* ई-सेवा केंद्रों में चक्कर काटकर किसान हैरान
अमरावती/दि.17– राज्य सरकार ने किसानों के लिए नुकसान भरपाई हेतु अनुदान घोषित किया है. जिसके चलते जिन किसानों ने अपनी ई-केवायसी पूर्ण कर ली है. उनके बैंक खातों में अनुदान की रकम जमा भी हो गई है. परंतु ज्यादातर किसानों ने केवायसी ही पूर्ण नहीं कराई है. वहीं अब विगत 25 दिनों से केवायसी का पोर्टल बंद पडा हुआ है. जिसके चलते किसान अब केवायसी की प्रक्रिया को पूरा नहीं कर पा रहे है और इस तकनीकी दिक्कत के चलते राज्य के लाखों किसानों का अनुदान लटका पडा हुआ है. ऐसे में इस अनुदान को प्राप्त करने के लिए केवायसी पूर्ण कराने हेतु किसानों द्वारा महा ई-सेवा केंद्र एवं सीएससी सेंटरों के चक्कर काटे जा रहे है.
बता दें कि, मौसम में अकस्मात हुए बदलाव की वजह से कहीं पर बेमौसम पानी बरस रहा है, तो कहीं पर पानी की भयानक किल्लत हो रही है. वहीं गत वर्ष मानसून का आगमन काफी विलंब से हुआ और जुलाई माह में चहूंओर कुछ हद तक समाधानकारक बारिश हुई. जिसके चलते बुआई के काम में गति पकडी. लेकिन अगस्त माह में बेहद कम बारिश हुई थी. साथ ही 21 दिनों तक बारिश नदारद भी रही. जिसकी वजह से खरीफ के सीजन में कपास, सोयाबीन, मूंग, उडद व मक्का की फसलों का अच्छा खासा नुकसान हुआ था.
इसके बाद सितंबर माह में हुई अतिवृष्टि ने मुंह तक आया निवाला छिन लिया था. कम दिनों और कम समय में ज्यादा बारिश बरसने की वजह से फायदा कम व नुकसान ज्यादा हुआ तथा उपज काफी हद तक घट गई. जिसके पंचनामें करते हुए प्रशासन ने सरकार के पास रिपोर्ट भेजी थी और सरकार ने नुकसान भरपाई घोषित की थी. परंतु इसके लिए किसानों हेतु बैंक केवायसी करना अनिवार्य किया गया. जिसके बिना उनके बैंक खातों में अनुदान की राशि जमा ही नहीं होती. इस बात से ज्यादातर किसान अनभिज्ञ है और ऐसे सभी किसानों का अनुदान अटका पडा है. जिन किसानों ने पहले ही केवायसी कर ली थी, उन्हे ंअनुदान मिलने के चलते अन्य किसानों को इसकी जानकारी मिली और वे भी इस हेतु जागरुक हुए. जिसके चलते अब सभी किसान केवायसी करने के लिए महा ई-सेवा केंद्र व सीएससी सेंटर पहुंच रहे है. परंतु विगत करीब 25 दिनों से केवायसी का पोर्टल बंद पडा है. ऐसे में केवायसी पूर्ण करने का काम नहीं हो पा रहा है. जिसके चलते संबंधित किसानों का अनुदान लटका पडा है.
* नये सीजन की हो चुकी शुरुआत
इस समय रबी ज्वार, हरभरा, व गेहूं जैसी रबी फसलों की कटाई व बिनाई अंतिम चरण में है. साथ ही गुढीपाडवा से आगामी खरीफ सीजन के लिए नांगरणी, वखरणी जैसी खेत मशागत के काम सहित सालदार तय करने और खेत को बंटाई अथवा ठेके से देने जैसे कामों की शुरुआत हो चुकी है. जिसके चलते इस समय किसानों को पैसों की बेहद सख्त जरुरत भी है. ऐसे समय गत वर्ष हुए नुकसान की भरपाई का अनुदान किसानों को त्वरित मिलना बेहद जरुरी है.
* अपग्रेडेशन का काम शुरु
इस संदर्भ में जानकारी हेतु संपर्क किये जाने पर स्थानीय जिला प्रशासन द्वारा बताया गया कि, पोर्टल के अपग्रेडेशन का काम चल रहा है. परंतु यह काम कब तक पूरा होगा और पोर्टल को शुरु होने में कितना वक्त लगेगा, यह अभी तय नहीं है. ऐसे में जिले के नुकसान प्रभावित किसानों द्वारा सरकार एवं प्रशासन से यह मांग की जा रही है कि, जब तक किसानों को ई-केवायसी की प्रक्रिया पूर्ण होकर मुआवजे का अनुदान नहीं मिल जाता, तब तक ब्याज सहित बकाया कर्ज की वसूली न की जाये.