अमरावतीमहाराष्ट्र

नेता चुनाव में व्यस्त, किसान कपास के भाव से परेशान

भाव बढने के ऐवज में घटने लगे

लेहेगाव /दि.4-लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही चुनाव के पूर्व कपास के भाव बढेंगे. इस आशा पर किसान थे. परंतु राजनीतिक नेता और कार्यकर्ता चुनाव के काम में लग गये है. चुनाव की तारीख भी निश्चित हो गई परंतु फिर भी कपास के भाव बढने के संकेत दिखाई नहीं दे रहे है. किसानों से वोट मांगनेवाले नेता चुनाव में व्यस्त होने से किसानों का अब कोई वाली नहीं है. ऐसी चर्चा किसान कर रहे है. इस बार कपास का रोपण कम हुआ है जिसके कारण अच्छा भाव मिलेगा, ऐसा अनुमान लगाकर कपास का उत्पादन किया. किंतु भाव बढने के ऐवज में शुरूआत में मिलनेवाले भाव घटते हुए दिखाई दे रहे हैं.

फिलहाल मिलनेवाले भाव कम न होने की आशा मेें कपास आज भी किसानों के घर में पडा हुआ है. कपास को उचित भाव न मिलने से किसानों को मुश्किल का सामना करना पड रहा है. कपास को दो साल पूर्व 13 हजार क्विंटल ऐसा भाव मिला था. किंतु हर साल भाव दिनोंदिन घटता नजर आ रहा है. 5 दिन में भाव 200 रूपए से कम होकर कपास 7200 रूपए क्विंटवल पर आने से किसान चिंता में दिखाई देता है. भाव बढने की आशा में किसानों का कपास इकट्ठा करने में उत्साह बढा है. फिलहाल दरवृध्दि की संभावना न होने का विशेषज्ञों की ओर से घोषित किए जाने से किसान निराश हो गया है. इस बार कपास की फसल गुलाबी बोंड इल्ली ने खराब कर दी है. उसमें भी उचित भाव न मिलने से आखिर किसान क्या करें. ऐसी स्थिति किसानों के सामने है. भाव बढने की प्रतीक्षा में 50 प्रतिशत कपास घर में ही पडा है. साधारणत: फरवरी-मार्च में अधिकांश किसान कपास की बिक्री करते है. विगत वर्ष कपास के भाव 5 हजार से 12 हजार तक होने से इस साल कपास के भाव बढेंगे. इस आशा से किसानों ने कपास घर में ही रखा.

* किडी से परेशान
कपास के भाव बढेंगे इस आशा से घर में इकट्ठा कर रखे कपास पर एक विशिष्ठ किडी का प्रभाव होने से शरीर पर चट्टे, खुजली, बुखार आना ऐसे लक्षण दिखाई दिए. घर से कपास बाहर निकाले तो भाव कम और घर में ही इकट्ठा कर रखे तो स्वास्थ्य खराब इस तरह संकट में किसान दिखाई देता है.
विगत वर्ष की तुलना में इस साल कपास को एक से डेढ हजार रूपए कम मिलने से कपास घर में ही पडा है. जिसके कारण हाल ही में कपास पर कीडे के कारण शरीर में खुजली तथा चट्टे होने लगे है. राजकीय नेता अब किसानों की समस्याओं को भूलकर राजनीति कर रहे है.
-श्रीकृष्ण तट्टे, किसान, लेहेगांव

 

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