अमरावती

मजदूर विजय की दुखभरी दास्तां, जीवन से कर रहा संघर्ष

धारणी/दि.13- ‘साहब, मुझे अमरावती मत भेजा, मेरे पास पैसा नहीं है, मेरा इलाज यहीं करें’, ऐसी गुहार एक मजबूर मजदूर द्वारा लगाई जा रही है. धारणी मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूरी पर चिचघाट के मजदूर विजय जगन जांभेकर 22 की दुखभरी दास्तान है. माता-पिता मृत्यु हुई. एक बहन है. जिसका विवाह मध्यप्रदेश में हुआ. विजय जांभेकर मजदूरी कर जीवन यापन कर रहा है. पिछले साल उसे रक्त की कमी रहने से उपजिला अस्पताल में भर्ती किया गया था. उसके शरीर में केवल तीन ग्राम रक्त होने की बात पता चली. धारणी में रक्त की सुविधा नहीं रहने से विजय जांभेकर को जिला मुख्यालय सामान्य अस्पताल में रेफर किया गया. पिछले साल वह करीब आठ दिनों तक उपजिला अस्पताल में भर्ती था. उसका उपचार पूर्ण होने से उसे अस्पताल से डिस्चार्ज दिया गया. जेब में पैसे नहीं और 150 किमी का सफर तय करना उसके लिए एक चुनौती था, फिरभी उसने पैदल चलकर चुनौती पूरी की. इसके बाद जैसे तैसे वह अपने गांव लौटा. शरीर में रक्त नहीं रहने और और रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं रहने से मजदूरी करते-करते उसके शरीर में फिर से रक्त की कमी हुई. सप्ताह भर खाना नहीं पचने से वह 8 मई को उपजिला अस्पताल पहुंचा. सौभाग्य से अस्पताल में रक्त की व्यवस्था थी, जिससे उसे दो दिन से रक्त उपलब्ध कराया गया. और फिरसे अमरावती रेफर किया गया. यह सुनकर उसने कहा कि, साहब, मेरे पास पैसा नहीं है. तुम मेरा इलाज यहीं कर दो, ऐसा कहकर वह उपजिला अस्पताल में अपना इलाज करवा रहा है. विजय पर उपचार शुरु रहने पर भी भविष्य में उसे उपचार मिल पाएगा या नहीं? यह सवाल अनुत्तरीत है. मेलघाट में कई मरीजों को उपचार के लिए अमरावती के जिला अस्पताल में रेफर किया जाता है. पैसे के अभाव में गांव में भूमका परिहार के पास जाते है. जिसके कारण कईयों को अपनी जान गंवानी पडती है. लेकिन विजय जांभेकर को उपजिला अस्पताल में सुविधा उपलब्ध होने से इलाज जारी है. उपजिला अस्पताल की ओर से विजय जांभेकर का ध्यान रखा जा रहा है.

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