मेलघाट के मवेशियों में फैला लंपी स्क्रीन डीसीज का संक्रमण
मध्यप्रदेश से हुआ बीमारी का प्रवेश, पोले के पर्व से हुआ प्रसार
* पाडीदम व झिल्पी गांव का 10 किमी परिसर किया गया प्रतिबंधित
* पशु खरेदी-बिक्री, यातायात, बाजार, मेला, प्रदर्शनी व बैलों की दौड पर लगी रोक
* जिलाधीश पवनीत कौर ने जारी किये सख्त दिशा-निर्देश
अमरावती/धारणी/दि.5- इस समय जिले के आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र की धारणी तहसील अंतर्गत आनेवाले कई गांवों में लंपी स्कीन डीसीज नामक बीमारी का गाय व बैल जैसे पालतु मवेशियों में संक्रमण देखा जा रहा है. विशेष तौर पर पाडीदम व झिल्पी गांव के बैलों में लंपी वायरस का संक्रमण होने के चलते दोनों गांवों के बैल बडे पैमाने पर बीमार पड रहे है. यह बीमारी संसर्गजन्य रहने के चलते जिलाधीश पवनीत कौर ने इन गांव परिसर के 10 किमी क्षेत्र को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर दिया है.
पता चला है कि, मेलघाट क्षेत्र में इस बीमारी का संक्रमण मध्यप्रदेश से हुआ है और विगत दिनों जब पोले के पर्व पर गांव के सभी बैलों को गांव में एक जगह पर सामूहिक रूप से इकठ्ठा किया गया और बैलों की दौड स्पर्धा आयोजीत की गई, तो पहले से संक्रमण की चपेट में रहनेवाले बैलों के संपर्क में आकर दूसरे बैल भी इस बीमारी की चपेट में आ गये. जिसकी वजह से अब इन संक्रमित बैलों के साथ एक ही तबेले में रहनेवाले अन्य पालतु मवेशी भी संक्रमण की चपेट में आ रहे है. इस बात के मद्देनजर लंपी वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने हेतु जिला प्रशासन ने प्रभावित गांवों को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर दिया है. साथ ही 10 किमी के दायरे में पालतु मवेशियों की खरीदी-बिक्री, ढुलाई, बाजार व प्रदर्शन तथा बैलोें की दौड स्पर्धा जैसे आयोजनों पर अगले आदेश तक पाबंदी लगा दी गई है.
बता दें कि, मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र के विधायक राजकुमार पटेल के पैतृक गांव झिल्पी सहित पाडीदम गांव में करीब 50 बैलों ने लंपी वायरस की चपेट में आने के बाद चारा-पानी पूरी तरह से छोड दिया है और इन बैलों को लगातार बूखार आ रहा है. ऐसे में संक्रमण को रोकने हेतु पशुपालकों सहित पशु वैद्यकीय अधिकारियों द्वारा महत प्रयास किये जा रहे है. जिसके तहत पशु वैद्यकीय विभाग के दल लगातार मेलघाट क्षेत्र के विभिन्न गांवों का दौरा करते हुए वहां पर संक्रमण की चपेट में रहनेवाले जानवरों का इलाज कर रहे है. साथ ही निरोगी जानवरों को प्रतिबंधात्मक टीके भी लगाये जा रहे है.
* उडीसा से हुई बीमारी की शुरूआत
बता दें कि लंपी स्कीन डीसीज नामक इस बीमारी की शुरूआत भारत में सर्वप्रथम वर्ष 2019 के दौरान उडीसा राज्य से हुई थी और इस बीमारी का प्रसार पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ, आंधप्रदेश व केरल में होना शुरू हुआ. जिसके बाद देखते ही देखते यह बीमारी देश के अन्य कई राज्योें में फैलने लगी.
