अमरावती

केवल 452 गांवों में कुआ खुदाई को मंजूरी

जिले में 37 वॉटर शेड है सुरक्षित

* भूजल सर्वेक्षण विभाग ने दी जानकारी
अमरावती/दि.31- विगत कुछ वर्षों से अमरावती जिले में औसत से कम बारिश हो रही है. साथ ही लगातार बढते कांक्रीटीकरण की वजह से बारिश का पानी जमीन के उपर से ही नदी-नालों में बह जाता है और उसका उसका जमीन के भीतर पुनर्भरण नहीं हो पाता. जिसके चलते भूगर्भिय जलस्तर दिनों दिन घट रहा है. हालांकि गत वर्ष जिले की 12 तहसीलों में औसत व अपेक्षित बारिश होने के चलते इन 12 तहसीलों में भूगर्भिय जलस्तर में थोडी वृध्दि देखी गई है. ऐसे में कुल वॉटर शेड का विचार करते हुए 452 गांवों में कुएं खोदने को मंजूरी दी गई है. ऐसी जानकारी भूजल सर्वेक्षण विभाग के आंकडों से सामने आयी है.
जिले में दिनोंदिन भूजल स्तर कम हो रहा है. जिसकेे चलते किसानों द्वारा मूल स्थान पर जल संवर्धन करना बेहद जरूरी है. ढलानवाले स्थान पर आडी बुआई की जानी चाहिए, ताकि बारिश का पानी सीधा न बहे. इसके लिए चर खोदना और वृक्षारोपण करना बेहद जरूरी है. इसके अलावा प्रत्येक घर में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग करना, तालाब व कुओं से गाल निकालना एवं बारिश के पानी को व्यर्थ बहने से बचाने हेतु इस पानी को रोककर उसका भूगर्भ में पुनर्भरन करने के लिए तमाम आवश्यक प्रयास करना बेहद जरूरी है. जिसके लिए जनसहभागिता के जरिये मुहिम चलाये जाने की सख्त जरूरत है.
इन दिनों लगभग प्रत्येक घर में बोअर किया गया है. जिससे धरती का सिना छलनी हो गया है. साथ ही इन बोअर के जरिये भूगर्भिय जल का बेतहाशा दोहन किया जा रहा है. जिस पर जिला प्रशासन द्वारा नियंत्रण लगाये जाने की जरूरत है. साथ ही नागरिकों द्वारा शोष खड्डा, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सहित पानी को भूगर्भ में पहुंचाने हेतु विविध उपायों पर अमल किये जाने की जरूरत है, ताकि आनेवाले समय के लिए भूगर्भ में पानी बचा रहे, जो अगली पीढियों के लिए काम में आये.

* 1970 में से 452 गांवों में ही मान्यता
जिले के कुल 1970 गांवों में से केवल 452 गांव ही सुरक्षित वॉटर शेड में है. जिसके चलते इन गांवों में ही कुएं खोदने को मंजूरी दी गई है.

* ऐसे है जिले के क्षेत्र
08 – अति शोषित क्षेत्र
04 – शोषित क्षेत्र
11 – अंशत: शोषित क्षेत्र
37 – सुरक्षित क्षेत्र

* भूजल का नया सर्वे कब होगा
– 150 निरीक्षण कुओं के स्थिर जलस्तर के आधार पर भूजल स्तर की जानकारी को दर्ज किया जाता है.
– मार्च माह के अंत में भूजल स्तर की जानकारी दर्ज की गई है. जिसे अब मर्ह माह के अंत में दर्ज किया जायेगा.

* 37 वॉटर शेड सुरक्षित
जिले में पाणलोट क्षेत्रनिहाय पांच वॉटर शेड है. जिसमें से 37 वॉटर शेड सुरक्षित में गिने जाते है. भूजल पुनर्भरन हेतु सामूहिक प्रयासों के जरिये व्यापक अभियान चलाया जाना मौजूदा समय की जरूरत है.
– हिमा जोशी
वरिष्ठ भूवैज्ञानिक, जीएसडीए

* 12 तहसालों में भूजलस्तर बढा
तहसील            भूजलस्तर
अमरावती          0.46 मी.
भातकुली            0.05 मी.
नांदगांव खंडे      . 1.67 मी.
चांदूर रेल्वे          0.90 मी.
तिवसा               1.06 मी.
मोर्शी                  0.99 मी.
वरूड                   1.36 मी.
अचलपुर             0.81 मी.
दर्यापुर                0.21 मी.
धारणी                1.99 मी.
चिखलदरा           0.98 मी.
धामणगांव          0.69 मी.
चांदूर बाजार        2.18 मी.
अंजनगांव सूर्जी   1.44 मी.

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