कम दिलचस्प नहीं है लवाद न्यायाधिकरण
समानांतर अदालत चलानेवाला मुख्य आरोपी सिध्दार्थ रामटेके धरा गया
* फर्जीवाडा मामले मेें गाडगेनगर पुलिस की तीन दिन की कस्टडी में
अमरावती/ दि.2-स्थानीय पंचवटी चौक में पिछले 2 से 3 साल से लवाद न्यायाधिकरण के नाम से समांनतर अदालती कामकाज चलाकर लोगों को ठगने वाले मुख्य आरोपी सिध्दार्थ रामटेके को गाडगेनगर पुलिस ने बुधवार की देर रात एक फर्जीवाडा मामले में गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की. वही उसकी सहयोगी एड. मिनाक्षी मालोदे द्बारा अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर किए जाने से सोमवार तक उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगी है. आरोपी सिध्दार्थ रामटेके रविवार तक पुलिस हिरासत में है. लेकिन पिछले तीन साल से चल रहा यह समानांतर अदालत वाला लवाद न्यायाधिकरण कम दिलचस्प नहीं है. आश्चर्य की बात यह है कि यह कथित लवाद न्यायाधिकरण का कामकाज खुलेआम शहर में चलने के बावजूद पुलिस अथवा जिला प्रशासन के ध्यान में नहीं आया.
अमरावती शहर के मोर्शी रोड पंचवटी चौक पर चल रहे तथाकथित लवाद न्यायाधिकरण का मामला पिछले माह 14 अक्तूबर को प्रकाश में आया था. जब जिला वकील संघ के अध्यक्ष एड. शोएब खान ने वकीलों के साथ जिलाधिकारी पवनीत कौर को ज्ञापन सौंपकर इसकी गहन जांच करने की मांग की थी. सर्वप्रथम इस कथित लवाद का मामला जिला व सत्र न्यायाधीश के पास एक जमानत अर्जी सुनवाई के लिए आई थी. उस प्रकरण में धारा 354 और एट्रासिटी एक्ट के तहत गाडगेनगर थाने में मामला दर्ज हुआ था. इस प्रकरण में आरोपियों द्बारा जमानत के लिए की गई अर्जी के बाद सरकारी वकील एड.सुनील अविनाश देशमुख ने युक्तिवाद करते हुए इस तथाकथित लवाद बाबत आपत्ति ली. उनके द्बारा आपत्ति लिए जाने के कुछ देर बाद सरकारी वकील सुनील देशमुख को कथित लवाद अधिकारी सिध्दार्थ रामटेके ने मोबाइल पर उनसे संपर्क कर उन्हें धमकी दी थी. तब एड. देशमुख ने तत्काल इस बाबत जिला व सत्र न्यायाधीश (1) के पास शिकायत की और बार एसोसिएशन के पास भी लिखित शिकायत की थी. इस प्रकरण में अदालत ने तत्काल गाडगेनगर झोन की सहायक आयुक्त पूनम पाटिल को तीन दिन के भीतर लवाद बाबत जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे. वहीं दूसरी तरफ जिलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन के बाद उन्होंने उपविभागीय अधिकारी रणजीत भोसले को जांच के आदेश दिए थे. दो अलग- अलग शिकायतों में सहायक पुलिस आयुक्त और उपविभागीय अधिकारी द्बारा जांच शुरू की गई. सहायक पुलिस आयुक्त पूनम पाटिल ने तीन दिन में 50 पन्नों की जांच रिपोर्ट अदालत में सौंपी और काफी समय से चल रहा कथित लवाद न्यायाधिकरण फर्जी बताया. लेकिन अभी तक उपविभागीय अधिकारी द्बारा जांच पूरी नहीं की गई है. ऐसे में 17 अक्तूबर 2022 को गाडगेनगर थाने में दस्तुरनगर चौक के मां शेरावाली अपार्टमेंट निवासी अभय रविन्द्र उके ने अपने साथ इस कथित लवाद न्यायाधिकरण में सिध्दार्थ रामटेके और एड. मिनाक्षी मालोदे द्बारा ठगी की जाने का आरोप करते हुए शिकायत दर्ज की थी. इस प्रकरण में एक माह बाद 19 नवंबर को गाडगेनगर पुलिस ने सिध्दार्थ रामटेके और एड. मिनाक्षी मालोदे के खिलाफ धारा 420, 419और 34 के तहत मामला दर्ज किया. इसी प्रकरण में मुख्य आरोपी सिध्दार्थ रामटेके को बुधवार की रात गाडगेनगर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. गुरूवार को उसे प्रथमश्रेणी न्याय दंडाधिकारी (10) पंकज बीदादा की अदालत में पेश कर तीन दिन की पुलिस हिरासत में लिया गया है. इस प्रकरण में एड. अनिल विश्वकर्मा द्बारा युक्तिवाद करते समय अदालत के सामने आरोपी द्बारा किए गए फर्जीवाडे और समानांतर अदालत चलाने के कुछ प्रकरण के सबूत पेश किए गए. तब अदालत में उपस्थित अधिवक्ता भी भौंचक्के रह गए थे.
