अमरावती

हरिओम गणेशोत्सव मंडल में विराजेंगे लालबाग के राजा

अमरावती का राजा के रूप में विख्यात है ख्याती

16 वर्ष से धूमधाम के साथ मनता है गणेशोत्सव
अमरावती- /दि.27 स्थानीय सहकार नगर परिसर स्थित गणेशोत्सव मंडल द्वारा प्रतिवर्ष लालबाग राजा की तर्ज पर अमरावती का राजा की स्थापना की जाती है. जिसके तहत करीब 23 से 24 फीट उंची गणेश प्रतिमा स्थापित की जाती है. इस मंडल द्वारा हर वर्ष अलग-अलग धार्मिक स्थानों की प्रतिकृतियां साकार की जाती है. जिसके तहत इस वर्ष लालबाग राजा के दरबार की प्रतिकृति व झांकी साकार की जायेगी.
बता दें कि, इस गणेशोत्सव मंडल का प्रारंभ वर्ष 2006 में वैभव बजाज एवं मयूर मोटवानी नामक दो उत्साही युवाओं द्वारा किया गया था. उस समय मंडल का स्वरूप काफी छोटा हुआ करता था और मंडल के दोनों संस्थापकों द्वारा अपने स्तर पर मंडल से जुडी हर छोटी-बडी जिम्मेदारी को संभालते हुए दस दिवसीय गणेशोत्सव मनाया जाता था. लेकिन आगे चलकर धीरे-धीरे मंडल के साथ लोग जुडते गये और इस मंडल का स्वरूप बडा होता गया. पहले हरिओम गणेशोत्सव मंडल में स्थापित की जानेवाली गणेश प्रतिमा का आकार काफी छोटा हुआ करता था और जैसे-जैसे मंडल का विस्तार होता गया, वैसे-वैसे गणेश प्रतिमा का आकार बढता गया. जिसके चलते अब हरिओम गणेशोत्सव मंडल में प्रति वर्ष 23 से 24 फीट उंची गणेश प्रतिमा स्थापित की जाती है. जिसका निर्माण मंडल के पंडाल में ही किया जाता है. विगत सात वर्षों से अकोला के मूर्तिकार शिवा मोकलकर द्वारा किया जा रहा है और इस वर्ष भी वे ही मंडल के पंडाल में मूर्ति का निर्माण कर रहे है. वहीं पंडाल का डेकोरेशन करते हुए हरिओम गणेशोत्सव मंडल में लालबाग राजा के दरबार की प्रतिकृति को साकार करने का काम विक्की महाजन द्वारा किया जा रहा है. करीब आठ हजार स्क्वेअर फीट में बनाये जा रहे गणेश पंडाल में इस वर्ष 40 फीट उंचा प्रवेश द्वार बनाया जायेगा. साथ ही मूर्ति के पीछे 30 फीट का सेटअप् साकार किया जायेगा.
बता दें कि, इससे पहले हरिओम गणेशोत्सव मंडल ने वर्ष 2017 में दिल्ली के राम मंदिर, वर्ष 2018 में कंवरधाम तथा वर्ष 2019 में तिरूपति बालाजी जैसे ख्यातनाम धार्मिक स्थलों की प्रतिकृतियां साकार की है. जिन्हें देखने के लिए प्रति वर्ष शहर सहित जिले के दूरदराज वाले इलाकों से भाविक श्रध्दालु गण इस मंडल को भेंट देने पहुंचे. मंडल द्वारा दस दिन की बजाय चौदह दिन का गणेशोत्सव मनाये जाने की परंपरा शुरू की गई है और चौदहवें दिन बडी धूमधाम के साथ गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है. इस दौरान भव्य महाप्रसाद का आयोजन भी होता है. जिसमें करीब 8 से 10 हजार लोग शामिल होकर महाप्रसाद का लाभ लेते है. इसके साथ ही इस मंडल में महाआरती के समय आठ हजार स्क्वेअर फीट का पंडाल खचाखच भर जाता है और इस महाआरती में शामिल होने के लिए मुंबई, नागपुर व पुणे जैसे बडे शहरों में जाकर बसे सहकार नगर वासी भी वापिस आकर शामिल होते है.
हरिओम गणेशोत्सव मंडल के प्रत्येक कार्य को सफल बनाने हेतु मयूर मोटवानी, महादेवानंद पांडे, दादा अमृतलाल छबलानी, हरिश जगमलानी, मनीष बजाज, श्रीचंद तेजवानी, विनोद आहूजा, घनश्याम उधवानी, हरिश उधवानी, सुरेंद्र जयसिंघानी, तुलसीदास बजाज, किशोर मिराणी, रतन मोटवानी, रामचंद बजाज, महेश बजाज, आनंद जेठानी, रामचंद छूटलानी, सचिन नाईक, मुकेश चांदवानी, मनीष उधवानी, रोशन बजाज, विजय झामनानी, रवि नागदेव, पंकज शर्मा, अमित मधवानी, मयूर बजाज, हर्षद बजाज, सोहित आहूजा, तरूण बजाज, शुभम बजाज, ऋत्विक जेसवानी, सुमित चेनानी, सागर मतानी, परेश जयसिंघानी, मनीष जेठानी, आकाश बजाज, विशाल बजाज, हितेश जयसिंघानी, विकास पांडे, अंकित चढ्ढा, गौतम आहूजा, अमित चेनानी, सागर धनकानी, अश्विन जेठानी, अभिषेक पंजाबी, महेश मूलचंदानी, धीरज भियानी, गौरव जयसिंघानी, प्रथम जयसिंघानी, आदि चंदवानी, मोहित बजाज, पीयूष बसंतवानी, करण बसंतवानी, शिवम जेठानी व करण जेठानी आदि सहित मंडल से जुडे अनेकोें कार्यकर्ताओं द्वारा महत प्रयास किये
जाते है.

कोविड काल में पेश की समाजसेवा की मिसाल
कोविड संक्रमण काल के दौरान हरिओम गणेशोत्सव मंडल द्वारा प्रतिबंधात्मक नियमों का पालन करते हुए बेहद सादे व सामान्य ढंग से गणेशोत्सव मनाया गया. जिसके तहत करीब चार फीट उंची गणेश प्रतिमा को घर पर ही स्थापित किया गया और इन दो वर्षों के दौरान बचाये गये पैसों से परिसर में रहनेवाली एक गरीब लडकी का विवाह बडी धूमधाम के साथ करवाया गया. साथ ही मंडल ने खुद की सैनिटाईजिंग मशीन खरीदकर परिसर के प्रत्येक घर में जाकर सैनिटाईजेशन का कार्य भी किया.

महिलाओं के लिए कई स्पर्धाओं का होता है आयोजन
इसके अलावा इस परिसर की महिलाएं भी हरिओम गणेशोत्सव मंडल द्वारा मनाये जाते गणेशोत्सव में पूरी सक्रियता के साथ सहभाग लेती है और एक से बढकर एक कार्यक्रम आयोजीत करती है. जिसके तहत ड्राईंग स्पर्धा, गरबा नाईट व फैन्सी ड्रेस स्पर्धा जैसे आयोजनों के साथ ही विभिन्न सांस्कृतिक, सामाजिक व धार्मिक कार्यक्रम आयोजीत किये जाते है. जिसमें सहभागियों और विजेताओें को आकर्षक पुरस्कार प्रदान किये जाते है.

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