अमरावती/दि.24- महाराष्ट्रीयन पंचांग की रचयिता विद्या राजंदेकर ने स्पष्ट कर दिया कि भले ही अमावस गुरुवार 31 अक्तूबर को लगेगी. किंतु दिवाली का लक्ष्मीपूजन शुक्रवार 1 नवंबर को ही करना है. उन्होंने शुक्रवार को ही दिवाली मनाने को शास्त्र सम्मत बताया.
विद्या राजंदेकर के अनुसार 31 अक्तूबर को दोपहर 3.53 बजे चतुर्थदशी पूर्ण होगी. उपरांत अमावस शुरू होगी. दूसरे दिन 1 नवंबर को शुक्रवार सायं 6.17 बजे अमावस पूर्ण होगी. 31 तारीख को प्रदोषकाल में अमावस की अधिकता है. 1 नवंबर को प्रदोषकाल में अमावस का समय कम है. धर्म सिंधू, पुरुषार्थ, चिंतामणी, तीर्थ निर्णय आदि ग्रंथो में दूसरे दिन की अमावस मान्य होने से 1 नवंबर को लक्ष्मीपूजन किया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि 1 नवंबर को दोपहर 12.30 बजे से 2 शुभ चौघडिया में, प्रदोषकाल सायं 5.44 से रात 8.15 बजे और लाभ का चौघडिया रात्रि 9.30 से 11 बजे तक है. वृषभ स्थिर लगन का समय शाम 6.33 से 8.32 है. राजंदेकर ने स्पष्ट कर दिया कि उपरोक्त किसी भी मुहुर्त में लक्ष्मीपूजन किया जा सकता है.
दाते पंचांग, काल निर्णय, महालक्ष्मी कैलेंडर, निर्णय सागर, सोमण पंचाग, स्वामी समर्थ पंचांग और दक्षिण भारत के लगभग 100 पंचांगो में और अन्य सभी कैलेंडरों में भी 1 नवंबर को ही लक्ष्मीपूजन करने का उल्लेख है. इस बार दिवाली 4 दिन है. उसमें 31 अक्तूबर गुरुवार नरक चतुर्दशी, 1 नवंबर शुक्रवार लक्ष्मीपूजन, 2 नवंबर शनिवार दिवाली पाडवा और 3 नवंबर रविवार भाईदूज है.