कोठारी प्लास्टिक कारखाने को अदा करने पडेंगे 1.38 करोड
पुणे के हरित लवाद में लगी फटकार
* दायर की याचिका की खारिज
अमरावती/दि.25- स्थानीय एमआईडीसी स्थित कोठारी प्लास्टिक इंडस्ट्रीज व्दारा 6 साल तक अवैध रुप से कारखाना चलाए जाने के मामले में पुणे केेे राष्ट्रीय हरीत लवाद व्दारा ठोके गए 1 करोड 38 लाख रुपए जुर्माना मामले में दी गई समयावधि पर अपील न किए जाने के चलते हरित लवाद ने कारखाना संचालक को फटकार लगाते हुए गुरुवार 24 अगस्त को दायर की याचिका खारिज करते हुए जुर्माना अदा करने के निर्देश को कायम रखा है.
जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 27 जुलाई 2022 को स्थानीय एमआईडीसी स्थित प्लॉट नंबर बी-28 पर चलनेवाले मे. कोठारी प्लास्टिक इंडस्ट्रीज की जांच की. इस जांच में पाया गया कि वैध प्लास्टिक पंजीयन के बगैर ही वर्ष 2016 से 2022 तक कोठारी प्लास्टिक शुरु था और यहां प्लास्टिक बैग बनाने का उद्योग चल रहा था. प्रतिबंधित 50 माइक्रॉन से कम मोटभ की प्लास्टिक पैकेजिंग बैग का उत्पादन यहां हो रहा था. यह प्रतिबंधित 225 किलो प्लास्टिक यहां से जब्त किया गया था. कार्रवाई के बाद दूसरे दिन कोठारी प्लास्टिक को क्लोजर नोटिस दिया गया और महावितरण कंपनी को यहां की विद्युत आपूर्ति खंडित करने के आदेश दिए. लेकिन महावितरण के तत्कालीन अभियंता ने विद्युत आपूर्ति खंडित नहीं की. इसके अलावा महाराष्ट्र प्रदूषण बोर्ड की क्लोजर नोटिस मिलने पर भी कारखाना शुरु था और कैरीबैग का उत्पादन यहां शुरु था. इस कारण वसुंधरा फाउंडेशन के गणेश अनासाने ने पुणे के राष्ट्रीय हरित लवाद में याचिका दायर की थी. जिसमें स्थानीय प्रदूषण बोर्ड के तत्कालीन विभागीय अधिकारी राजेंद्र राजपूत, महावितरण के कार्यकारी अभियंता और कोठारी प्लास्टिक के संचालक को प्रतिवादी बनाया. इस याचिका पर सर्वप्रथम 2 नवंबर 2022 को सुनवाई हुई. उस समय सभी प्रतिवादियों को नोटिस दिया गया था. जिस पर 1 मई को तीनो प्रतिवादियों ने प्रतिज्ञा पत्र दाखिल किया और स्वयं को बचाने का प्रयास किया. लेकिन लवाद को यह बात प्रकाश में आई कि कोठारी प्लास्टिक कारखाना वर्ष 2016 से 2022 तक बगैर अनुमति के चल रहा था. इस कारण स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रादेशिक अधिकारी को जिम्मेदार ठहराते हुए हरित लवाद ने बोर्ड के सदस्य, सचिव को इसकी जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा और 6 वर्ष में कोठारी प्लास्टिक व्दारा किए गए प्रदूषण का मूल्यांकन उससे जुर्माना वसूलने के निर्देश दिए थे. इसके मुताबिक महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रदूषण का मूल्यांकन के बाद कोठारी प्लास्टिक से 1 करोड 38 लाख रुपए जुर्माना वसूल करना था, एक माह में रिपोर्ट तैयार करने के आगामी एम माह में यह जुर्माना राशि वसूल कर उसे आगामी छह माह में अमरावती में ही पर्यावरण के काम के लिए उसे इस्तेमाल करना जरुरी था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कोठारी प्लास्टिक के संचालक को ठोके गए जुर्माने के बाद 90 दिन के भीतर हरित लवाद में अपील के लिए जाना अनिवार्य था. लेकिन वह इस अवधि में अपील न करते हुए गुरुवार 24 अगस्त को याचिका दायर करने पहुंचे. उनकी तरफ से एड. अमरजीत प्रसाद ने याचिका दायर की. लेकिन हरित लवाद ने निश्चित समयावधि में याचिका दायर न करने पर कोठारी प्लास्टिक के संचालक को फटकार लगाते हुए याचिका खारिज कर अपना फैसला कायम रखा. इस कारण अब कोठारी प्लास्टिक कारखाने के संचालक से महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 1 करोड 38 लाख रुपए का जुर्माना अब वसूल करना पडेगा और इस राशि को अमरावती के पर्यावरण के लिए इस्तेमाल करना पडेगा. साथ ही इसकी विस्तृत रिपोर्ट पुणे के राष्ट्रीय हरित लवाद में प्रस्तुत करनी पडेगी.
* विभागीय अधिकारी की विभागीय जांच कायम
राष्ट्रीय हरित लवाद ने कोठारी प्लास्टिक कारखाना अवैध रुप से शुरु रखने के प्रकरण में महाराष्ट्र प्रदूषण मंडल के प्रादेशिक अधिकारी राजेंद्र राजपूत को जिम्मेदार ठहराते हुए उनकी भी विभागीय जांच के निर्देश दिए थे. अब कोठारी प्लास्टिक की याचिका खारिज किए जाने से तत्कालीन प्रादेशिक अधिकारी राजेंद्र राजपूत की विभागीय जांच भी कायम रहेगी. इस कारण बोर्ड के सदस्य, सचिव को अब विभागीय जांच कर अपनी रिपोर्ट हरित लवाद को प्रस्तुत करनी पडेगी.