कुंडलिनी शक्ति हर मनुष्य में विराजित है, स्वयं को पहचाने
कस्तुरी कुडंलि बसै, मृग ढूँढे वन माहि
अमरावती- दि.23 सुख की चाह और शांति की खोज मन की अभिलाषा रहती है. शांति हमारे अन्दर ही निहित है पर हम बाहर के संसार में खोजते है कस्तूरी कुडंलि बसै, मृग ढूढे वन माहि की तरह बाहरी जगत को छानने में जीवन खपा देते है. वास्तव में शांति को पाने का सरल उपाय सहजयोग में आदिशक्ति श्रीमाताजी निर्मला देवी ने सहजता से बताया है. माँ ने अपने प्रवचन में कहा है. अभी यह बात किसी से भी करना उचित नहीं है, कम से कम लोग पहली मंजिल से पांचवी मंजिल पर पहुंच जाएं, तो मेरी बात समझ में आएगी.
आपको आश्चर्य होगा, बचपन से मेडिटेशन की मेरी बहुत आदत थी. हम तो अपने से ही भागे चले जा रहे हैं, हम तो अपने साथ 1 मिनट भी नहीं बैठ पाते, 10 मिनट भी अपने साथ बैठ गए, तो बोले कि, मैं तो बोर हो गया, चलो सिनेमा जाएंगे, चलो बोर हो गया उससे जाकर मिल लेंगे, लेकिन हम जो कुछ भी अंदर है, इतना परम सुंदर और इतने अच्छे हमारा जो अंतरतम है, इतना खूबसूरत है इतना गौरवशाली और प्रभावशाली है कि, उसके दर्शन मात्र में ही मनुष्य एक दम से ही सब कुछ पा लेता है सुख, शान्ति, संतोष, यश एवं ईश्वर का आशीष पाना सब कुछ कुण्डलिनी की जागृति से सहज संभव है. इस हेतु सहज योग की अनुभव सिद्ध ध्यान सीखने हेतु ुुु.ीरहरक्षरूेसे.ेीस.ळप से अवश्य जुड़े अथवा स्वयं को पहचानने के लिए, अपनी आंतरिक शक्ति से साक्षात्कार करने के लिए टोल फ्री नम्बर 18002700800 पर सम्पर्क करें. यह आत्मसाक्षात्कार जीवन में संतुलन, शांति और उपलब्धियों के संसार में आसानी से प्रवेश करवाता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सब कुछ नि:शुल्क है. स्वयं को जानने के लिए परमेश्वरी शक्ति अवश्य जुड़े.