अमरावती/दि.16 – अत्यंत गरीब स्थिति में 6 साल तक घर-घर में समाचार पत्र बाटकर पढ़ाई कर वह वकील बन गया. बार के कौन्सिल के रजिस्ट्रेशन के लिए पैसे न होने से वह अभी भी वह नि:संकोच से परतवाडा व अचलपुर शहर में समाचार पत्र वितरित करता है. गौरव चंद्रशेखर मडघे ऐसा उनका नाम है.
वह अचलपुर के बेगमपुरा क्षेत्र में रहता हैे. वह अत्यंत गंभीर स्थिति में उसे कोई भी मार्गदर्शन न होने से जिद्द व मेहनत करके उसने वकील होने का उद्देश्य अपने जीवन में रखा. गौरव के पिता हाथ गाडी में सब्जी बेचते है. उसका भाई दिव्यांग है. माता गृहिणी है.पिता की कमाई से केवल दो समय का भोजन ही मिल पाता है. ऐसी स्थिति में उन्होंने अपने पुत्र को 12 वीं तक पढ़ाया. वह प्रथम श्रेणी में आने पर भी उसे अपनी पढ़ाई छोड़ देनी पड़ी. उसने फूले शाहू आंबेडकर के विचारों की पुस्तक पढ़ी. पैसे के अभाव में भी उसने पढ़ाई न छोड़कर समाचार पत्र बाटने का व्यवसाय शुरू किया. सुबह पेपर बाटने के बाद उसके बाद के समय में उसने पढ़ाई की. परतवाडे के देशमुख कॉलेज में उसने एलएलबी में प्रवेश लिया. सुबह पेपर बाटकर दोपहर में कॉलेज में जाकर अभ्यास में समय देकर आखिर एलएलबी की परीक्षा उतीर्ण की. बिकट स्थिति में भी उसने पीछा नहीं छोड़ा. महाराष्ट्र , गोवा बार कौन्सील के रजिस्ट्रेशन के लिए पैसे न होने के कारण वह समाचार पत्र बाट रहा है. स्थानीय नगरसेविका सुशीला इंगले को पता चलने पर उन्होंने गौरव का सम्मान कर अभिनंदन किया. एक वकील अपनी शिक्षा पर गर्व न कर आज भी नि:संकोच से समाचार पत्र बाट रहा है. इसका उन्हें आश्चर्य हुआ.
इच्छा शक्ति की जरूरत: गौरव मडघे
स्थिति इसांन को पढाई करने से नहीं रोक सकती. अपन इच्छा शक्ति के अभाव में अपनी शिक्षा पूरी नहीं करते. भाईजी रावत ने भी उन्हें शिक्षा पूरी करने में प्रोत्साहन दिया.