नानी को मौत के घाट उतारने वाले नाती को उम्रकैद
जिला न्यायालय का महत्वपूर्ण फैसला
* बोरीकर प्लाट, राठी नगर की दिल दहलाने वाली घटना
अमरावती/ दि.19– गाडगे नगर पुलिस थाना क्षेत्र के बोरीकर प्लाट, राठी नगर निवासी 75 वर्षीय शांताबाई चांदेकर, उसका नाती स्वप्नील उर्फ संतोष तुलशिराम कोडापे (30) व उसकी बहन एक ही घर में रहते थे. नानी शांताबाई ने बाइक खरीदने के लिए रुपए नहीं दिये, इस बात को लेकर आरोपी नाती संतोष ने उसकी नानी की बेरहमी से हत्या कर डाली. करीब दो वर्ष पूर्व हुई इस घटना पर सुनवाई के बाद जिला न्यायालय क्रमांक-1 के न्यायमूर्ति एस.एस.अडकर की अदालत ने जिला सरकारी वकील परीक्षित गणोरकर की दलीलों को मान्य करते हुए आरोपी स्वप्नील उर्फ संतोष को हत्या दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई.
जानकारी के अनुसार मृतक शांताबाई शिकायतकर्ता मेघा अनिल हरले की मां है. आरोपी स्वप्नील उर्फ संतोष कोडापे शिकायतकर्ता की बहन का पुत्र है. घटना के पहले से मृत शांताबाई उसकी बहन आशा के साथ रहती थी. उसी घर में मृतक की पुत्री, दामाद व आरोपी एक ही घर में रहते थे. आरोपी कोई कामकाज नहीं करता था. घटना के दो दिन पहले से आरोपी उसकी नानी शांताबाई से उसकी बहन के लिए मोपेड लेने हेतु रुपए की मांग कर रहा था. 27 अक्तूबर 2019 इस घटना के दिन शाम 5 बजे शिकायतकर्ता को बताया गया कि, घर में आरोपी संतोष और शांताबाई दोनों ही है. घर का दरवाजा अंदर से बंद है, ऐसी जानकारी मिलने पर शिकायतकर्ता मेघा उसके पति अनिल हरले मृतक के घर पहुंचे. उन्होंने दरवाजा खोलने के लिए जोरों से चिकपुकार शुरु की. तब आरोपी संतोष ने दरवाजा खोला और वहां से भाग गया. दोनों ने घर में जाकर देखा तो शांताबाई खुन से लतपत जमीन पर पडी थी. तब उन्होंने गाडगे नगर पुलिस थाने में सूचना दी. पुलिस ने हत्या का अपराध दर्ज कर मामले की तहकीकात की.
तहकीकात के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ अदालत में दोषारोपपत्र दायर किया. आरोपी के खिलाफ दोष सिध्द करने के लिए सरकारी पक्ष की ओर से जिला सरकारी वकील परीक्षित शरद गणोरकर ने कुल 5 गवाहों के बयान लिये. सरकारी पक्ष की ओर से खासतौर पर आरोपी व मृतक दोनों घर में ही थे.उनके अलावा और कोई व्यक्ति घर में नहीं था और घर में आने के लिए कोई दूसरा रास्ता नहीं था. ऐसी स्थिति में घर में क्या हुआ, इसके लिए स्पष्टीकरण देने की सारी जिम्मेदारी आरोपी पर है. आरोपी ने भी कोई खास स्पष्टीकरण नहीं दिया. दलीले सुनने के बाद अदालत ने आरोपी को दफा 302 हत्या के अपराध में उम्रकैद व 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई और वह जुर्माना न भरने पर एक वर्ष साधे कारावास की सजा सुनाई गई. इस अपराध में प्राथमिक जांच सहायक पुलिस निरीक्षक मनीष वाकोडे तथा बाकी तहकीकात व दोषारोपपत्र पुलिस उपनिरीक्षक पंकज ढोके ने दायर किया. इस मामले में सरकारी पक्ष की ओर से जिला सरकारी वकील परीक्षित गणोरकर ने दलीले प्रस्तुत की. पैरवी अधिकारी के रुप में एच.सी.बाबुराव मेश्राम व एनपीसी अरुण हटवार ने सहयोग किया.