मेलघाट के पहाडी रास्तों पर दम तोड रही ‘लालपरी’
घाट के घुमावदार रास्तों पर उपर चढ ही नहीं पाती एसटी बसें
* कई बार बीच रास्ते में बसे हो जाती है फेल, यात्री त्रस्त
अमरावती/दि.6– मेलघाट के धारणी व चिखलदरा तहसीलों के आदिवासी गांवों तक पहुंचने हेतु पहाडों से होकर गुजरने वाले घुमावदार रास्तों से होते हुए जाना होता है. जिसमें से कई रास्तों पर सीधी चढाई भी है. ऐसे में इन रास्तों से होकर गुजरने हेतु वाहनों का पूरी तरह से अच्छी स्थिति में रहना जरुरी होता है. परंतु मेलघाट के धारणी व चिखलदरा तहसील अंतर्गत आदिवासी गांवों के लिए परतवाडा बस डिपो से छोडी जाने वाली अधिकांश एसटी बसे जर्जर व खस्ताहाल होती है, जो पहाडी रास्ते पर चढने में पूरी तरह से असमर्थ रहती है और कई बार ऐसी बसे बीच रास्ते में ही बंद पड जाती है. जिसके चलते अक्सर यात्रियों को एसटी बस को धक्का लगाना पडता है, या फिर बंद पडी बस से नीचे उतरकर पीछे से आने वाली दूसरी बस का इंतजार करना पडता है. ऐसा ही एक मामला बुधवार की सुबह 9 बजे घटित हुआ. जब परतवाडा आगार से रवाना हुई एसटी बसा पहाडी रास्ते के चढाव पर बीचों बीच बंद पड गई और बस में सवार यात्रियों सहित विद्यार्थियों को बस से नीचे उतरकर दूसरी बस के आने का इंतजार करना पडा.
बता दें कि, परतवाडा आगार की अधिकांश बसे बेहद पुरानी हो चुकी है, जो जर्जर व खस्ताहाल में पहुंच चुकी है. ऐसे में परतवाडा आगार में 20 नई इलेक्ट्रीक बसे आने की प्रतीक्षा की जा रही है, जो अब तक प्राप्त नहीं हुई है. जिसके चलते कबाड बसों के जरिए ही परतवाडा आगार का कामकाज चल रहा है और मेलघाट के धारणी व चिखलदरा तहसीलों के दुर्गम गांवों के लिए भी ऐसी बसों को ही भेजा जा रहा है, जो बीच रास्ते में ही दम तोड रही है. यूं तो परतवाडा आगार में नादुरुस्त बसों की दुरुस्ती के लिए स्वतंत्र यांत्रिक विभाग भी है. परंतु इस समय जिस तरह की बसे परतवाडा आगार में है, उन्हें सुधारना यांत्रिक विभाग के लिए भी मुश्किल साबित हो रहा है.
* विद्यार्थियों व यात्रियों के हाल-बेहाल
परतवाडा आगार से बुधवार की सुबह 9 बजे धामणगांव गढी होते हुए चिखलदरा जाने हेतु निकली एसटी बस मनभंग गांव के निकट पहाडी रास्ते पर आगे ही नहीं बढ पा रही थी. उस समय बस में सवार सभी यात्रियों को यह डर लगने लगा कि, बस कही पीछे जाकर खाई में न उलट जाये. हालाकि बस चालक ने सतर्कता दिखाते हुए बस को जैसे-तैसे सडक किनारे ले जाकर खडा किया. जिसके बाद सभी यात्रियों को बस से उतरकर पीछे से आने वाली दूसरी बस में सवार होकर जाने के लिए कहा गया. इन यात्रियों में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था व महाविद्यालय में पढने वाले छात्र-छात्राओं का भी समावेश था. जिन्हें अपनी शिक्षा संस्थाओं में पहुंंचने हेतु विलंब का सामना करना पडा.