आवारा कुत्तों की वजह से शहर के आसपास दिखाई दे रहे तेंदूए
खुले में फेंके गये कचरे के आसपास जमा होते है आवारा कुत्ते
* आवारा कुत्तों का शिकार करने चले आते है तेंदूए
अमरावती /दि.18– शहर में इन दिनों आवारा कुत्तों की दहशत काफी अधिक बढ गई है और आये दिन शहर में किसी ना किसी इलाके में श्वान दंश की घटना घटित होती है. विगत एक वर्ष के दौरान शहर सहित जिले में 19,716 लोगों को आवारा कुत्तों द्वारा काटे जाने की घटनाएं घटित हुई है. वहीं आवारा कुत्तों की वजह से एक ओर समस्या बडी तेजी के साथ सामने आ रही है. शहर से लगे महादेवखोरी, विद्यापीठ परिसर, डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि संशोधन केंद्र व वीएमवी परिसर में काफी झाड झंकाड है और इन परिसर में घूमने वाले आवारा कुत्तों का शिकार करने के लिए जंगल क्षेत्र से तेंदूए निकलकर शहर की ओर आ रहे है. ऐसे में यह बेहद जरुरी हो गया है कि, शहर में तेंदूओं का खतरा टालने हेतु सबसे पहले आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित किया जाये तथा इसके लिए शहर की साफ-सफाई की ओर पूरा ध्यान दिया जाये. जिससे जहां एक ओर तेंदूओं का शहर में आना रोका जा सकेगा. वहीं आवारा कुत्तों की संख्या भी काबू में की जा सकेगी. जिसके चलते दोनों ही सूरत में अमरावती शरहवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी.
* सभी विभागों के बीच समन्वय जरुरी
तेंदूओं के लिए कुत्ता पसंदीदा शिकार होता है. जिनकी खोज में तेंदूए इंसानी बस्तियों की ओर आते है. शहर में कचरा पेटियों व गंदगी वाले स्थानों पर कुत्तों की संख्या काफी अधिक रहती है. जिसके चलत ऐसे स्थानों की ओर तेंदूए बडी जल्दी आकर्षित होते है. ऐसे में यदि तेंदूओं की शहर में आवाजाही को टालना है, तो सबसे पहले शहर के सभी परिसर को साफ-सूथरा रखना होगा. जिसके तहत कचरा कंटेनरों की नियमित साफ-सफाई करनी होगी और ऐसे स्थानों पर भटकने वाले आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित रखने हेतु टिकाकरण मुहिम भी चलानी होगी. आवारा कुत्तों की संख्या के नियंत्रित रहने पर जहां एक ओर श्वान दंश का खतरा कम होगा. वहीं साफ सफाई संबंधी उपाय योजना करने पर आवारा कुत्ते कचरा कुंडियों की ओर नहीं जाएंगे तथा तेंदूए भी उनकी ओर आकर्षित नहीं होंगे. इसके लिए मनपा के विभिन्न विभागों द्वारा साथ मिलकर काम किये जाने की सख्त जरुरत है.
* शहर में आवारा कुत्तों का निर्बिजीकरण ही नहीं
मनपा द्वारा आवारा कुत्तों का निर्बिजीकरण ही नहीं किया जा रहा. जिसके चलते शहर में आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ रही है. जारी वर्ष में जनवरी से नवंबर माह के दौरान अमरावती शहर में 9116 लोगों को आवारा कुत्तों द्वारा काटे जाने की जानकारी जिला सामान्य अस्पताल में दर्ज है.
* गत वर्ष विएमवि परिसर में तेंदूए ने जमाया था ठिया
बता दें कि, विगत वर्ष 4 से 5 माह से अधिक समय तक एक तेंदूए ने विएमवि परिसर की घनी झाडियों में अपना ठिया जमा लिया था, जो इस परिसर में बडी सहजता के साथ कुत्तों व सुअरों का शिकार किया करता था. इस तेंदूए की दहशत लंबे समय तक विएमवि परिसर के आसपास स्थित रिहायशी बस्तियों में बनी हुई थी. पश्चात बडी मशक्कत के बाद वनविभाग के दल ने इस तेंदूए को पकडने में सफलता हासिल की थी. परंतु इस परिसर में दोबारा तेंदूआ नहीं आएगा. ऐसी संभावना से अब भी इंकार नहीं किया जा सकता.
* दिनोंदिन अमरावती शहर का विस्तार हो रहा है तथा इंसानी बस्तियां जंगलों की ओर आगे बढ रही है. यहीं वजह है कि, विगत कुछ वर्षों से इंसानों और तेंदूओं का आमना-सामना होना बढ गया है. यह अपने आप में खतरे की घंटी है. जिसे समय रहते पहचानकर सभी लोगों ने सतर्क हो जाना चाहिए. साथ ही शहर के कुछ हॉट स्पॉट को चिंहिंत करते हुए संबंधित स्थान पर उपाय योजना भी करनी चाहिए. जिसके तहत शहर में आवारा घूमने वाले कुत्तों का टीकाकरण करना चाहिए. साथ ही जहां तक संभव हो, कचरा कंटेनर में किसी भी तरह का अन्न पदार्थ व खाद्य पदार्थ नहीं डालना चाहिए, ताकि आवारा कुत्ते कचरा कंटेनरों के आसपास जमा न हो, ऐसे स्थानों पर जमा होने वाले आवारा कुत्ते व सुअर ही तेंदूओं का मुख्य आहार होते है. जिनकी शिकार करने के लिए तेंदूए ऐसे स्थानों पर पहुंचते है.
– डॉ. स्वप्निल सोनोने,
वन्यजीव अभ्यासक.