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महेश फेरवानी के दो हत्यारों को आजीवन कारावास

घर लौट रहे फेरवानी की कॉटन मार्केट रोड पर की गई थी निर्मम हत्या

* वसूली की रकम लूटने किया गया था महेश फेरवानी पर कातिलाना हमला

अमरावती/दि.10 – स्थानीय गाडगेनगर पुलिस थाना क्षेत्र अंतर्गत कॉटन मार्केट से प्रवीण नगर की ओर जानेवाले रास्ते पर 27 अगस्त 2016 को रात 10.30 बजे महेश सच्चानंद फेरवानी नामक युवक को धारदार हथियारों से सपासप वार करते हुए मौत के घाट उतार देने के मामले में स्थानीय प्रमुख जिला व सत्र न्यायाधीश रविंद्र एम जोशी द्वारा दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी. वहीं अन्य दो आरोपियों को सबूतों के अभाव में संदेह लाभ देते हुए बाइज्जत बरी किया गया.
इस्तगासे के मुताबिक सरस्वती नगर परिसर में रहनेवाला महेश सच्चानंद फेरवानी सिटीलैण्ड स्थित सिंध होजियरी में नौकरी किया करता था और उसे पास प्रत्येक शनिवार को ग्राहकों से उधारी की वसूली करने की जिम्मेदारी थी. जिसे शनिवार को वसूल करने के बाद वह उसी दिन अथवा अगले दिन सिंध होजियरी में जमा कराया करता था. इस हत्याकांड में शामिल निलेश उर्फ गोलू चव्हाण (33, किशोर नगर) तथा पंकज आलोक मिश्रा (37, प्रभात कालोनी) भी महेश फेरवानी के साथ सिंध होजियरी में नौकरी किया करते थे. जिन्हें प्रत्येक शनिवार को महेश फेरवानी के पास अच्छी-खासी बडी रकम रहती है, यह बात पता थी और उन्होंने इस बात की टीप अपने परिचय में रहनेवाले रवि गणपत धोटे (28, हमलापुरा) तथा शैलेश हंसराज चौधरी (35, बेलपुरा) को दी थी. साथ ही उसे बताया था कि, महेश रात में किस वक्त पैसा लेकर अपने घर की ओर अकेला जाता है. इस टीप के आधार पर रवि धोटे व शैलेश चौधरी ने 27 अगस्त 2016 की रात 10.30 बजे कॉटन मार्केट से प्रवीण नगर की ओर अपने मोटरसाईकिल से घर जा रहे महेश फेरवानी को रास्ते में अडाया और उसके शरीर पर चाकू से करीब 10-12 घाव मारे. इसके बाद दोनों आरोपी वसूली की रकम रहनेवाली रक्कम की बैग लूटकर मौके से फरार हो गये. वहीं महेश फेरवानी की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी. पश्चात महेश के पिता सच्चानंद दयाराम फेरवानी की शिकायत पर गाडगेनगर पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ हत्या का अपराध दर्ज किया और मामले की जांच करते हुए हत्याकांड में शामिल चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर अदालत में दोषारोपपत्र प्रस्तुत किया. इस मामले की जांच करते समय मृतक महेश फेरवानी के पास आरोपियों से एक का मोबाईल पाया गया था. साथ ही मृतक के खून के अंश आरोपियों के कपडे व वाहनों से बरामद हुए थे. साथ ही रवि धोटे व शैलेश चौधरी के पास से लूट की रकम भी जप्त की गई थी.
अदालत में हुई सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष द्वारा आरोपियों का अपराध सिध्द करने हेतु कुल 14 गवाह पेश किये गये और सभी गवाह अपने बयानों पर कायम भी रहे. किंतु निलेश चव्हाण व पंकज मिश्रा का इस अपराधिक वारदात में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष सहभाग रहने का कोई भी सबूत दोषारोपपत्र में नहीं था. हालांकि अभियोजन पक्ष ने उन्हें भी हत्या के इस षडयंत्र में सहभागी दिखाने का पूरा प्रयास किया. किंतु अदालत ने सहायक सरकारी वकील एड. सुनील देशमुख का युक्तिवाद सुनने के बाद केवल रवि धोटे व शैलेश चौधरी को ही धारा 302 व 397 के तहत दोषी करार दिया और आजीवन कारावास सहित 2-2 हजार रूपये के आर्थिक जुर्माने की सजा सुनायी. जुर्माना अदा नहीं करने पर दोनों आरोपियों को एक-एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा. वहीं अदालत ने इस मामले में नामजद निलेश चव्हाण व पंकज मिश्रा को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. इस मामले में जांच अधिकारी कैलाश पुंडकर, आनंद बनसोडे व विनीत कदम, रिटायर्ड हेपोकां मनोहर वाठ तथा पैरवी अधिकारी नापोकां अरूण हटवार ने अभियोजन पक्ष के साथ बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

