* दिवाली पर मुहूर्त की ग्राहकी अपितु अच्छी
* डिजिटल युग में रोजमेल और लक्ष्मी डायरी की विक्री सीमित
अमरावती/ दि. 21- दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के साथ चोपडा पूजन की परंपरा हैं. जिसे देखते हुए शहर के प्रमुख बहीखाता विक्रेता बहीवाला, नानकानी सेल्स कार्पोरेशन, जवाहरमल गणेशराम शर्मा आदि में पूजन के लिए बहीखाता, रोजमेल, लक्ष्मी डायरी, तारीख डट्टा और पुठ्ठा की खरीदी जोरो पर चल रही हैं. हालांकि प्रमुख विक्रेता बही वाला शाहीन स्टेशनर्स के संचालक ताहेर भाई बहीवाला ने बताया कि दुकानें बढने से उनकी रोजमेल आदि की ग्राहकी आज भी बनी हुई है. वहीं नानकानी के संचालक धरमपाल भाई ने बताया कि 20-25 प्रतिशत ग्राहकी रही हैं. जिससे अब सीमित मात्रा में इन सब चीजों की विक्री होती है.
ग्राहकी कायम, पूजन में उपयोग
प्रभात चौक के शाहीन स्टेशनर्स अर्थात बहीवाला यह प्रतिष्ठान 214 वर्षो से अनवरत संचालित हैं. आज छठवीं-सातवीं पीढी के ताहेर भाई और अल अकमर बहीवाला इसे संचालित कर रहे हैं. ताहेर भाई ने बताया कि शहर के प्रत्येक क्षेत्र में दुकानें और प्रतिष्ठान बढने से उनके बहीखाते की विक्री कायम है. लोग अपना रोजमर्रा का हिसाब रोजमेल में आज भी लिखते हैं. पूजा के लिए आज भी लक्ष्मी डायरी और रोजमेल की अच्छी विक्री होती हैं. अभी से अनेक दुकानदारों ने ऑर्डर लिखवा दी हैं. ताहेरभाई ने बताया कि उनके दुकान के कामकाज में पत्नी मुनीरा बी बहीवाला भी संपूर्ण सहयोग करती है. दिवाली की रात तक ग्राहकी लगातार चलती है. नवनिर्माण के कारण बहीवाला स्टेशनर्स का कामकाज कॉटन मार्केट से भी चलता हैं. प्रभात चौक पर तो अभी दिवाली में ग्राहकों की सुविधार्थ विशेष व्यवस्था की गई है. उनके यहां कैशबुक, लेजरबुक, स्टॉक रजिस्टर, लक्ष्मी डायरी, रोजमेल सभी उपलब्ध हैं. रेट अमूमन वहीं हैं.
25 प्रतिशत रह गई बहीखाते की सेल
नानकानी सेल्स के धरमपाल नानकानी ने बताया कि डिजिटल दौर में शासन भी अब पेनड्राइव की डिमांड करता हैं. जिससे हाथ से लिखे बहीखाते की सेल घटकर 20-25 प्रतिशत रह गई है. उसी प्रकार पुठ्ठे को कपडें का कवर चढाकर बनाए जाते महाजनी बहीखाते अब उन्होंने बनाना ही बंद कर दिया है. क्योंकि डिमांड नहीं हैं. बहीखाते को उस अंदाज में लिखने, दर्ज करने वाले भी नहींं हैं. रोजमेल और लक्ष्मी डायरी की थोडी बहुत सेल हैं. पूजा में चोपडा पूजन किया जाता है. इसलिए यह डायरी अथवा रोजमेल में रखी जाती है. उसी प्रकार छोटे व्यापारी आज भी इस तरह से हिसाब किताब रखते हैं. इसलिए उनकी रोजमेल और लक्ष्मी अंकित डायरी व बुक की सेल कायम हैं.