अमरावती

चुनाव का अता-पता नहीं रहने से नेता व कार्यकर्ता संभ्रम में

प्रभागों की हो रही अनदेखी, प्रशासन पर नहीं किसी का अंकुश

अमरावती/दि.14 – इस समय जहां एक ओर राज्य में बडे पैमाने पर राजनीतिक उथल-पूथल मची हुई है. वहीं दूसरी ओर स्थानीय स्वायत्त निकायों में राजनीतिक सन्नाटा व्याप्त है. क्योंकि स्थानीय स्वायत्त निकायों के सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो चुका है और सभी निकायों में प्रशासक राज चल रहा है. साथ ही साथ स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव कब तक होंगे. यह भी अभी तय नहीं है. ऐसे में चुनाव लडने के इच्छूक स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओं का ध्यान पूरी तरह से इस ओर लगा हुआ है कि, आखिर चुनावों को लेकर घोषणा कब तक हो पाती है. वहीं दूसरी ओर निकायों में पदाधिकारी व सदस्य नहीं रहने के चलते राजनीतिक दलों के नेताओं व कार्यकर्ताओं का प्रभागों में होने वाले विकास कामों की ओर भी कोई विशेष ध्यान नहीं है. साथ ही उनका प्रशासन द्बारा किए जाने वाले कामों का प्रशासक राज की वजह से कोई नियंत्रण भी नहीं है. जिसकी वजह से प्रशासन को लेकर काफी हद तक रोष व संताप की लहर देखी जा रही है.
उल्लेखनीय है कि, मार्च 2022 में अमरावती महानगरपालिका तथा जिला परिषद सहित जिले की 11 पंचायत समितियों के पदाधिकारियों व सदस्यों का कार्यकाल खत्म हुआ है और तब से ही शहर सहित जिले में सभी स्थानीय स्वायत्त निकायों में प्रशासक राज चल रहा है. जिसे अब धीरे-धीरे सवा साल का समय पूरा हो चुकी है. वहीं आगामी सितंबर या अक्तूबर माह के दौरान स्थानिय स्वायत्त संस्थाओं के चुनाव होने की उम्मीद थी. जिसके लिए इच्छूकों द्बारा अपने स्तर पर तैयारियां करनी भी शुरु कर दी गई थी. वहीं इसी बीच 5 जुलाई को स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव को ध्यान में रखते हुए मतदाता सूची के संदर्भ में एक अधिसूचना प्रकाशित हुई. जिसका कुछ हद तक गलत अर्थ निकलते हुए मीडिया एवं सोशल मीडिया पर चुनाव घोषित हो जाने का प्रचार शुरु हो गया. जिसकी गंभीर दखल लेते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी ओर से स्पष्टीकरण जारी करते हुए बताया कि, फिलहाल स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव को कोई कार्यक्रम घोषित नहीं हुआ है. बल्कि उक्त अधिसूचना केवल मतदाता सूची से संबंधित है और उसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है. ऐसे में चुनावी तैयारी में लगे हुए सभी लोग एक बार फिर शांत हो गए. वहीं दूसरी ओर सभी स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं में प्रशासक राज रहने के चलते यद्यपि लोगों में आनंद रहने की बात कहीं जा रही है. लेकिन हकीकत यह है कि, बारिश के दिनों में साफ-सफाई को लेकर विशेष ध्यान दिए जाने की जरुरत रहने के बावजूद इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में रास्तों की एक बार फिर तकलीफ होना तय है. परंतु जिला परिषद में रास्तों की देखभाल व दुरुस्ती के लिए पर्याप्त निधी उपलब्ध नहीं है. यदि जनप्रतिनिधि रहे होते, तो कम से कम सरकार के समक्ष यह मुद्दा उपस्थित करते हुए निधी खींचकर ला सकते थे. यहीं हाल महानगरपालिका, नगरपंचायत, नगरपालिका व ग्राम पंचायत क्षेत्रों में भी है. जिसके चलते अब चुनाव लडने के इच्छूकों के साथ-साथ आम नागरिक भी चुनाव घोषित होने की प्रतीक्षा कर रहे है. वहीं उम्मीद जताई जा रही है कि, संभवत: अब आगामी वर्ष के कई माह में होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद भी स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव होंगे.

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