अमरावती

३८ दिनों तक चला प्रकल्पग्रस्तों का संघर्ष

आश्वासन देने के बाद अनशन पीछे लिया गया

अमरावती/दि.१२– प्रकल्पग्रस्तों को २०१३ के कानून के अनुसार बढाकर मुआवजा दिया जाए. इस प्रमुख मांग को लेकर विदर्भ किसान प्रकल्पग्रस्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में जिलाधिकारी कार्यालय में परिसर में अनशन शुरू था. सांसद शरद पवार ने प्रकल्पग्रस्तों को दिए गये आश्वासन के बाद अनशन पीछे लिया गया. ३८ दिन चले इस किसानों के परिश्रम को आखिर सफलता मिली है. आगामी २७ अप्रैल को सांसद शरद पवार की उपस्थिति में मंत्रालय में प्रकल्पग्रस्तों की बैठक होगी. इससे पूर्व शरद पवार के आदेशानुसार अन्न व औषध प्रशासन मंत्री राजेन्द्र शिंगणे, राष्ट्रवादी के ज्येष्ठ नेता सुरेखा ठाकरे ने अनशन स्थल को भेंट दी. इस अवसर पर अनशनकर्ताओं को शरबत पिलाकर अनशन पीछे लिया गया.
सन २००६ से दिसंबर २०१३ इस कालावधि में सीधी खरीदीदार किसानों को २०१३ के कानूननुसार बढा हुआ मुआवजा मिले, महाराष्ट्र पुनवर्सन कानून के अनुसार विस्थापित परिवार के एक व्यक्ती को शासकीय सेवा में शामिल करे व संभव न होने पर एकरकर्मी २० लाख रूपये दे, पुनवर्सन कानून २०१३ नुसार सभी लाभ दिए जाए. इन सभी प्रमुख मांगों के साथ अन्य प्रलंबित मांग के लिए विदर्भ किसान प्रकल्पग्रस्त संघर्ष समिति के माध्यम से अमरावती विभाग के प्रकल्पग्रस्तों ने ४ मार्च से अनशन शुरू किया. शुरूआत में १७ मार्च तक प्राणांतिक महा अनशन किया. परंतु जलसंपदा मंत्री अजीत पवार तथा पालकमंत्री एड. यशोमती ठाकुर के आश्वासन के बाद होली से राहुटी और श्रृंखला अनशन शुरू किया. इस समय जनप्रतिनिधि ने अनशन स्थल को भेंट दी. किंतु इस पर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई. इस दौरान राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष सांसद शरद पवार अमरावती में एक निजी कार्यक्रम निमित्त आए. इसके साथ ही जलसंपदा मंत्री जयंत पाटिल भी उपस्थित थे. इस अवसर पर प्रकल्प ग्रस्तों ने पवार के मांग के अनुसार चर्चा की. शरद पवार के साथ सकारात्मक चर्चा की गई. चर्चा के अंत में आखिर अनशन पीछे लिया गया. २७ अप्रैल को शरद पवार की उपस्थिति में मुंबई में बैठक होने का समिति अध्यक्ष मनोज चव्हाण ने बताया.इससे पूर्व शरद पवार से मिलने के लिए गये शिष्टमंडल में माणिकराव गंगावणे, साहेबराव विधले, रविन्द्र जैन, गौतम खंडारे, विजय दुर्गे, राजाभाउ काले आदि शामिल थे.

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