* श्रद्धांजलि देने के लिए हजारों की उमडी भीड
अमरावती/ दि.30- संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ के कुलपति प्रा. डॉ. दिलीप मालखेडे के पार्थिव पर कल रविवार के दिन हिंदु स्मशानभूमि में अंतिम संस्कार किया गया. उनके बेटे ऋषिकेश मालखेडे ने मुखाग्नी दी. डॉ. मालखेडे के निधन से पूरे संभाग में शोक की लहर है. हिंदु स्मशानभूमि में उन्हें अंतिम बिदाई देने, श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए हजारों अनुयायियों की भीड उमडी थी.
इस समय राज्यपाल और सरकार की ओर से विभागीय आयुक्त डॉ. दिलीप पांढरपट्टे ने स्व. मालखेडे के पार्थिव पर पुष्पचक्र अर्पित किया. इसी तरह अमरावती प्रशासन की ओर से प्रभारी जिलाधिकारी अविश्यांत पंडा, तहसीलदार अनिल भटकर, राजस्व अधिकारी मिलिंद कोली, विद्यापीठ की ओर से कुलपति डॉ. विजयकुमार चौबे, कुलसचिव डॉ. तुषार देशमुख ने पुष्पांजलि अर्पित की. इसके अलावा सांसद नवनीत राणा, विधायक रवि राणा, विधायक रणजित पाटील, विधायक सुलभा खोडके ने भी पार्थिव पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.
अंत्यविधि के पश्चात शोकसभा ली गई. समाज की ओर से डॉ. मालखेडे के मामा डॉ. राजीव जामठे ने शोक व्यक्त किया और कहा कि, आज हमने समाज का हिरा खो दिया है. मैंने उनका बचपन देखा है. वह एक बीज से विशाल वृक्ष का रुप धारण कर चुका था. हर किसी की सहायता के लिए खडा रहता था. उसके मश्किल वक्त में मैंने कई बार उसका मार्गदर्शन और समर्थन किया. उसकी बुध्दि काफी प्रखर थी. कडी मेहनत, दृढ संकल्पना, उत्कृष्ट प्रशासन, अनुसंधान और दृष्टिकोन से वह पुणे, दिल्ली तथा अमरावती में कुलपति जैसी जिम्मेदारी संभाल सका है. उसका सपना था कि, वह अमरावती विश्वविद्यापीठ को काफी उंचाई पर ले जा सके. उसे पद का कभी घमंड नहीं रहा. वह किसी दुख बर्दाश्त नहीं कर पाता था. उसक स्वभाव हमेशा विनम्र था. कुलपति के रुप में उसने विद्यार्थियों के लिए कई योजनाएं लाई, मगर वे हमें बीच रास्त छोड गया है. जिससे समाज को बहुत बडी हानी हुई है. डॉ. दिलीप मालखेडे को शांति और उनके परिवार को दुख सहने की शक्ति मिले ऐसी कामना की.
सुबह शहर के गणमान्यों ने उनके आवास स्थान पर पहुंचकर अंतिम दर्शन किये. एनसीसी के छात्रों व्दारा कुलपति के पार्थिव को मानवंदना दी गई. उसके बाद उनकी अंत्ययात्रा हिंदु स्मशान भूमि के लिए निकाली गई. स्मशान भूमि में सैकडों लोगों ने डॉ. दिलीप मालखेडे को सामुहिक रुप से श्रद्धांजलि अर्पित की. इस समय श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल की ओर से बिगुल व्दारा शोक धून के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की गई. अंतिम संस्कार के समय पूर्व महापौर मिलिंद चिमोटे, भाजपा के प्रदेश प्रवक्त शिवराय कुलकर्णी, पूर्व सिनेट सदस्य प्रा. दिनेश सूर्यवंशी, अमोल ठाकरे, अमरावती चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष विनोद कलंत्री, देवदत्त शर्मा, न्युटा के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण रघुवंशी, सिनेट सदस्य प्रशांत विघे, विद्यापीठ के पीआरओ विलास नांदुरकर, राष्ट्रवादी के नेता संजय खोडके, विद्यापीठ के पूर्व परीक्षा नियंत्रक डॉ. हेमंत देशमुख, प्रा. डॉ. वर्षा देशमुख, वंचित बहुजन आघाडी के प्रत्याशी डॉ. अनिल अमलाकर, अकोला के सिनेट सदस्य आर. डी. सिकची, विद्यापीठ मराठी विभाग प्रमुख डॉ. मोना चिमोटे, विज्ञान व तकनिकी ज्ञान शाखा के अधिष्ठाता एफ.सी. रघुवंशी, प्राचार्य फोरम के अध्यक्ष प्राचार्य डॉ. आरडी सिकची, प्राचार्य फोरम के सचिव प्राचार्य डॉ. निलेश गावंडे आदि उपस्थित थे.
