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विधान मंडल के शीतसत्र में गूंजेगा कोविड बीमा घोटाला

विधायक पोटे विधान परिषद में लायेंगे ध्यानाकर्षण प्रस्ताव

* विधायक पटेल विधानसभा में उठायेंगे मामला

अमरावती/दि.4- विगत तीन दिनोें से लगातार चर्चा में चल रहा कोविड हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम के घोटाले संबंधी मामला राज्य विधान मंडल के आगामी शीतसत्र में भी गूंजेगा. इस विषय को लेकर जहां पूर्व पालकमंत्री व विधायक प्रवीण पोटे पाटील द्वारा विधान परिषद में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाया जायेगा, वहीं मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र के विधायक राजकुमार पटेल इस मामले को विधानसभा में चर्चा हेतु उपस्थित करेंगे.
दैनिक अमरावती मंडल से इस संदर्भ में बातचीत करते हुए पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे व विधायक राजकुमार पटेल ने सबसे पहले तो इस सनसनीखेज मामले का सिलसिलेवार खुलासा करने और इसे लेकर बेबाक खबरें प्रकाशित करने को लेकर दैनिक अमरावती मंडल की प्रशंसा की. साथ ही उन्होंने इस मामले को बेहद गंभीर बताया. दोनों विधायकों के मुताबिक जो महिला कोविड संक्रमित ही नहीं हुई और जिसने कोविड इन्शुरन्स क्लेम के लिए कोई दावा भी पेश नहीं किया, उसके बैंक खाते में एक कंपनी द्वारा कोविड इन्शुरन्स क्लेम के ढाई लाख रूपये जमा करा दिये जाते है. साथ ही दूसरी कंपनी की ओर से भी ढाई लाख रूपये देने की तैयारी दर्शायी जाती है. इसका सीधा मतलब है कि, कोविड इन्शुरन्स क्लेम के नाम पर कोई बहुत बडा फर्जीवाडा चल रहा है. जिसकी सघन जांच होना बेहद आवश्यक है. ऐसे में वे विधानमंडल के शीतसत्र दौरान इस मामले को सदन में उठाते हुए सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करेंगे, ताकि अमरावती सहित पूरे राज्य में ऐसे मामलों की जांच की जायेगी और इस तरह के फर्जीवाडों को सामने लाया जाये.

* पालकमंत्री व जिलाधीश द्वारा भी ध्यान दिया जाना जरूरी

यद्यपि एक जागरूक व ईमानदार महिला की सजगता के चलते यह मामला पुलिस के पास पहुंचा है और पुलिस द्वारा इस मामले की जांच की जा रही है. किंतु इस मामले में जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर और जिलाधीश पवनीत कौर द्वारा भी ध्यान दिया जाना बेहद जरूरी है. क्योंकि यह मामला हकीकत में उनके अधिकार क्षेत्र में आता है. पालकमंत्री होने के नाते एड. यशोमति ठाकुर इस समय जिले की मुखिया है, वहीं जिलाधीश व जिला आपत्ति व्यवस्थापन प्राधिकरण की अध्यक्ष होने के नाते पवनीत कौर इस समय जिले की प्रशासन प्रमुख है और सरकारी व निजी कोविड अस्पतालों का पूरा जिम्मा जिला आपत्ति व्यवस्थापन प्राधिकरण के अंतर्गत ही आता है. ऐसे में कोविड की महामारी की आड लेकर ‘आपदा में अवसर’ खोज लेनेवाले ‘लक्ष्मीकांतों’ और ‘महा-वीरों’ के खिलाफ प्रशासन को गंभीर रूख अख्तियार करना ही होगा. क्योंकि यह महामारी के दौरान किया गया काफी संगीन आर्थिक अपराध है.

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