शिकायतकर्ता अभय रविन्द्र उके का आरोप है कि उनके पिता रविन्द्र माणिकराव उके का 9 मई 2021 को कोरोना व म्यूकर मायकोसिस बीमारी से निधन हो गया. उनके मृत्युपूर्व उन्होंने 15 दिसंबर 2000 को करारनामे के तहत मौजा राजापेठ के मकान का ग्राउंड फ्लोअर की 600 फुट जगह करारनामा कर किराए से दी थी. करारनामे की अवधि समाप्त होने के बाद किराएदार नया करारनामा करने टालमटोल कर रहा था. इस कारण 5 मार्च 2022 को उसने राजापेठ थाने में शिकायत दर्ज की थी. तब राजापेठ थाने के हे. कॉ. गावंडे ने अभय को एड. मिनाक्षी मालोदे से संपर्क करने कहा था. 22 जुलाई 2022 को अभय ने एड. मिनाक्षी मालोदे से भेट कर किराएदार बाबत चर्चा की. तब इस महिला वकील ने उसे इस प्रकरण का निपटारा एक माह में करने, किराए की जगह खाली कर देने और बकाया रहा किराया वसूल कर देने का आश्वासन देते हुए 50 हजार रूपये की मांग की. अभय उके के मुताबिक उसने विविध चरण में 70 हजार रूपये नकद और 20 हजार रूपये गुगल-पे के जरिए इस महिला वकील को दिए. पैसे लेते समय इस महिला वकील ने कहा था कि उनके लवाद के मैनेजर सिध्दार्थ रामटेके को प्रकरण का निपटारा करने संबंधित आदेश निकालने को पैसे देने पडते है. लेकिन पश्चात अपने साथ फर्जीवाडा होने का पता चलने पर अभय उके ने गाडगेनगर थाने में शिकायत दर्ज कराई. इसी प्रकरण में गाडगेनगर पुलिस स्टेशन की महिला निरीक्षक रेखा लोंदे के नेतृत्व में पुलिस के दल ने सिध्दार्थ रामटेके को बुधवार 30 नवंबर की रात गिरफ्तार किया. ऐसे अनेक प्रकरण है जिसका यदि पुलिस गंभीरता से जांच करें तो पर्दाफाश हो सकता है.
* लवाद को कौन से अधिकार
यदि कही लवाद (आर्बीटे्रडर ) न्यायाधिकरण रहता है तो संबंधित लवाद अधिकारी को किसी फायनांस कंपनी अथवा किसी बैंक के कर्ज का मामला विवादित हो तो इस प्रकरण में संबंधितों को बैठाकर समझौता करवाने का अधिकार रहता है. लेकिन उसे कोई लडाई-झगडे, मारपीट, पति-पत्नी का तलाक, पुलिस अथवा राजस्व अधिकारी को भारतीय दंड संहिता के मामले दर्ज करने अथवा कोई अन्य आदेश देने के अधिकार नहीं है. किंतु शहर का यह कथित लवाद न्यायाधिकरण फौजदारी, फैमिली कोर्ट, चेक बाउंस, तलाक से संबंधित घर खाली करवाने, नौकरी संदर्भ सहित सभी मामलों को समानांतर अदालत चलाकर फर्जी कामकाज चला रहा था. इसका मुख्य सूत्रधार सिध्दार्थ रामटेके है और उसके साथ एड. मिनाक्षी मालोदे, एड. राजेश वी. मख, निमिष बंसल आदि वकील भी उसमें शामिल है. इसके अलावा वहां अनेक कर्मचारी भी है. यदि पुलिस ने इसे गंभीरता से लिया तो सैकडों प्रकरण फर्जीवाडे सामने आ सकते है.
* आरोपी को अदालत में लाते ही वकीलों की भीड
गुरूवार को 1 दिसंबर को आरोपी सिध्दार्थ रामटेके को गाडगेनगर पुलिस ने प्रथमश्रेणी न्याय दंडाधिकारी 10 की अदालत में पेश किया तब बडी संख्या में वकील अदालत में जमा हो गए थे. इस प्रकरण में एड. अनिल विश्वकर्मा ने युक्तिवाद किया और अदालत के सामने कथित लवाद अधिकारी तथा आरोपी सिध्दार्थ रामटेके द्बारा दिए गए फैसलों के लिखित सबूत जब प्रस्तुत किए तब उपस्थित वकील भी आश्चर्य चकित रह गए. पुलिस ने आरोपी के तीन दिन के रिमांड की मांग की थी. युक्तिवाद होने के बाद अदालत ने तत्काल आरोपी को तीन दिन कस्टडी में रखने के आदेश दिए.
* सभी प्रकरणों की गहन जांच होनी चाहिए
कथित लवाद अधिकारी सिध्दार्थ शिवनाथ रामटेके ने समानांतर अदालत चलाकर अब तक कितने प्रकरण चलाए, कितने लोगों को ठगा, किस योजना के तहत वह अपना कामकाज चला रहा था, बिना जांच पडताल के सिध्दार्थ रामटेके को सरकारी अधिकारी मानकर पुलिस ने लोगों पर कैसे सरकारी काम में रूकावट डालने के मामले दर्ज किए आदि सहित सभी प्रकरणों की गहन जांच होनी चाहिए, ऐसा जिला वकील संघ का कहना है और आरोपी के खिलाफ और उसे सहयोग करनेवालों पर कडी कार्रवाई होनी चाहिए.