अमरावती

कुएं में घर या घर में कुआ…?

वास्तुकला की अद्भूत धरोहर

वरुड में 12 कमरों का 17 वें शतक का कुआ
अमरावती/ दि.31- बावडी नाम से विख्यात कई कुएं ऐतिहासिक है. परंतु वरुड से वरुड से 9 किलोमीटर दूर 1 हजार 200 जनसंख्या वाले पवनी संक्राजी गांव के एक खेत में 12 व्दार की अद्भूत वास्तु कला है. यह 12 कमरों वाला 17 वें शतक का कुआ है.
विगत 200 वर्ष पूर्व मुगल, अंग्रेज काल के पुरातन कुएं की खाशियत यह है कि, उस कुएं में एक घर और एक मंदिर है. इस कुए के आजू-बाजू के पत्थरों में पुरातन मूर्तिकला देखने को मिलती है. इस कुएं के अंदर 12 दरवाजे है, इस वजह से इस दरवाजे को 12 व्दारी कुआ कहा जाता है. यह कुआ अष्टकोनी है. निर्माण कार्य ईटो से किया गया है. पवनी संक्राजी इस गांव के श्याम घारड और मोहन घारड के गुट क्रमांक 105 के खेत में स्थित इस कुएं में एक पुरातन घर और मंदिर है. इस कुएं में उतरने के लिए सीढियां बनी हुई है. नागरिकों के मन में कई भ्रामक कल्पनाएं है. 1870 के आसपास सिताराम सातपुते नामक व्यक्ति ने यह कुआ बनवाया, ऐसे गांववासी बताते है. कुएं के आसपास जमीन पर एक घर है. समय बीतने के साथ उपर रहने वाला घर पूरी तरह से नष्ट हो गया, परंतु कुएं के अंदर रहने वाला घर और मंदिर जैसा की वैसा देखने को मिल रहा है. इतिहास संशोधकों के अनुसार यह कुआ मुगल काल का हो सकता है और 17 वें दशक में इस कुएं का निर्माण कार्य हुआ होगा. मंदिर में शायद मूर्ति होगी, मगर अब वे नष्ट हो चुकी होगी, इस कुएं और कुएं के घर का संशोधन कर और ज्यादा जानकारी सामने आये और यह पर्यटन स्थल बन जाए, ऐसी मांग की जा रही है.

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