अमरावती

पैसे नहीं रहने पर भी जमानत के लिए हो सकती है वकील की नियुक्ति

अमरावती/दि.10– स्थानीय मध्यवर्ती कारागार में कुल 925 कैदियों को रखे जाने की क्षमता है. लेकिन यहां पर इससे कहीं अधिक कैदी रखे जाते है. शहर सहित जिले में रोजाना घटित होनेवाले अपराधों को देखते हुए कई बार छोटे-मोटे मामलों के लिए भी आरोपियों को मध्यवर्ती कारागार में भेज दिया जाता है और जमानत करवाने या वकील नियुक्त करने के लिए पैसों का इंतजाम नहीं रहने के चलते कई मुजरीम कारागार में ही रहते है, लेकिन उन्हें इसके लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि ऐसे आरोपियों के लिए सरकार द्वारा अपने खर्च पर वकील की नियुक्ति की जाती है.

25% कच्चे कैदी
छोटे-मोटे अपराधों में पकडे गये कई आरोपियोें के पास वकील नियुक्त करने या जमानत लेने की भी सुविधा नहीं रहती है. ऐसे में वे जेल में ही रहने को मजबूर रहते है. इस समय करीब 25 फीसद कच्चे कैदी वकील और जमानत के अभाव में जेल में बंद है.

* युवाओं का प्रमाण अधिक
– इस समय मध्यवर्ती कारागार में बंद रहनेवाले कैदियों में 20 से 35 वर्ष आयु गुटवाले आरोपियोें की संख्या काफी अधिक है. जिसके चलते मध्यवर्ती कारागार में युवाओं का प्रमाण अधिक दिखाई देता है.
– इन दिनों गाली-गलौज, मारपीट व विनयभंग जैसे विविध अपराधों में युवाओं की लिप्तता काफी अधिक दिखाई देती है. जिन्हें अपराधिक वारदातों के बाद पुलिस द्वारा अपनी हिरासत में भी लिया जाता है. इस वजह से जेल में युवाओं का प्रमाण थोडा अधिक दिखाई दे रहा है.

* वकील मिलने सरकार से करना होता है आवेदन
बेहद छोटे-मोटे आरोपों में पकडे गये कई आरोपी अपने पास जमानत लेने या वकील नियुक्त करने के लिए पैसे नहीं रहने की वजह से जेल में रहते है. किंतु यदि वे सरकार को पत्र भेजकर खुद को वकील दिये जाने की मांग करते है, तो उन्हें सरकारी खर्च पर अपने बचाव या जमानत हेतु वकील दिया जाता है. जिसके बाद ऐसे आरोपियों की जेल से रिहाई भी हो सकती है.

* 40 फीसद कैदी है 50 की आयु पार
950 कैदियों की क्षमता रहनेवाले अमरावती मध्यवर्ती कारागार में जहां एक ओर 20 से 35 वर्ष आयुगुटवाले युवा कैदियों का प्रमाण तुलनात्मक रूप से अधिक है, वहीं 50 वर्ष की आयु पार कर चुके कैदियों का प्रमाण 40 फीसद के आसपास है, जो अलग-अलग अपराधिक मामलों में लिप्त या दोषी पाये जाने के बाद जेल में लाये गये.

* मारपीट के मामले में पकडे गये 30 फीसद कच्चे कैदी
आपसी मारपीट, गाली-गलौज, दहशत फैलाने तथा अवैध रूप से शराब बेचने जैसे मामलों में पकडे गये कच्चे कैदियों की संख्या काफी अधिक रहने के चलते कारागार में कुल कैदियों की संख्या जेल की क्षमता से अधिक हो गई है. ऐसे में छोटे-मोटे अपराधिक मामलों में लिप्त रहनेवाले कैदियों को जमानत पर रिहा करने हेतु सरकार व जेल प्रशासन भी अनुकूल रहते है और ऐसे कैदियों द्वारा वकील या जमानत मिलने हेतु जिला विधि न्याय प्राधिकरण द्वारा संबंधित कैदी से पूछताछ की जाती है और उसके न्यायालयीन मामले को हल करने का प्रयास किया जाता है.

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