वडाली-पोहरा के जंगलों से रिहायशी क्षेत्रों में आ रहे तेंदूए
गांवों में पालतू मवेशियों का कर रहे शिकार, पशु पालक व किसान परेशान
* शहर में आवारा कुत्तों की वजह से दिखाई दे रहे तेंदूए
* आवारा कुत्तों व सुअरों का शिकार करने चले आते है तेंदूए
अमरावती /दि.3– विगत कुछ दिनों से वडाली, पोहरा व चांदूर रेल्वे के जंगल क्षेत्र में बाघ का अस्तित्व रहने की खबर से वनविभाग में खुशी की लहर है. लेकिन इन जंगलों में बाघ के आते ही विगत एक वर्ष से इस जंगल के तेंदूओं ने जंगल से बाहर अपना ठिकाना बना लिया है. ताकि वे खुद को बाघ का शिकार होने से बचा सके. लेकिन जंगल से बाहर निकलकर अब तेंदूओं द्वारा इंसानी बस्तियों का रुख किया जा रहा है और वे जंगल से सटे रिहायशी इलाकों में पालतू मवेशियों सहित सडकों पर आवारा घुमने वाले कुत्तों व सुअरों को अपना शिकार बना रहे है. जिसके चलते रिहायशी बस्तियों में तेंदूओं को लेकर अच्छी खासी दहशत देखी जा रही है.
* चांदूर रेल्वे-वडाली वनपरिक्षेत्र में 57 पालतू मवेशियों की शिकार
वडाली एवं चांदूर रेल्वे वनपरिक्षेत्र अंतर्गत तेंदूओं द्वारा किये गये हमले में जनवरी से दिसंबर माह तक 57 पालतू मवेशियों की जान गई है. जिसके तहत चांदूर रेल्वे वनपरिक्षेत्र अंतर्गत पोहरा, चिरोडी, मांजरखेड, मार्डा, कुर्हा, चेनुष्ठा, बोर्ड, कोंडण्यपुर, अशोक नगर, अंजनवती, सालबतपुर, कारला, दीघी महल्ले, आखतवाडा, वडुरा, देवगांव व सयदापुर गांवों के 33 तथा वडाली वनपरिक्षेत्र अंतर्गत पोहरा, इंदला, उदखेड, पिंपलखुटा, आर्हाड कुर्हाड, भानखेडा खुर्द, पार्डी, भानखेडा बु. व अंजनगांव बारी गांवों के 24 पालतू मवेशियों का समावेश था. इन सभी गांवों के आसपास ही जंगल क्षेत्र जुडा हुआ है. ऐसे में तेंदूए जंगलों से निकलते हुए बडी आसानी के साथ इन गांवों में प्रवेश करते है तथा किसानों व पशु पालकों के मवेशियों को अपना शिकार बनाते है.
* शहर से भी सटा है जंगल परिसर
उल्लेखनीय है कि, शहर के महादेवखोरी, विद्यापीठ परिसर, वडाली, डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि संशोधन केंद्र तथा कठोरा नाका व शेगांव नाका परिसर के आसपास भी कुछ हद तक जंगल परिसर है. इसके साथ ही वीएमवी परिसर में काफी झाड झंकाड है और इन परिसर में घूमने वाले आवारा कुत्तों का शिकार करने के लिए जंगल क्षेत्र से तेंदूए निकलकर शहर की ओर आ रहे है. उल्लेखनीय है कि, शहर में रहने वाले लोगबाग अक्सर ही बचे-खुचे खाने को खुले में कचरे के ढेर पर फेंक देते है. जिसके चलते कचरे के ढेर वाले स्थानों पर भोजन की तलाश में आवारा कुत्तों व सुअरों का जमघट लगा रहता है. जो तेंदूओं के लिए बेहद आसान और पसंदीदा शिकार होते है. ऐसे में अपने शिकार की खोज में तेंदूए इंसानी बस्तियों की ओर आते है. शहर में कचरा पेटियों व गंदगी वाले स्थानों पर कुत्तों की संख्या काफी अधिक रहती है. जिसके चलत ऐसे स्थानों की ओर तेंदूए बडी जल्दी आकर्षित होते है.
* गत वर्ष विएमवि परिसर में तेंदूए ने जमाया था ठिया
बता दें कि, विगत वर्ष 4 से 5 माह से अधिक समय तक एक तेंदूए ने विएमवि परिसर की घनी झाडियों में अपना ठिया जमा लिया था, जो इस परिसर में बडी सहजता के साथ कुत्तों व सुअरों का शिकार किया करता था. इस तेंदूए की दहशत लंबे समय तक विएमवि परिसर के आसपास स्थित रिहायशी बस्तियों में बनी हुई थी. पश्चात बडी मशक्कत के बाद वनविभाग के दल ने इस तेंदूए को पकडने में सफलता हासिल की थी. परंतु इस परिसर में दोबारा तेंदूआ नहीं आएगा. ऐसी संभावना से अब भी इंकार नहीं किया जा सकता.
* दिनोंदिन अमरावती शहर का विस्तार हो रहा है तथा इंसानी बस्तियां जंगलों की ओर आगे बढ रही है. यहीं वजह है कि, विगत कुछ वर्षों से इंसानों और तेंदूओं का आमना-सामना होना बढ गया है. यह अपने आप में खतरे की घंटी है. जिसे समय रहते पहचानकर सभी लोगों ने सतर्क हो जाना चाहिए. साथ ही शहर के कुछ हॉट स्पॉट को चिंहिंत करते हुए संबंधित स्थान पर उपाय योजना भी करनी चाहिए. जिसके तहत शहर में आवारा घूमने वाले कुत्तों का टीकाकरण करना चाहिए. साथ ही जहां तक संभव हो, कचरा कंटेनर में किसी भी तरह का अन्न पदार्थ व खाद्य पदार्थ नहीं डालना चाहिए, ताकि आवारा कुत्ते कचरा कंटेनरों के आसपास जमा न हो, ऐसे स्थानों पर जमा होने वाले आवारा कुत्ते व सुअर ही तेंदूओं का मुख्य आहार होते है. जिनकी शिकार करने के लिए तेंदूए ऐसे स्थानों पर पहुंचते है.
– डॉ. स्वप्निल सोनोने,
वन्यजीव अभ्यासक.