* 15 लाख रूपये की हुई थी लूट

बता दें कि, जिस वक्त महेश फेरवानी का आरोपियों द्वारा बेरहमी से कत्ल किया गया था, उस समय उसके पास बाजार लाईन से की गई वसूली के करीब 15 लाख रूपये थे और प्रत्येक शनिवार को उसके पास लगभग इतनी रकम रहती ही थी, यह बात महेश के साथ काम करनेवाले निलेश चव्हाण व पंकज मिश्रा को पता थी. इसी के चलते उनके मन में बेईमानी जागी और इन दोनों ने अपने परिचय में रहनेवाले रवि धोटे व शैलेश चौधरी इन दो दोस्तोें के साथ मिलकर महेश फेरवानी को लूटने की योजना बनायी. किंतु लूट की घटना को अंजाम देते समय महेश फेरवानी अपने पास मौजूद पैसों से भरी बैग को छोडने के लिए तैयार ही नहीं था. ऐसे में रवि धोटे व शैलेश चौधरी ने उस पर चाकू से सपासप वार करने शुरू किये थे. किंतु अंतिम सांस तक महेश की अपनी बैग से पकड ढिली नहीं हुई. जिसके चलते दोनों आरोपियों ने उसे जान से ही मार डाला और फिर 15 लाख रूपये से भरी बैग को छीनकर वहां से भाग गये.

* निषेध मोर्चा निकालकर बाजार रखा गया था बंद

27 अगस्त की रात घटित महेश फेरवानी हत्याकांड की जानकारी सामने आते ही 28 अगस्त की सुबह पूरे शहर के व्यापारियों में जबर्दस्त रोष व संताप की लहर फैल गई थी और व्यापारियों ने इस घटना का निषेध करने के लिए बाजार बंद रखते हुए सामूहिक श्रध्दांजलि एवं निषेध मूक मोर्चा का आयोजन किया था. जिसके तहत व्यापारियों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए पुलिस आयुक्त व जिलाधीश को ज्ञापन सौंपे गये थे. ऐसे में पुलिस पर भी आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने का दबाव था तथा पुलिस ने महज 24 घंटे के भीतर इस हत्याकांड में शामिल चारों आरोपियों को धर दबोचा था.

* महेश का पूरा परिवार हो गया था अस्त-व्यस्त

महेश फेरवानी का छोटासा परिवार बडी राजी-खुशी अपनी जिंदगी जी रहा था. किंतु 27 अगस्त 2016 की रात 10.30 बजे घटित वारदात के बाद सबकुछ बिखर गया. उस समय महेश एक बेटी का पिता था तथा उसकी पत्नी दूसरी बार गर्भवती थी. महेश की मौत के कुछ समय पश्चात उसकी पत्नी ने एक और प्यारी सी बच्ची को जन्म दिया था. जिसके सिर से उसके पिता का साया उसके जन्म से पहले ही हट चुका था. वहीं अपने जवान बेटे की मौत ने महेश के पिता सच्चानंद फेरवानी को भी तोडकर रख दिया और उनका भी तीन साल बाद वर्ष 2019 में निधन हो गया. इस समय सरस्वती नगर वाले घर पर महेश के भाई जीतेंद्र फेरवानी का परिवार रहता है, जो छोटी सी दुकान चलाते हुए अपना गुजर-बसर करते है. वहीं महेश की पत्नी अपनी दोनोें बच्चियों को लेकर अपने माता-पिता के यहां खामगांव लौट गई है.
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* इन्साफ अभी अधूरा है

दैनिक अमरावती मंडल के साथ बातचीत करते हुए महेश के भाई जीतेंद्र फेरवानी ने कहा कि, अदालत द्वारा दो आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई, यह तसल्लीवाली बात है. किंतु जिन दो लोगों ने रात-दिन महेश के साथ रहने के बावजूद उससे विश्वासघात किया और उसे अपने साथियों की मदद से मौत के मुंह में ढकेल दिया. उन दोनों को बरी नहीं किया जाना चाहिए था, बल्कि उन्हेें भी सजा सुनाई जानी चाहिए थी. क्योेंकि वे महेश की मौत के लिए असल जिम्मेदार है. ऐसे में इन्साफ अभी अधूरा है और अभियोजन पक्ष ने सभी आरोपियों को कडी से कडी सजा दिलाने हेतु हाईकोर्ट में अपील करनी चाहिए.

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