जामली/दि.3– चिखलदरा तहसील के खटकाली गांव की एक ढाई वर्षीय बच्ची को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के वैद्यकीय अधिकारी व खोज के संस्थापक अध्यक्ष बंड्या साने की समयसूचकता से व समुपदेशन के पश्चात आखिरकार परिजनों ने अस्पताल जाने की तैयारी दर्शायी.
मेलघाट को लगा कुपोषण का कलंक प्रशासन के लाख प्रयासों के बाद भी मिटने का नाम नहीं ले रहा है. आज भी कई बालक कुपोषण से पीड़ित है. उनके सामने प्रशासन भी हतबल हो गया है. ऐसा ही प्रकार चिखलदरा तहसील के खटकाली गांव में दिखाई दिया. यहां की ढाई वर्षीय बालिका का वजन पांच किलो है. यह बच्ची कुछ महीने पहले अच्छी स्थिति में थी. गांव में काम उपलब्ध न होने से परिजन अकोला जिले के चोहट्टा बाजार की ईंटभट्टी पर गए. रोजी रोटी कमाने के चक्कर में बच्ची की तबियत की ओर दुर्लक्ष किया गया. जिसके चलते बच्ची की तबियत बिगड़ती गई. उस पर भूमका के यहां उपचार किया गया. भूमका ने मां को सवा महीना उपवास करने कहा. जिससे मां व बच्ची की तबियत और भी बिगड़ गई. आखिरकार इस घटना की जानकारी गांव की नर्स, अंगणवाड़ी सेविका व आशा ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के वैद्यकीय अधिकारी व खोज के बंड्या साने को दी. जिस पर उन्होंने उस बच्ची के परिजनों को समझाकर आखिरकार अमरावती के अस्पताल में दाखिल करवाया.
मेलघाट में शिक्षा का अभाव होकर डॉक्टरों की सलाह की बजाय भूमका का इलाज करना उचित समझा जाता है. इस बच्ची का वजन तीन महीने पहले अच्छा था. तबीयत भी सुदृढ़ थी. मात्र माता-पिता बाहर गांव काम के लिए जाने से सकस आहार नहीं मिल सका. जिसके चलते उसे टीबी व कुपोषण होने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं.
– डॉ. चंदन पिंपलकर, वैद्यकीय अधिकारी टेंब्रुसोंडा
मेलघाट में कुपोषण, भूखमरी, बेरोजगारी का कारण शिक्षण होकर इसके लिए सभी स्तर की यंत्रणा जिम्मेदार है. प्रत्येक को अपने काम व जिम्मेदारी सही तरीके से स्वीकरनी चाहिए, जिससे ये बातें सामने नहीं आयेगी.
– बंड्या साने, संस्थापक अध्यक्ष, खोज संस्था