अमरावती

कोरोना में लाखों का ‘डी-डायमर टेस्टिंग’ घोटाला

नरोटे के निजी लैब में जांच, मशीन न रहने के बावजूद रिपोर्ट

इर्विन के लैब टेक्निशीयन का भी समावेश
अमरावती/दि.6- स्थानीय सुपरस्पेशालिटी के वैद्यकीय अधीक्षक डॉ. अमोल नरोटे पर निजी लैब चलाए जाने का आरोप किया जा रहा है. इसी निजी लैब में कोरोना मरीजों की ‘डी-डायमर टेस्टिंग’ की गई थी. इसमें भी उन्होंने घोटाला किया रहने की चर्चा स्वास्थ्य क्षेत्र में है. जिला अस्पताल के लैब टेक्निशीयन के रुप में कार्यरत कर्मचारियों का भी इसमें समावेश रहने की जानकारी है.
सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में कार्यरत वैद्यकीय अधिकारी तथा कर्मचारियों को किसी भी निजी अस्पताल में अथवा दूसरों के नाम पर अस्पताल में निजी प्रैक्टिस करने पर पाबंदी है. वैसा पाए जाने पर कार्रवाई के आदेश है, इस कारण निजी लैब चलाने का आरोप होने पर सुपरस्पेशालिटी असपाल के वैद्यकीय अधीक्षक डॉ. नरोटे फिलहाल जांच के घेरे में आ गए है. वे कोरोनाकाल में जिला अस्पताल में प्रभारी निवासी वैद्यकीय अधिकारी थे. शासकीय अस्पताल में ‘डी-डायमर टेस्टिंग’ मशीन न रहने से उन्होंने पद का दुरुपयोग कर कोरोना मरीजों की ‘डी-डायमर टेस्टिंग’ उनके निजी लैब में करवा ली. विशेष यानी इस निजी लैब में ‘डी-डायमर टेस्टिंग’ मशीन ही नहीं थी फिर भी रिपोर्ट दिए जाने का आरोप हो रहा है. इस प्रकरण में जिला अस्पताल के एनसीडी विभाग में लैब टेक्निशीयन धनंजय खंडारे का समावेश रहने की चर्चा स्वास्थ्य विभाग में है. कोरोनाकाल में पॉजिटीव मरीजोंं की ‘डी-डायमर टेस्टिंग’ भी की जा रही थी. विशेषज्ञों की राय के मुताबिक किसी मरीज में कोरोना का प्रमाण अधिक रहा तो शरीर में खून की गठान का प्रमाण गिनने के लिए यह जांच की जा रही थी. विशेषत: फुफ्फुस में तथा शरीर में खून की गांठ तैयार होने से संबंधित मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है और रक्तवाहिनी में भी दुविधा निर्माण होती है.
स्वास्थ्य उपसंचालक के पास जांच रिपोर्ट कब
सुपरस्पेशालिटी के प्रभारी वैद्यकीय अधिकारी निजी लैब चलाते रहने का आरोप रश्मी राउत ने किया है. उनकी इस शिकायत के बाद स्वास्थ्य उपसंचालक ने जिला शल्यचिकित्सक को इस शिकायत के आधार पर जांच समिति गठित करने के आदेश दिए थे. लेकिन एक माह बितने के बाद भी समिति की रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है. जिला शल्य चिकित्सक के पास रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद यह रिपोर्ट स्वास्थ्य उपसंचालक कार्यालय के पास प्रस्तुत होने वाली है.
निजी लैब चलाना कानूनन अपराध
शासकीय सेवा में रहते निजी लैब चलाना अथवा प्रेक्टिस करना यह कानूनन अपराध है. लेकिन संबंधित डॉक्टर के पास न्यायालय की तरफ से यदि अनुमति मिली होगी तो उसे शासकीय समय के अलावा काम करते आ सकता है. डॉ. अमोल नरोटे के प्रकरण में फिलहाल जांच जारी है. इस कारण जांच समिति की रिपोर्ट में यदि दोषी पाए गए तो नियम के मुताबिक उन पर कार्रवाई की जाएगी.
– डॉ. तरंगतुषार वारे,
स्वास्थ्य उपसंचालक अकोला

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