसे में इस समय खरीफ फसलों की बुआई हेतु जिले में बडे पैमाने पर खाद और बीजों की खरीददारी चल रही है. साथ ही प्रतिवर्ष नकद फसल कही जाती सोयाबीन का बुआई क्षेत्र भी बढ रहा है.
उल्लेखनीय है कि, वापसी की बारिश के समय ऐन फसलों की कटाई के वक्त किसानों का काफी नुकसान होता है. ऐसे में सोयाबीन के साथ ही आंतर फसले काफी महत्वपूर्ण साबित होते है. इसके अलावा 2.52 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की बुआई होना प्रस्तावित है और यदि शुरूआत में बारिश कम होती है, तो कपास के बुआई क्षेत्र में वृध्दि होने की संभावना है. इसके अलावा अमरावती जिले में बडे पैमाने पर तुअर की फसल भी उगाई जाती है और आंतर फसल के रूप में तुअर को सर्वाधिक पसंद किया जाता है. इस बार 1.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में तुअर की बुआई होना प्रस्तावित है. जिसमें कुछ प्रमाण में वृध्दि होने की भी संभावना है. इसके अलावा 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मूंग तथा 10 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में उडद की बुआई प्रस्तावित है. हालांकि 60 दिन में तैयार होनेवाली यह फसल विगत पांच वर्ष के दौरान किसानों के हाथ नहीं आयी, क्योेंकि ऐन फसलों के तैयार होने के समय बारिश होने की वजह से फसलें हाथ से चली गयी. किंतु इस वर्ष मौसम विभाग ने बारिश की स्थिति समाधानकारक रहने की जानकारी दी है. जिसकी वजह से किसान काफी हद तक आश्वस्त है. वहीं इस वर्ष 22 हजार हेक्टेयर में ज्वार, 4 हजार हेक्टेयर में धान, 15 हजार हेक्टेयर में मक्का व 6 हजार हेक्टेयर में अन्य फसलों की बुआई की जायेगी.
लंबे समय से चले आ रहे लॉकडाउन में सोमवार से सरकार द्वारा काफी हद तक शिथिलता दिये जाने से अब बाजार में खाद और बीज खरीदने के लिए किसानों की भीडभाड बढ गयी है. साथ ही खेत मजदूरों के हाथों को काम मिलने से चारों ओर उत्साही वातावरण है. कृषि विभाग के मुताबिक बुआई से पहले बीजों की उपज शक्ति की जांच और बीज प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण होती है.

महाबीज के बीजों की किल्लत

इस बार महाबीज द्वारा सोयाबीन के 15 हजार 380 क्विंटल बीजों की आपूर्ति की जानेवाली है. जबकि जिले में 1.30 लाख क्विंटल बीजों की मांग है. महाबीज के बीजों की दर 75 रूपये प्रति किलो है. वहीं निजी कंपनियों के बीज 100 से 120 रूपये प्रति किलो की दर पर मिल रहे है. ऐसे में कृषि सेवा केंद्रों में इस समय महाबीज के बीजों हेतु लंबी-लंबी कतारें देखी जा रही है. लेकिन इसके बावजूद महाबीज के बीज नहीं मिलने की वजह से किसानों को काफी समस्याओें का सामना करना पड रहा है.

बीटी के 12.57 लाख पैकेटों की जरूरत

इस वर्ष खरीफ सीझन में बीटी बीजों के 12 लाख 57 हजार 710 पैकेटों की आवश्यकता है. इसके अलावा सोयाबीन के 15 हजार 380 क्विंटल, संकरित ज्वार के 2 हजार 200 क्विंटल, बाजरी के 40 क्विंटल, मक्का के 2 हजार 400 क्विंटल, तुअर के 5 हजार 460 क्विंटल, मूंग के 960 क्विंटल, उडद के 840 क्विंटल, मूंगफल्ली के 450 क्विंटल, सूर्यफुल के 5 क्विंटल बीजों की जरूरत पडेगी. ऐसी जानकारी कृषि विभाग द्वारा दी गई है.

कृषि विभाग ने दी खास सलाह

जमीन में 7 इंच की गहरायी तक गिलापन अथवा 100 मिमी बारिश होने तक बुआई न की जाये, क्योेंकि बीज काफी महंगे है और दुबारा बुआई का खर्च करना वाजिब नहीं होगा. ऐसे में किसानों ने 15 से 17 जून के बाद ही बारिश की स्थिति को देखकर बुआई करनी चाहिए. साथ ही बुआई करने से पहले बीजों की उपज क्षमता को जांचते हुए बीज प्रक्रिया करनी चाहिए. इस जानकारी के साथ ही जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी विजय चवाले ने बताया कि, इस वर्ष तिल्ली, तुअर, ज्वार जैसी फसले काफी फायदेमंद हो सकती है.

उत्पादन खर्च बढा, गारंटी मूल्य कब?

इस वर्ष के खरीफ सीझन में खाद और बीजों के दामों में अच्छीखासी वृध्दी हुई है. साथ ही अब ज्यादा तर खेती-किसानी और बुआई के काम ट्रैक्टरों के जरिये किये जाते है. जिसमें डीजल की जरूरत पडती है. किंतु इस वर्ष डीजल में अच्छीखासी दरवृध्दि हो चुकी है. ऐसे में खेती-किसानी में लागत मूल्य व उत्पादन खर्च काफी अधिक बढ गये है. जिसके चलते न्यूनतम गारंटी मूल्य में भी वृध्दी होना आवश्यक है. किंतु सरकार द्वारा अब तक इस संदर्भ में कोई घोषणा नहीं की गई है. जिसकी वजह से किसानों में काफी चिंता देखी जा रही है.

तहसीलनिहाय बीजों की जरूरत

अमरावती तहसील में 1 लाख 69 हजार 920 क्विंटल, भातकुली में 13 हजार 228 क्विंटल, चांदूर रेल्वे में 13 हजार 312 क्विंटल, तिवसा में 11 हजार 26 क्विंटल, धामणगांव रेल्वे में 10 हजार 200 क्विंटल, मोर्शी में 11 हजार 387 क्विंटल, वरूड में 1 हजार 849 क्विंटल, अंजनगांव सूर्जी में 12 हजार 107 क्विंटल, अचलपुर में 7 हजार 400 क्विंटल, दर्यापुर में 6 हजार 633 क्विंटल, चांदूर बाजार में 8 हजार 39 क्विंटल, धारणी में 6 हजार 335 क्विंटल, चिखलदरा में 6 हजार 442 क्विंटल ऐसे कुल 1 लाख 10 हजार 505 क्विंटल बीजों की जरूरत पडनेवाली है.

  • तहसीलनिहाय बुआई क्षेत्र (हेक्टेयर में)
    (नकाशा लगाना है)
  • 7,28,112 हेक्टेयर क्षेत्र में इस वर्ष बुआई प्रस्तावित

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