वझ्झर को छू भी नहीं पाया कोविड संक्रमण
आश्रम में डेढ वर्ष से सभी बच्चे हैं पूरी तरह सुरक्षित
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शंकरबाबा पापलकर का नियोजन रहा पूरी तरह सफल
अमरावती/दि.29 – इस समय जहां एक ओर समूचे विश्व में कोविड संक्रमण की वजह से हाहा:कार मचा हुआ है और पहली व दूसरी लहर के चलते शहर सहित जिले तथा राज्य व देश में कोविड संक्रमितों की संख्या लगातार बढ रही है, वहीं दूसरी ओर परतवाडा के निकट वझ्झर स्थित स्व. अंबादासपंत वैद्य दिव्यांग व अनाथ बालगृह में रहनेवाले 123 बच्चों में से अब तक कोई भी कोविड संक्रमण की चपेट में नहीं आया है. इस आश्रम में कोविड प्रतिबंधात्मक नियमों का बेहद कडाई के साथ पालन करते हुए सभी बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए आश्रम के संचालक शंकरबाबा पापलकर द्वारा बेहतरीन नियोजन किया गया, जो पूरी तरह से सफल रहा.
बता दें कि, स्थानीय हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल द्वारा वझ्झर में संचालित स्व. अंबादासपंत वैद्य दिव्यांग एवं अनाथ बालगृह का जिम्मा वरिष्ठ समाजसुधारक शंकरबाबा पापलकर द्वारा संभाला जाता है और परतवाडा के निकट मेलघाट की तलहटी में स्थित इस आश्रम में 123 नेत्रहीन, अपंग व मतिमंद बच्चे रहते है. इन दिनों जिले के ग्रामीण इलाकों में बडे पैमाने पर कोविड संक्रमित मरीज पाये जा रहे है तथा अचलपुर व परतवाडा परिसर तो कोविड संक्रमण के लिहाज से लगातार हॉटस्पॉट बने हुए है. किंतु इसके बावजूद ग्रामीण अंचल में बसा यह आश्रम पूरी तरह से कोविड मुक्त रहने में सफल रहा. जबकि सर्वाधिक उल्लेखनीय यह है कि, यहां रहनेवाले कई बच्चों का ख्याल रखने हेतु दूसरों की मदद जरूरी रहती है और यह बच्चे खुद अपना खयाल नहीं रख सकते. ऐसे बच्चों की देखभाल करने के साथ ही उन्हें कोविड संक्रमण से बचाने के लिए शंकरबाबा पापलकर द्वारा बेहद अनुशासित ढंग से नियोजन किया गया, जो पूरी तरह से सफल रहा.
सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि, विगत डेढ वर्ष से इस आश्रम में रहनेवाले एक भी बच्चे को सर्दी-खांसी या बुखार की तकलीफ नहीं हुई. इसकी सबसे बडी वजह यह रही कि, यहां पर साफ-सफाई को काफी अधिक महत्व दिया जाता है. इन 123 बच्चों में 98 बच्चियों का समावेश है और सभी बच्चे एक ही छत के नीचे रहते है. जिनमें से कई बच्चे मनोरूग्ण व शारीरिक रूप से असमर्थ रहने के चलते उन्हें खाना भी हाथ से खिलाना पडता है. साथ ही इन बच्चों में लगातार आत्मविश्वास बढाने का भी कार्य किया जाता है.
परिसर में 15 हजार वृक्षों का संवर्धन
इस आश्रम में रहनेवाले लावारिस, मतिमंद, अंध व दिव्यांग बच्चों ने बालगृह परिसर में 200 विभिन्न प्रजाति के करीब 15 हजार पौधे लगाये है. साथ ही बच्चों द्वारा ही इन वृक्षों की देखभाल की जाती है. यहां पर 5 हजार से अधिक नीम के पेड है और इन नीम वृक्षों की वजह से ही पूरे परिसर में किसी भी तरह की बीमारी नहीं फैल पाती. साथ ही हरियाली से ओतप्रोत माहोल के कारण पूरा वातावरण स्वास्थ्यपूर्ण बना रहता है.
एक वर्ष से बालगृह में प्रवेश के नियम सख्त
कोविड संक्रमण के मद्देनजर विगत वर्ष लगाये गये पहले लॉकडाउन के समय से ही बालगृह में बाहरी लोगों के लिए प्रवेश बंदी लागू की गई है और स्वास्थ्य जांच पथक के अलावा इस परिसर में किसी अन्य को प्रवेश की अनुमति नहीं है. साथ ही शंकरबाबा पापलकर ने जिलाधीश शैलेश नवाल से इस आश्रम में रहनेवाले सभी 123 बच्चों के लिए कोविड प्रतिबंधात्मक वैक्सीन की व्यवस्था करने का आग्रह किया है. इसके अलावा वे यहां पाल-पोसकर बडे किये हुए निराधारों को आजीवन यहीं पर रहने देने की अनुमति मिलने की मांग विगत लंबे समय से सरकार से कर रहे है.