* दीवार फांदकर घर में घुसने का प्रयास
* पंद्रह दिन में तीन से चार बार दिखाई दे चुका है तेंदुआ
* वन्यजीव विभाग कर रहा तेंदुए को पकडने का प्रयास
अमरावती/दि.20- स्थानीय कठोरा रोड पर सरकारी अभियांत्रिकी महाविद्यालय से पोटे अभियांत्रिकी महाविद्यालय के बीच बसे रिहायशी इलाकों में तेंदुए की दहशत देखी जा रही है और विगत पंद्रह दिनों के दौरान यहां के अलग-अलग परिसरों में करीब तीन से चार बार तेंदुआ दिखाई दे चुका है. ताजा मामला दलवी ले-आउट और कॉटनग्रीन कालोनी में सामने आया है. जहां पर सिरसुध्दे नामक व्यक्ति के घर के आंगन और वालकंपाउंड की दीवार पर तेंदुए के पदचिन्ह (फुटमार्क) दिखाई दिये. जिससे परिसर में एक बार फिर तेंदुए की मौजूदगी को लेकर दहशत का माहौल है.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक सोमवार की सुबह दलवी ले-आउट परिसर में उस समय होहल्ला मच गया, जब पता चला कि, सिरसुध्दे नामक व्यक्ति के घर में तेंदुए ने दीवार फांदकर भीतर घुसने का प्रयास किया. इस समय सिरसुध्दे नामक व्यक्ति के वालकंपाउंड की दीवार पर तेंदुए के कीचड से सने पैरों के छापे दिखाई दिये. साथ ही दीवार के दोनों ओर नीचे जमीन पर तेंदुए के फुटप्रिंट मिले. इसी दौरान पता चला कि, इस परिसर में रहनेवाले एक व्यक्ति के घर के आंगन में गाय का तबेला है. जहां पर कुछ गायें सोमवार की सुबह जोर-जोर से रंभा रही थी. जिससे सुनकर गाय मालिक घर से बाहर आ गया. संभवत: इस वजह से तेंदुए ने अपना रास्ता बदल दिया. अन्यथा वह किसी गाय का शिकार करने की फिराक में था.
बता दें कि, दो दिन पहले ही गर्व्हमेंट इंजीनिअरींग कॉलेज परिसर में छात्राओं के होस्टेल के पीछे तेंदुए ने एक कुत्ते का शिकार किया और कुछ छात्राओं द्वारा इस घटना को अपनी आंखों से देखे जाने की चर्चा है. इसके अलावा सरकारी अभियांत्रिकी कॉलेज और पोटे अभियांत्रिकी कॉलेज के पीछे खाली पडे क्षेत्र में कई बार तेंदुआ दिखाई देने की बात दोनों कॉलेजों के कुछ कर्मचारियों द्वारा अक्सर कही जाती है. ऐसे में अब वनविभाग द्वारा इस तेंदुए को पकडने हेतु तमाम आवश्यक कदम उठाये जा रहे है. वहीं यह तेंदुआ अब तक पकडे नहीं जाने की वजह से परिसरवासियों में वनविभाग को लेकर अच्छा-खासा रोष व्याप्त है.
