अमरावती

विगत वर्ष सोयाबीन को गांरटी भाव से दुगना भाव तथा कपास को डेढ गुना भाव मिला

सोयाबीन और कपास के क्षेत्र २५ हजार हेक्टर से बढेंगे

अमरावती/ दि. २७– कपास और सोयाबीन यह खरीफ सीजन में मुख्य फसल के रूप में ली जाती है. इस दौरान पिछले वर्ष सोयाबीन को और कपास को बाजार में संतोषजनक भाव मिला था. इस बार कपास को इतिहास में सर्वोच्च भाव मिल रहा है. जिसके कारण आगामी खरीफ सीजन में जिले में कपास और सोयाबीन की बुआई क्षेत्र में लगभग २५ हजार हेक्टर क्षेत्र की वृध्दि होने का अनुमान कृषि विभाग की ओर से व्यक्त किया गया है.
विगत वर्ष में जिले में खरीफ सीजन में सोयाबीन लगभग २ लाख ६२ हजार हेक्टर क्षेत्र में लगाया गया था. उसी प्रकार कपास २ लाख २३ हजार हेक्टर क्षेत्र में लगाया गया था. इस बार यह दोनों नगद फसल की बुआई क्षेत्र में लगभग २५ हजार हेक्टर की वृध्दि होना अपेक्षित है. कपास की बुुआई २ लाख २३ हजार २ लाख ४० हजार हेक्टर तक तथा सोयाबीन २ लाख ६२ हजार हेक्टर से २ लाख ७० हजार हेक्टर तक पहुंचने की संभावना व्यक्त की जा रही है. इसी समय तुअर की बुआई १ लाख २५ हजार हेक्टर पर रहेगी. सोयाबीन और कपास की बुआई क्षेत्र में वृध्दि होने ेकारण इस बार मूंग, उडद, जवारी इन तीनों फसलों की बुआई क्षेत्र में कमी होने का अनुमान कृषि विभाग ने लगाया है.
जिले में हर साल खरीफ में कुल ७ लाख ५० हजार हेक्टर क्षेत्र में बुआई की जाती है. उसमें से लगभग ६० से ६४ प्रतिशत क्षेत्र में सोयाबीन व कपास की बुआई की जाती है. इस बार इन दोनों फसलों की बुआई क्षेत्र में लगभग ५ से ६ प्रतिशत से वृध्दि होगी.

* उडद, मूंग को बैठता है बारिश का फटका
जिले का विचार कर विगत कुछ वर्षो से हर साल उडद व मूंग की फसल निकालने पर आती है उस समय बारिश अधिक होती है. जिसके कारण अनेक किसानों को मूंग व उडद खेत से घर लाना बडा मुश्किल होता है. जिसके कारण किसानों का मूंग व उडद की बुआई करने का उत्साह कम होने का दिखाई दे रहा है.

* सोयाबीन, कपास की बुआई में वृध्दि
विगत वर्ष सोयाबीन, कपास को निजी बाजार में संतोषजनक भाव मिला. मूंग, उडद निकालने के समय अधिकांश समय बारिश रहती है. जिसके कारण किसानों का नुकसान होता है. जिसके कारण इस बार खरीफ सीजन में मूंग, ज्वारी व उदड की बुआई क्षेत्र में कमी होकर सोयाबीन व कपास की बुआई क्षेत्र बढेगा.
अनिल खर्चान , जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी

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