विद्यापीठ में अवकाश कामभत्ता घोटाला!
लाखों रुपयों का हुआ अपहार, सीसीटीवी कैमरों की जांच जरुरी
* अवकाश के दिन अधिकारियों व कर्मचारियों की दर्शायी गई हाजिरी
अमरावती/दि.18– स्थानीय संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ के कुछ शिक्षकेत्तर अधिकारी व कर्मचारियों ने अवकाश वाले दिन भी खुद को ड्यूटी पर हाजिर बताते हुए लाखो रुपयों का अवकाश कामभत्ता प्राप्त किया, ऐसी जानकारी सामने आयी. विशेष उल्लेखनीय यह है कि, अवकाश वाले दिन संबंधित अधिकारी व कर्मचारी गैरहाजिर रहने के बावजूद भी उन्हें हाजिर दर्शाते हुए उनका ओवर टाइम वेतन जारी किया गया. ऐसे में अब इस मामले की जांच करने की मांग जोर पकड रही है. जिसके लिए विद्यापीठ में लगे सीसीटीवी कैमरों के फूटेज को खंगाला जाना बेहद जरुरी है.
अमरावती विद्यापीठ में कर्मचारियों की अत्यल्प संख्या को ध्यान में रखते हुए कर्मचारी परिषद द्वारा लिये गये कार्यालयीन आदेश क्रमांक-अवि-1/102/1932/1994 दिनांक 2 मई 1994 को लागू किया गया है. जिसके अनुसार 44 दिनों के मर्यादित 22:22 प्रमाण में वेतन व बदली अर्जित अवकाश दिया जाता है. इस हेतु प्रतिवर्ष विद्यापीठ के बजट में भरपूर निधि का प्रावधान भी किया जाता है. वर्ष 2024-25 के बजट में इस हेतु 30 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है. कार्यालयीन आदेशानुसार जिन अधिकारियों व कर्मचारियों को अवकाश वाले दिन कार्यालय में आकर काम करना है. तो इसके लिए कुलसचिव की पूर्व अनुमति लेना आवश्यक होता है. परंतु इस अवकाश कामभत्ते में बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार किया जाता है. जिसके तहत कई विभागों में प्रपत्रों में अवकाश वाले दिन अधिकारियों व कर्मचारियों के नाम दर्ज कर दिये जाते है. जबकि हकीकत में अवकाश वाले दिन संबंधित अधिकारी व कर्मचारी कार्यालय में आते ही नहीं, बल्कि वे दूसरे दिन अपने विभाग की नोंदवही व हाजिरी पत्रक पर हस्ताक्षर करते है. इसके साथ ही कुलसचिव की पूर्व अनुमति लेने की बजाय दो-तीन महिने बाद कुलसचिव की कार्योत्तर मान्यता ली जाती है. इस अफलातून तरीके से विद्यापीठ में कामकाज चल रहा है. ऐसे में कुलगुरु डॉ. मिलिंद बारहाते द्वारा इस मामले में कार्रवाई हेतु पहल की जाये और जिन-जिन अवकाश वाले दिनों में अधिकारियों व कर्मचारियों की विद्यापीठ में उपस्थिति दर्शायी गई है, उन सभी दिनों के सीसीटीवी कैमरों के फूटेज देखे जाये, ऐसी मांग भी जोर पकड रही है.
* महज 5 से 10 मिनट की हाजिरी और हस्ताक्षर
जानकारी यह भी मिली है कि, कुछ कर्मचारी केवल 5 से 10 मिनट के लिए विद्यापीठ में आकर हाजिरी रजिस्टर पर अपने हस्ताक्षर करते है और वापिस लौट जाते है. आर्थिक वर्ष में पूरी 44 छुट्टियां कैसे जमा हो सकती है. इसके लिए ही सभी कर्मचारियों द्वारा खींचतान चलती रहती है. बता दें कि, विद्यापीठ में अमूमन एक सर्वसाधारण कार्यदिवस के लिए तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को 3 हजार रुपए, द्वितीय श्रेणी अधिकारियों को 4 हजार रुपए तथा प्रथम श्रेणी अधिकारियों को 5 से 8 हजार रुपए का वेतन मिलता है. इसके साथ ही बदली अवकाश भी प्राप्त होता है. लेकिन इसके बावजूद भी कार्यालयीन अवकाश वाले दिन खुद को कार्यालय में उपस्थित दर्शाते हुए ओवर टाइम भत्ता लेने की वृत्ती विद्यापीठ के कर्मचारियों में दिखाई देती है. वहीं दूसरी ओर विद्यापीठ में दैनिक वेतन पर कार्यरत ठेका नियुक्त कर्मचारियों का जमकर आर्थिक शोषण होता रहता है.
* दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों पर हो कार्रवाई
अवकाश वाले दिन बिना काम पर आये अगले दिन हस्ताक्षर करने के साथ ही ओवर टाइम भत्ता लेते हुए विद्यापीठ के साथ आर्थिक जालसाजी करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग अब जोर पकड रही है. विद्यापीठ के मुख्य प्रवेशद्वार सहित विद्यापीठ के विभिन्न विभागों में लगे सीसीटीवी कैमरों के फूटेज देखकर अवकाश वाले दिन विद्यापीठ में आने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों की जानकारी हासिल करना विद्यापीठ प्रशासन हेतु सहज संभव है. जिसके आधार पर विद्यापीठ मामले की जांच कर सकता है.
अधिकारियों व कर्मचारियों को अवकाश वाले दिन ड्यूटी पर आने के लिए सबसे पहले अपने विभाग प्रमुख को सूचित करना होता है. जिसके बाद संबंधित विभाग प्रमुख द्वारा कुलसचिव कार्यालय के पास सिफारिश भेजी जाती है. इसके बाद ही उस दिन का वेतन अदा किया जाता है. विद्यापीठ में मनुष्यबल की संख्या कम रहने के चलते इस ओवर टाइम स्कीम को अधिकारियों व कर्मचारियों हेतु शुरु किया गया है.
– डॉ. तुषार देशमुख,
कुलसचिव, संगाबा अमरावती विद्यापीठ.