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लापरवाही पड सकती है भारी
अमरावती/दि.10 – हाईरिस्कवाले व्यक्तियोें द्वारा अपनी कोविड टेस्ट कराते हुए थ्रोट स्वैब सैम्पल दिये जाने के बाद उसकी टेस्ट रिपोर्ट पता चलने तथा संबंधित व्यक्ति को स्वास्थ्य महकमे का फोन आने में करीब छह से सात दिनोें का समय लगता है. इस दौरान कोविड पॉजीटीव रहनेवाला व्यक्ति चहुंओर खुलेआम घुमता रहता है. जिससे ऐसे लोगों के संपर्क में आनेेवाले अन्य लोगोें के संक्रमित होने का खतरा होता है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, यदि ऐसे ही चलता रहा, तो कोरोना संक्रमण को कैसे रोेका जा सकता है.
जानकारी के मुताबिक कई मरीज एंटीजन टेस्ट के आधार पर इलाज हेतु अस्पताल में भरती हुए और छह दिनोें के इलाज पश्चात उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज भी मिला. इसके बाद उन्हें फोन पर बताया गया कि उनकी आरटी-पीसीआर टेस्ट पॉजीटीव आयी है. यदि इन लोगों ने अपनी एंटीजन टेस्ट कराते हुए खुद को अस्पताल में इलाज हेतु भरती नहीं कराया होता, तो उन्हें उनकी रिपोर्ट पॉजीटीव रहने की जानकारी पता चलने में छह से सात दिन लगे होतेे और उनके संपर्क में आनेवाले कई लोग कोविड संक्रमण की चपेट में आये होते. वहीं कई लोग ऐसे भी है, जिन्होंने केवल आरटी-पीसीआर टेस्ट ही करवाई थी और वे रिपोर्ट मिलने का इंतजार करते हुए अपने घर पर रहने के साथ-साथ खुलेआम बाहर भी घुम रहे थे और इस दौरान वे कई लोगों के संपर्क में भी आये.
बता दें कि, अमरावती जिले में विगत 1 फरवरी से कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर शुरू हुई और 1 फरवरी से 8 मार्च के दौरान 18 हजार 7 संक्रमित मरीज पाये गये. इसके साथ ही जिले में कोरोना संक्रमितों का आंकडा 40 हजार के आसपास पहुंच गया. जिसमें से अकेले अमरावती मनपा क्षेत्र में ही 26 हजार के आसपास कोविड संक्रमित मरीज पाये जा चुके है. जिसकी वजह से बीते दिन समूचे अमरावती शहर से कंटेनमेंट झोन घोषित किया गया था. लेकिन इसके बावजूद सरकारी गाईडलाईन को सही ढंग से लागू नहीं किया गया. अमरावती शहर में साईनगर, राजापेठ, दस्तुरनगर, अर्जूननगर तथा रूक्मिणी नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रोें में अचलपुर, अंजनगांव सूर्जी, वरूड एवं मोर्शी तहसीलों में दिनोंदिन मरीजों की संख्या बढ रही है. ऐसे में इन इलाकों में कौन्टैक्ट ट्रेसिंग को बढाना बेहद जरूरी है. लेकिन इस बात की ओर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है.
स्वैब के बाद होनेवाली प्रक्रिया
संदेहित मरीज द्वारा अपने थ्रोट स्वैब का सैम्पल दिये जाने के बाद उसे साधारणत: मायनस 25 डिग्री तापमान पर रखा जाता है. पश्चात उसे उसी दिन शाम में अथवा दूसरे दिन कोविड टेस्ट लैब में भेजा जाता है. जहां पर एक ही समय में 200 सैम्पलों की मशीन के जरिये जांच की जाती है और इस प्रक्रिया में करीब चार घंटे का समय लगता है. यहां से रिपोर्ट को सीएस कार्यालय भेजा जाता है. जिसे सीएस कार्यालय द्वारा डीएचओ व एमओएच के पास भेजा जाता है. इसके बाद संबंधित व्यक्ति को उसकी रिपोर्ट पॉजॉटीव रहने के संदर्भ में फोन किया जाता है.
यहां होती है लापरवाही
स्वैब सेंटर में यदि पर्याप्त संख्या में फ्रोजन आईसेपैक उपलब्ध नहीं है, तो सैम्पलों को रातभर फ्रिज में रखकर दूसरे दिन लैब में भेजा जाता है. लैब में भी यदि पहले से ही कुछ सैम्पलों की मशीन पर जांच चल रही है, तो वहां नये सैम्पलों की जांच में कुछ विलंब होता है. इसके बाद लैब द्वारा रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद काफी अधिक लोगोें की रिपोर्ट पॉजीटीव रहने पर स्वास्थ्य विभाग को भी हर एक कोविड पॉजीटीव मरीज को फोन करने में अगले एक-दो दिनों का समय लगता है.
यंत्रणा की समीक्षा जरूरी
संक्रमित मरीजोें की जानकारी जल्द से जल्द सामने आये, इस हेतु हर पॉजीटीव मरीज के पीछे कम से कम 15 से 20 कौन्टैक्ट ट्रेसिंग करने का निर्देश मनपा आयुक्त प्रशांत रोडे द्वारा दिया गया है. इसके साथ ही आयुक्त द्वारा मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग के साथ एक बैठक करते हुए सभी कामों की समीक्षा की गई. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग के साथ अन्य विभागोें को समन्वय साधते हुए काम करने का निर्देश भी जारी किया है.
मोबाईल पर मिलेगा मैसेज-जिलाधीश
इस संदर्भ में जानकारी देते हुए जिलाधीश नवाल ने कहा कि, अब विद्यापीठ की कोविड टेस्ट लैब की क्षमता को बढाया गया है और यहां पर अब चार शिफ्ट में काम किया जायेगा. ऐसे में यहां अधिक से अधिक सैम्पलों की जांच होगी. जिलाधीश के मुताबिक साधारणत: तीसरे दिन कोविड टेस्ट की रिपोर्ट पता चलनी चाहिए. साथ ही अब स्वैब देनेवाले व्यक्ति के मोबाईल पर दो दिन में ही उसकी पॉजीटिव अथवा निगेटीव रिपोर्ट प्राप्त होगी. इस हेतु सॉफ्टवेअर के माध्यम से ऐसे मैसेज भेजे जायेंगे. इसकी व्यवस्था प्रशासन द्वारा की गई है. यह काम एक संस्था के माध्यम से चलाया जायेगा.