* अब तक 55 जानवर आये है चपेट में
जिला पशु संवर्धन अधिकारी डॉ. पुरूषोत्तम सोलंके द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक अब तक मेलघाट क्षेत्र के झिल्पी गांव में 36 तथा पाडीदम गांव में 19 ऐसे 55 जानवरों को लंपी स्कीन डीसीज ने संक्रमित किया है. हालांकि इस बीमारी की वजह से अब तक किसी भी मवेशी की जान जाने की जानकारी नहीं है. परंतु झिल्पी गांव में इस बीमारी की वजह से दो बैलों के मारे जाने की चर्चा चल रही है. जिसकी पशु वैद्यकीय विभाग द्वारा अब तक पुष्टि नहीं की गई.
* संक्रमित मवेशियों को आयसोलेशन में रखा जायेगा
पशु चिकित्सकों के मुताबिक मच्छर एवं गोचिड की वजह से यह बीमारी एक जानवर से दूसरे जानवर तक फैलती है. ऐसे में संक्रमण की चपेट में आये सभी बैलों को आयसोलेशन के तहत अन्य जानवरों से अलग-थलग रखा गया है. वही अन्य मवेशियों को सुखे एवं साफ-सूथरे स्थानों पर रखने का निर्देश पशुपालकों को दिया गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि, अगर जानवरों का तबेला साफ-सूथरा और सूखा रहता है, तो वहां पर मच्छर और गोचिड जैसी बीमारियां नहीं फैल पाती. ऐसे में पशु वैद्यकीय विभाग द्वारा मवेशी पालकों को इस संदर्भ में जागरूक भी किया जा रहा है.
* टीकाकरण शुरू
लंपी वायरस के संक्रमण को रोकने हेतु पशु वैद्यकीय अधिकारी जयवंत आडे ने अपनी टीम के साथ झिल्पी गांव में तंदुरूस्त जानवरों को गोट पॉक्स दवाई का टीका लगाना शुरू कर दिया है. साथ ही संक्रमण की चपेट में रहनेवाले जानवरों का बूखार उतारने हेतु उन्हें पॅरासिटामल का डोज भी दिया जा रहा है. इसके अलावा आसपास के परिसर स्थित गांवोें में रहनेवाले निरोगी जानवरों को भी आवश्यक दवाईयों के टीके दिये जायेंगे.
* टीकाकरण का हो रहा विरोध
कोविड टीकाकरण का विरोध करनेवाले आदिवासियों द्वारा अब जानवरों को लगाये जानेवाले लंपी वायरस प्रतिबंधात्मक डोज के टीकाकरण का भी विरोध किया जा रहा है. आदिवासियों का कहना है कि, यह दैवीय प्रकोप है और टीकाकरण की वजह से उनके जानवर मर जायेंगे. ऐसे में अब पशुवैद्यकीय अधिकारियों के समक्ष आदिवासियों की अंधश्रध्दा को दूर करने की भी चुनौती है.
* अन्य गांवों में भी संक्रमण
धारणी तहसील के अन्य कुछ गांवों में भी बैलोें के लंपी वायरस से संक्रमित होने की जानकारी सामने आ रही है. जिनमें धुलघाट रोड, दहेंडा, टिंगर्या, कालपी, खार्या, सोनाबर्डी व रत्नापुर इन गांवों का समावेश है. इसमें से कुछ स्थानों पर जानवरों की मौत भी हुई है, लेकिन इसे सामान्य मौत मानकर अपनी अज्ञानता के चलते नागरिकों ने पशु वैद्यकीय अधिकारियों को इसकी जानकारी भी नहीं दी.
इस संदर्भ में जिलाधीश पवनीत कौर का कहना रहा कि, आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में वैसे ही जानकारियों का काफी अभाव रहता है और इस परिसर में दैविय प्रकोप को लेकर काफी अंधश्रध्दा व मान्यता भी व्याप्त है. इस बात के मद्देनजर जिला प्रशासन द्वारा पशु वैद्यकीय व पशु संवर्धन विभाग के साथ मिलकर तमाम जरूरी कदम बडी ही सावधानी के साथ उठाये जा रहे है, ताकि इस बीमारी के फैलाव को रोका जा सके.