अमरावती

कुशवाह परिवार की बेटी सीआयएसएफ में

जिद मेहनत से हासिल की कामयाबी

* खेत-खलिहान में की पढाई
अमरावती/ दि. 19- अगर दिल में जज्बा, जिद, लगन हो तो असंभव काम भी संभव हो जाता है. अत्यंत सामान्य और दूसरों की खेती हिस्से-बटाई कर करनेवाले मेहनती कुशवाह परिवार की बेटी ने सीआयएसएफ में नियुक्ति पाकर दिखा दिया कि हौसलों की उडान गरीब भी भर सकता है.
मध्यप्रदेश के रिवा जिले उमरिहा गांव का कुशवाह परिवार वैसे तो मजदूरी करता है. खेती की हिस्से बटाई पर परिवार का जीवनयापन करता है. यह एक खानाबदोश की जिंदगी है. आज यहां बसेरा तो कल और बसेरा मिलता है. इस परिवार में ब्रजराज और उसकी पत्नी मुन्नीबाई के साथ बडी बेटी राजकुमारी, छोटी उमा और रणजीत तथा कृष्णा है. 6 लोगों का यह परिवार कुछ सालों से बडनेरा के निकट दाभा में आया हुआ है. इस परिवार की होनहार कृष्णा ने इसके पहले भाजीबाजार की मनपा स्कूल में सातवी तक शिक्षा ग्रहण की. उसके बाद बडनेरा मे होलीक्रास, आरडीआय के व भारतीय महाविद्यालय में एमए की पढाई की. उसी दौरान शिक्षक मनोज गाठे ने सरकारी सेवा भरती को लेकर मार्गदर्शन किया. कृष्णा ने 2019 में बृहन्मुंबई के पुलिस भरती में चुक गई. इस बीच दुर्गापुर में रहनेवाले पुलिस अनिल निंघोट ने उसे स्पर्धा परीक्षा को लेकर मार्गदर्शन किया और शहर के धुरंधर क्लासेस की जानकारी दी. कृष्णा की लगन और होशियारी व पढने की ललक तथा पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखकर धुरंधर सर ने उसे नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया. 2021 मे ंउसने परीक्षा दी और सीआएसएफ में उसका चयन हुआ है. 28 दिसंबर को तामिलनाडु प्रांत के अक्कुलम में वह सेवारत होगी. कृष्णा के लिए यह मंजिल पाना आसान नहीं था, उसने अपनी सफलता का श्रेय-माता-पिता , मनोज गाठे, अनिल निंघोट, सहेली शुभांगी सोलंके, दुर्गा भालेराव को दिया है.

* आसान नहीं था कुछ
आमतौर पर खेत खलिहान की जिंदगी बडी कठिन रहती है. कुशवाह परिवार खेत में ही झोपडी बनाकर रहता है. ऐसी विपरित स्थिति में कृष्णा पढाई करती है. सभी जानते है कि किसानों को पर्याप्त बिजली आपूर्ति नहीं होती. खेतों में विषधर और जंगली जानवरों का डर भी रहता है. मगर हौसले बुलंद हो तो मंजिल को किस तरह पाया जा सकता है यह कृष्णा ने कर दिखाया . आज की बेटियों के लिए वह सही मायने में आयडियल कही जा सकती है.

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