इनके अलावा प्राचार्य अनिल ठाकरे, उप रजिस्ट्रार मंगेश वरखेडे, पूर्व सिनेट सदस्य प्रफुल गवई, शिक्षा मंच के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप खेडकर, प्राचार्य दीपक धोटे, प्राचार्य रामेश्वर भीसे, प्राचार्य डॉ. संतोष ठाकरे, सिनेट सदस्य डॉ. संतोष कुटे, प्राचार्य सुभाष गवई, सीनेट सदस्य डॉ. संदीप वाघोले, एड. अरुण ठाकरे, अमरावती डायबेटिक एसोसिएशन के सचिव राजेश पिदड़ी, शिवाजी शिक्षा संस्था के सदस्य हेमंत कालमेघ, बालासाहब यादगिरे, पूर्व उप रजिस्ट्रार प्रवीण राठोड, सहायक रजिस्ट्रार डॉ. वीरेंद्र निमजे, हरीशदास ठानेकर, अशोक घवले, रामराव मोहकर, दिनकरराव चौधरी, सिटी न्यूज के डॉ. चंदू सोजतिया, देवेंद्र धुमाले, राकांपा शहराध्यक्ष प्रशांत डवरे, रमेश काठोले, प्राचार्य हर्षद मालधूरे, डॉ. ओमप्रकाश मुंदे, डॉ. दिनेश खेडकर, डॉ. दिनेश सातंगे, डॉ. सुभाष गावंडे, डॉ. संजय ईश्वरकर, डॉ. महेंद्रसिंह पवार, डॉ. चंद्रशेखर सावरकर, राजेश डांगे, गणेश भारती, डॉ. संतोष बनसोड, प्रा. डॉ. देवलाल आठवले, प्रा. कमलाकर बायस समेत शैक्षिक, सामाजिक, वं औद्योगिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, प्रशासनिक क्षेत्रों से बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिकों के साथ-साथ मालखेड़े परिवार के सदस्य और रिश्तेदार बडी संख्या में उपस्थित थे.
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शिक्षा क्षेत्र को भारी नुकसान
प्रभारी कुलपति डॉ. विजयकुमार चौबे ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि, कुलपति डॉ. दिलीप मालखेडे का निधन हो जाने के कारण शिक्षा क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ है. पद संभालने के बाद केवल छह माह के अंदर कुलपति के रुप में उन्होंने अपने कार्य का काफी दायरा बढाया. उनकी दुरदृष्टि की वजह से विद्यापीठ में कई नई योजनाएं, नीतियों और सुधारों को गति मिली है. इस कम वक्त में विद्यापीठ की प्रतिष्ठा में काफी वृध्दि हुई है. उनमें काम करने की अपार ऊर्जा भरी हुई थी. उनके मार्गदर्शन में कार्य करने से हमें भी ऊर्जा मिलती थी, अगर वे पूरे वक्त हमारे साथ होते, तो इस विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और प्रशासनिक समेत अन्य विकासों को गति मिलती थी. हम सभी सौभाग्यशाली है कि, हमें उनके मार्गदर्शन में काम करने का अवसर मिला और श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शोकाकुल परिवार को दुख सहन करने की ईश्वर शक्ति दे, ऐसी प्रार्थना की.