* शहर के आसपास हैं करीब 25 तेंदुए
– भोजन-पानी के लिए आ रहे है रिहायशी इलाकों में
विगत कुछ समय से रिहायशी इलाकों का दिनोंदिन विस्तार हो रहा है और कुछ समय पहले तक खेत-खलिहान व जंगल क्षेत्र रहनेवाले इलाकों में अब रिहायशी बस्तियां बस गई है. ऐसे में वन्यजीवों का अधिवास क्षेत्र घट गया है. साथ ही हिरण, चितल व नीलगाय सहित अन्य वन्यजीव जंगलोें के भीतरी क्षेत्रों में चले गये है. साथ ही उनकी तादाद भी काफी हद तक घट गई है. ऐसे में तेंदुए जैसे मांसभक्षी वन्यजीव अब आवारा घुमनेवाले कुत्तों, सुअरोें व पालतु प्राणियों का शिकार करने और पानी की खोज में शहर के बाहरी इलाकों में स्थित रिहायशी क्षेत्रों की ओर आ रहे है. ज्ञात रहेे कि, अमरावती शहर चारों ओर से करीब 60 से 70 फीसद जंगल से घिरा हुआ है और विगत कुछ दिनोें से शहर आकार चारों ओर से बढ रहा है. जिसके चलते वडाली, महादेव खोरी, पोहरा, छत्री तालाब, इंदला, विद्यापीठ परिसर, शिवाजी कृषि महाविद्यालय परिसर, एसआरपीएफ क्वॉर्टर, चांदूर रेल्वे रोड, चांदूर बाजार रोड तथा बडनेरा से यवतमाल व अकोला की ओर जानेवाले रास्तों पर किसी समय वनक्षेत्र रहनेवाले इलाकोें में रिहायशी बस्तियां स्थापित हो गई है. इसमें से 40 फीसद हिस्से में करीब 25 तेेंदुओं की मौजूदगी है, जो अपने भोजन-पानी के लिए शहर की ओर आ रहे है. ऐसे में अब इन रिहायशी इलाकों में तेंदुओं को लेकर अच्छी-खासी दहशत देखी जा रही है.
* वनविभाग ने लगाये पिंजरे व ट्रैप कैमेरे
– रात्रिकालीन गश्त भी शुरू की
शहर के सीमावर्ती इलाकों में तेंदुओें की आवाजाही को देखते हुए अब वन विभाग ने उन्हें पकडने हेतु अलग-अलग इलाकोें पर ट्रैप कैमेरे लगाने के साथ ही पिंजरे भी लगा दिये है. साथ ही वनविभाग के पथकों द्वारा रात्रिकालीन गश्त भी शुरू की गई है. इसके साथ ही वनविभाग ने ऐसे सभी इलाकों में रहनेवाले नागरिकों से आवाहन किया है कि, वे अपने पालतु मवेशियोें व कुत्ते, बिल्ली जैसे पालतु जानवरों को रात के समय आंगन में खुला न रखे. साथ ही खाने-पीने की वस्तुएं व कचरे आदि को भी खुले में न फेंके, ताकि उसे खाने की लालच में आवारा कुत्तों व सुअरों का जमघट उन परिसरों में न लग पाये. अमूमन ऐसे जानवरोें का शिकार करने के लिए ही तेंदुआ दबे पांव रिहायशी इलाकों में आता है.
* आवारा कुत्तों व सूअरों का शिकार करना आसान
तेंदुए के लिए तेज गति के साथ भागनेवाले हिरण व चितल जैसे जानवरों का शिकार करना थोडा मुश्किल होता है. इसकी तुलना में शहर के आवारा कुत्तों व सूअरों सहित पालतु मवेशियोें का शिकार करना काफी आसान होता है. ऐसे में तेंदुए शहर के सीमावर्ती क्षेत्र में प्रवेश करते है.
– वर्षा हरणे
वन परिक्षेत्र अधिकारी
* वन्यक्षेत्रों में अतिक्रमण जिम्मेदार
इन्सानों ने वन्यजीवोें के प्राकृतिक अधिवास क्षेत्र में अतिक्रमण करते हुए अपनी रिहायशी बस्तियां बना ली है. जिसके परिणाम स्वरूप अब वन्यजीवों एवं इन्सानों के बीच टकराववाली स्थिति बन गई है. जिसे टालने के लिए समय रहते इलाज किये जाने बेहद जरूरी है. अन्यथा स्थिति बिगड भी सकती है.
– निलेश कंचनपुरे
वन्यजीव संरक्षक संगठन (वॉर)
* आवारा कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण जरूरी
शहर में आवारा घुमनेवाले कुत्तों की नसबंदी करने का अभियान शुरू करते हुए उनकी संख्या को नियंत्रित किये जाने की सख्त जरूरत है. चूंकि शहर में इन दिनों आवारा कुत्तों की संख्या बडी तेजी के साथ बढ रही है. जिसकी वजह से उनका शिकार करने हेतु तेंदुए शहरी क्षेत्र की ओर आ रहे है. ऐसे में जरूरी है कि, शहर की सडकों पर आवारा कुत्तों की संख्या को घटाया जाये.
– सागर मैदानकर
प्राणी कल्याण अधिकारी (एडब्ल्यूवीआय)