लोगों की जान पर भारी पड रहा पतंग का शोक
पक्षियों की जान भी खतरे में, खुलआम हो रही चायना मांजे की बिक्री
![bird-dead-by-kite-amravati-mandal](https://mandalnews.com/wp-content/uploads/2020/07/dead_parrot_1547708658-600x470.jpg)
प्रतिनिधि/ दि.२२ अमरावती – छोटे बच्चों सहित बडे लोगाों को आकर्षित करने वाला पतंग उडाने का शोक अब पक्षियों सहित आम लोगों की जान पर भारी पडने लगा है. वहीं प्रतिबंधित रहने के बावजूद शहर में चायना मांजे की धडल्ले से खुलेआम बिक्री हो रही है. जिसकी ओर प्रशासन व पुलिस विभाग का कोई ध्यान नहीं है. बता दें कि, अमुमन मकर संक्रांति के पर्व और गरमी के छूट्टीयों के दौरान बडे पैमाने पर पतंगबाजी की जाती है. वहीं इस समय विगत साढे ४ माह से कोरोना के चलते जारी लॉकडाउन के दौरान शाला व महाविद्यालयों सहित कामकाज बंद रहने की वजह से कई लोग पतंगबाजी करते हुए टाइमपास कर रहे है. पतंगबाजी करते समय अकसर लोगबाग आसमान में उड रहे दूसरी पतंग के साथ अपनी पतंग की पेंच लढाते है और पतंगबाजों द्बारा एक-दूसरे की पतंग काटने का प्रयास किया जाता है. इन दिनों दूसरे की पतंग काटने के लिए हर किसी के द्बारा नायलॉन से निर्मित चायनीज मांजे का प्रयोग किया जाता है. यह मांजा काफी मजबूत रहता है और जल्दी कटता या टूटता नहीं. जिसके चलते यह इंसानों सहित पशु-पक्षियों के लिए काफी घातक साबित होता है. बता दें कि, चायनीज मांजे के सहारे उडने वाली पतंगों के कटने के बाद पतंगों के साथ कटे हुए मांजे का हिस्सा हवा में लहराते हुए लोगों के घरों की छतों, बिजली के तारों तथा झाडों सहित सडक पर जाकर अटक जाता है और यह मांजा इसी धारदार हथियार की तरह लोगों के गले व गाल कांटने का काम करता है. इसी तरह झाडों में अटके मांजे में अटककर कई पक्षियों के पैर व शरीर जख्मी होते है. साथ ही अनेकों बार आसमान में उडते पंक्षियों की राह में यह मांजा आ जाने की वजह से उनके पंख भी कट जाते है. इसके अलावा कटी हुई पतंगों को पकडने के लिए दौडने वाले बच्चें भी अनेकों बार हादसों का शिकार होते है. लेकिन इन तमाम बातों के बावजूद शहर में पतंगबाजी और चायना मांजे की डिग्री धडल्ले से जारी है. जिसकी ओर प्रशासन एवं पुलिस हमकमें का कोई ध्यान नहीं है.