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जमीन विकास टेंडर प्रक्रिया पारदर्शी

औद्योगिक वसाहत सातुर्णा संस्था का खुलासा

* अध्यक्ष लढ्ढा ने कहा सभी निर्णय सर्वसम्मति से
* 80 हजार वर्गफीट विकसित इमारत मिलेगी
* सुपर बिल्डअप में कुल 1 लाख वर्गफीट से अधिक
अमरावती/दि.10- औद्योगिक वसाहत सहकारी संस्था सातुर्णा के अध्यक्ष वीरेंद्र लढ्ढा ने आज दोपहर स्पष्ट किया कि संस्था के 57 हजार वर्गफीट से अधिक जमीन के विकास का विकासक के माध्यम से करने का निर्णय सर्वसम्मति से और सभी सभासदों को विश्वास में लेकर किया गया. गत 3 वर्षो से यह प्रक्रिया जारी थी और अभी भी चयनित टेंडर धारक ड्रिम्स सीटी कमर्शीयल को कोई भी डिल फाइनल नहीं हुई हैं. इस बारे में उपनिबंधक और उद्योग विभाग के महाप्रबंधक व्दारा प्राप्त निर्देश के बारे में दस्तावेज अगले सप्ताह प्रस्तुत कर दिए जाएंगे. लढ्ढा आज दोपहर राजापेठ स्थित श्रमिक पत्रकार भवन में आयोजित प्रेसवार्ता में बोल रहे थे. उनके साथ संचालक मंडल के सर्वश्री सुरेंद्र सिंह ठाकुर, राजेंद्र बुच्चा, विलास मराठे, सुरेंद्र देशमुख, किशोर नालमवार, नितिन जाधव, हेमंत ठाकरे, विनोद कलंत्री, सौ. हर्षा अग्रवाल आदि भी उपस्थित थे. लढ्ढा ने औद्योगिक वसाहत सहकारी संस्था सातुर्णा के बडे प्लॉट के विकास के टेंडर और प्रक्रिया पर संस्था के सभासद दिलीप एडतकर व्दारा उठाए गए अनेक प्रश्नों और मुद्दों का खुलासा किया. एक-एक बात का जवाब निर्णय सर्वम्मति से और पारदर्शी रुप से होने की बात कही.
* लोकल समाचारपत्रों में विज्ञापन
लढ्ढा से पूछा गया कि, इतने बडे लाखों वर्गफीट के निर्माण विकास कार्य की निविदा स्थानीय समाचारपत्रों में ही क्यों प्रकाशित की गई. राज्य और राष्ट्रीय स्तर के समाचारपत्रों में प्रकाशन से और अच्छे ऑफर्स मिल सकते थे, तो उनका जवाब रहा कि, संस्था की सभा में ही पहले स्थानीय स्तर पर निविदा का विज्ञापन देने का निर्णय किया गया. फिर अगले दौर में बडे समाचारपत्रों में जाने की सोची थी. यह निर्णय सभी की सम्मति से करने का उन्होंने दावा किया.
* निविदा दो, फिर भी फाइनल
लढ्ढा ने केवल तीन निविदा आने और उसमें भी सभी शर्तो को पूर्ण करने वाले सिर्फ दो ऑफर विवानता और ड्रिम्स सीटी के रहने पर भी दोबारा निविदा न बुलाने संबंधी प्रश्न पर खुलासा किया कि, कुल छह निविदा फार्म उठाए गए थे. जिसमें तीन फर्म के ही टेंडर आए. केवल विवानता और ड्रिस्म सीटी ने सभी शर्तो को पूर्ण किया था. हमारी विशेषज्ञ समिति जिसमें दो चार्टड अकाउंटंट महेश लढ्ढा, पवन पुरोहित और दो सिविल इंजीनियर डॉ.एसपी बाजड और आरडी देशमुख, संचालक मंडल से सुरेंद्र देशमुख तथा विलास मराठे थे. उन्होंने इन दोनो निविदा को संपूर्ण पाया. दोनों फर्मो ने 10 लाख के डिपॉजिट और 2-2 करोड की बैंक गारंटी दी थी. मनपा से नक्शा बनवाने से लेकर उसे पास करवाने के सभी काम करने का भी जिम्मा लिया था. फिर ऑफर खोलने पर विवानता समूह जहां 60 हजार वर्गफीट विकसित जगह देने पर राजी था. वहीं ड्रिम्स सीटी ने 80 हजार वर्गफीट कार्पोरेट क्षेत्र देने की हामी भरी. उसी प्रकार सुपर बिल्डअप में यह जगह 1 लाख वर्गफीट से अधिक होने का दावा लढ्ढा ने किया. उन्होंने कहा कि, ड्रिम्स सीटी का ऑफर संस्था ने मंजूर किया हैं. मगर अभी फाइनल नहीं हुआ हैं. उपनिबंधक और उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक भी संस्था के संचालक के रुप में मान्यता रखते हैं. इन दोनों की तरफ संस्था के सभासद ने शिकायत दी. उन्हें अगले दो दिनों में संपूर्ण प्रक्रिया के सभी दस्तावेज आदेशानुसार प्रस्तुत किए जाएंगे.
