* डेढ माह बाद भी वन विभाग तेंदुए को पकडने में नाकाम
अमरावती/दि. 5– स्थानीय शासकीय विदर्भ ज्ञान विज्ञान संस्था यानी विदर्भ महाविद्यालय परिसर में तेंदुआ अब भी अपना डेरा जमाए बैठा हुआ है और शिकार करने के बाद वह इसी परिसर में आकर छिप जाता है. विगत डेढ माह से यह तेंदुआ इस परिसर में बना हुआ है. जो अब तक वन विभाग के हाथ नहीं लगा है. साथ ही विगत 30 नवंबर की रात उक्त तेंदुआ इस परिसर में गश्त लगाने वाले वन कर्मियों को दिखाई भी दिया है. परंतु इन वन कर्मियों के पास इस तेंदुए को पकडने या घेरने के संदर्भ में वरिष्ठ अधिकारियों से कोई आदेश नहीं है
बता दें कि इस परिसर में पहली बार 4 अक्तूबर को दिखाई दिया था. जो पाठ्यपुस्तक के पास रिहायशी इलाकों में घूम रहा था जिसे देखते हु पूरे परिसर में अच्छा खासा हडकंप व्याप्त हो गया था. इसके बाद अक्तूबर माह के अंत में उक्त तेंदुए की वजह से एक बार फिर अच्छा खासा हंगामा मचा और वन विभाग ने इस तेंदुए को पकडने का प्रयास किया. इस समय परिसर में तेंदुआ देखने हेतु लोगों की अच्छी खासी भीड इकट्ठा हो गई थी. जिसमें से दो लोगों को इधर से उधर भागते तेंदुए ने झपट्टा मारकर घायल कर दिया था. परंतु तमाम प्रयासों के बावजूद उक्त तेंदुआ वन विभाग के हाथ नहीं लगा तथा तब से लेकर अब तक उक्त तेंदुए का विएमवि परिसर में डेरा बना हुआ है जो यदा-कदा इस परिसर के लोगों को दिखाई देता है.
बता दें कि ब्रिटिशकालीन रहने वाला विदर्भ महाविद्यालय का परिसर करीब 17 एकड के क्षेत्रफल में फैला हुआ है. जिसमें कई स्थानों पर घनी झाडियां उग आई हैं. साथ ही विगत लंबे समय से प्रयोग में नहीं लाए जाने वाले आवास भी खाली पडे हुए है. ऐसे में यह स्थान तेंदुए के छिपे रहने हेतु बहेत सुविधाजनक है और इन्हीं झाडियों व खाली पडे क्वार्टस में किसी स्थान पर तेंदुए ने अपने छिपने का स्थान बना रखा है. इसकी तसदीक वन विभाग इससे पहले भी कर चुका है. हालांकि बीच में यह माना जा रहा था कि शायद उक्त तेंदुए ने यहां से अपना डेरा हटा लिया है और वह किसी अन्य जगह पर स्थालांतरित हो गया है. लेकिन अब जैसे ही यह जानकारी सामने आई कि 30 नवंबर की रात उक्त तेंदुआ इसी परिसर में वन कर्मियों को दिखाई दिया है. तो एक बार फिर इस तेंदुए को लेकर परिसर में अच्छा खासा डर फैल गया है.
* आने-जाने वाले रास्तें बंद
विएमवि परिसर में तेंदुए की मौजूदगी को देखते हुए वन विभाग व्दारा रात के वक्त विएमवि के भीतर जाने वाले रास्तों को बैरिकेेटिंग करते हुए बंद कर दिया जाता है. साथ ही कुछ रास्तों को आम लोगों की आवाजाही के लिए फिलहाल स्थायी तौर पर बंद कर दिया गया है. जिसके तहत उन रास्तों को जेसीबी मशीन से खोद दिया गया है. इसके अलावा रात के वक्त पूरे परिसर में फ्लड लाइट की रोशनाई की जा रही है, ताकि शिकार की तलाश में झाडियों से बाहर निकालने वाले तेंदुए पर नजर रखी जा सके.