* 80 कमरों का होटल और कैंटीन, अस्पताल
लढ्ढा से पूछा गया कि, संबंधित बिल्डर ग्राउंडफ्लोर खुद रखेंगे और संस्था को उपरी मंजिल दी जाएगी. इस बारे में उन्होंने स्पष्ट किया कि ग्राउंडफ्लोर पर होटल का स्वागत कक्ष, कैंटीन और औद्योगिक वासहत के कर्मचारियों के लिए डेकेयर अस्पताल रहेगा. उपरी मंजिल पर 75-80 कमरों का होटल रहेगा. जिससे होने वाली सालाना अनुमानित डेढ-दो करोड की आमदनी से संस्था का रखरखाव और अन्य खर्च होंगे.
* भरपूर पार्किंग
प्रस्तावित मॉल में संस्था को 1 लाख वर्गफीट से अधिक जमीन मिलने का दावा कर उसका मूल्य 35-37 करोड होने का दावा भी अध्यक्ष लढ्ढा ने किया. उन्होंने बताया कि बिल्डर ने 140 कारें और 560 स्कूटर पार्क हो जाए इतना पार्किंग स्पेस भी संस्था को ऑफर किया हैं.
* संस्था ने खुद क्यों नहीं किया विकास
संस्था व्दारा किसी बाहरी फर्म को बडनेरा रोड जैसे स्पॉट पर हजारों वर्गफीट की रोडटच जमीन का विकास का निर्णय क्यों किया गया. उसने स्वयं क्यों नहीं बैंक अथवा आर्थिक संस्था के माध्यम से विकास का निर्णय किया? जैसे प्रश्नों पर लढ्ढा ने कहा कि, इस प्रक्रिया के लिए मौखिक रुप से कुछ बैंकों से बात की थी. पत्रव्यवहार नहीं किया गया. किंतु मौखिक रुप से ही जानकारी मिली कि 80 करोड के प्रकल्प हेतु 25 प्रतिशत अर्थात 20 करोड की अपनी तैयारी लगती और उतना फंड संस्था के पास न रहने के कारण आमसभा बुलाकर सभी सदस्य और संचालकों की सहमति से बिल्डर के जरिए जमीन का विकास करने का निर्णय किया गया.
* जमीन संस्था की
औद्योगिक वसाहत सहकारी संस्था सातुर्णा के अध्यक्ष लढ्ढा ने दस्तावेज दिखाकर दावा किया कि, 2010 में ही जमीन का प्रयोजन बदलने और वह संस्था के नाम पर कर ली गई. इस बाबत आवश्यक सभी दस्तावेज संस्था के पास हैं. कलेक्टर और तहसीलदार के माध्यम से आवेदन और आवश्यक प्रक्रिया कर जमीन संस्था के नाम पर की गई. उन्होंने जमीन वनीकरण प्रयोजन की होने का भी खंडन किया. संस्था ने तीन बार जमीन पर वृक्षारोपण किया था. किंतु लोगों ने पौधे उखाड दिए और कई बार बनाई गई सुरक्षा दीवार भी तोड देने की बात लढ्ढा ने कही. उन्होंने प्रश्नों के जवाब में बताया कि, जमीन को बी से अ वर्ग की श्रेणी में लाया गया हैं. नापजोख भी पूर्ण कर ली गई हैं. गत 3 वर्षो से संस्था के जमीन विकास प्रकल्प की चर्चा चल रही थी. कुछ सभाओं में एडतकर अनुपस्थित रहे फिर भी उन्होंने कभी विरोध नहीं किया. टेंडर प्रक्रिया होने पर विरोध कर रहे हैं. आज भी एडतकर 100 करोड में जमीन ले तो संस्था देने तैयार हैं. ऐसा भी लढ्ढा ने दोहराया.

* सर्वसम्मति से चुनाव
वीरेंद्र लढ्ढा ने 30 वर्षो से उनके ही अध्यक्ष रहने के प्रश्न पर कहा कि, संस्था के सभासदों का उन पर विश्वास हैं. उन्होंने कहा कि संस्था के चुनाव सर्वसम्मति से होते आए हैं.

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