बच्चों की तरह ही कुत्तों को भी शिक्षित करना जरुरी!
प्रशिक्षकों ने बताया महत्व, जिले में करीब एक दर्जन श्वान प्रशिक्षण केंद्र
अमरावती/दि.3 – हमे अपने बच्चों के भविष्य की चिंता होती है. इसी वजह से हम उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाते है. घर पर रहने वाला कुत्ता भी परिवार के सदस्य की तरह होता है. ऐसे में उसे भी प्रशिक्षित करने की सक्त जरुरत होती है. इस बात का महत्व अब कुत्ता पालने वाले लोगों को पता चल रहा है. यहीं वजह है कि, घर पर पालने हेतु कुत्ता लाए जाने पर उसे प्रशिक्षण केंद्र में दाखिल करने को लेकर इन दिनों जनजागृति बढ रही है.
उल्लेखनीय है कि, लोगों में आयी जागरुकता को देखकर इस समय शहर सहित जिले में करीब एक दर्जन श्वान प्रशिक्षण केंद्र खुल गए है. जहां पर आर्थिक रुप से संपन्न लोग अपने द्बारा पाले जाने वाले कुत्तों को कुछ समय के लिए प्रशिक्षण के लिए भर्ती कराते है.
कुत्तों को प्रशिक्षण देना इस लिहाज से भी जरुरी होता है, क्योंकि एक विशिष्ट आयु के बाद कुत्ते आक्रामक हो सकते है. इसके तहत प्रशिक्षण के पहले चरण में कुत्तों को मल-मूत्र त्यागने के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वे घर में कहीं पर भी गंदगी ना करें. यह प्रशिक्षण प्राप्त रहने वाले कुत्ते या तो खुद ही मल-मूत्र त्यागने हेतु बाहर चले जाते है, या फिर अपने मालिक को संकेत देकर सूचित करते है अथवा किसी अन्य को कोई तकलीफ ना हो, ऐसे स्थान पर वे अपनी विधी निपटा लेते है.
कुत्तों को अनुशासित करने हेतु करीब डेढ माह तक उनके मालिक से दूर रखना अनिवार्य होता है. तभी वे स्वावलंबी बन पाते है. मालिक की ओर से दिए जाने वाले निर्देशों का कुत्तों द्बारा पालन किया जाए. इस बात के लिए कुत्तों को प्रशिक्षित किया जाता है. उल्लेखनीय है कि, कई कुत्तों द्बारा आज तक कई बडे-बडे पराक्रम व शैर्य वाले काम किए गए है. ऐसे में अपने द्बारा पाला गया कुत्ता कम से कम घर में स्मार्ट व आज्ञाकारी हो, ऐसा प्रत्येक श्वान मालिक को लगता है. लेकिन इसके लिए कुत्तों को प्रशिक्षित किया जाना बेहद जरुरी है. यह प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षक भी खुद बेहद प्रशिक्षित होते है. जो सिकंदराबाद जाकर कुत्तों को प्रशिक्षित करने का प्रशिक्षण प्राप्त करते है.
* अनुशासन का एक नियम ऐसा भी
कुत्ता पालने वाला प्रत्येक व्यक्ति अपनें पालतू कुत्तें को रस्सी अथवा जंजीर बांधकर घूमाने के लिए बाहर लेकर जाता है. लेकिन कुत्ते को घुमाने का भी एक नियम व अनुशासन होता है. कुत्ते ने अपने मालिक के बायी ओर शांत तरीके से चलना चाहिए और जंजीर या पट्टे को कुत्ते ने खुद जबर्दस्ती खींचना नहीं चाहिए, ताकि कुत्ते के पीछे उसके मालिक को दौडना न पडे.
* हर प्रजाति के कुत्तें को प्रशिक्षण जरुरी
प्रत्येक व्यक्ति अपनी जरुरत या पसंद के अनुरुप अलग-अलग प्रजाति के कुत्तें पालने का शौक रखता है. किसी को आक्रामक स्वभाव वाला कुत्ता पसंद आता है, तो कोई घर में सबको संभालने वाला और प्यार करने वाला कुत्ता पसंद करता है. जिसके तहत लोगबाग अलग-अलग ब्रिड के कुत्तें पालते है. लेकिन देशी यानि गावरानी ब्रिड को सबसे बेहतरीन ब्रिड माना जाता है. जो आक्रामक रहने के साथ-साथ प्यार करने वाले भी होते है और ज्यादा बार बीमार भी नहीं पडते. इन कुत्तों को भी आवश्यक प्रशिक्षण देकर उन्हें ज्वेलर्स, एटीएम व सरकारी कार्यालय जैसे स्थानों की सुरक्षा हेतु काम में लाया जा सकता है और उनके जरिए सुरक्षा व्यवस्था को चूस्त दुरुस्त किया जा सकता है. विशेष उल्लेखनीय है कि, देशी कुत्तों की कई पीढियां इंसानों के साथ मिल-जुलकर रह रही है. जिसके चलते देशी कुत्तों में इंसानों को लेकर एहसास काफी अधिक समृद्ध होते है और वे काफी जल्दी प्रशिक्षित भी हो सकते है.
* इन बातों का ध्यान रखना जरुरी
अपने कुत्ते को शुरुआत से प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए और प्रशिक्षण के लिए उसके बडे होने का इंतजार नहीं करना चाहिए.
जिस तरह घर में कभी-कभी बच्चों के साथ डांट-फटकार होती है. उसी तरह कुत्तें पर भी डांट-फटकार और गुस्सा होना चाहिए, ताकि उसे अनुशासित किया जा सके.
कुत्ते को हमेशा बांधकर न रखे, बल्कि उसे आसपडोस के लोगों के साथ मिलने-जुलने दे.
विदेशी ब्रिड वाले कुत्तों को गेस्टो होने का खतरा अधिक होता है. ऐसे कुत्तों को यदि उलटी होती है, तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाए तथा इसके समय नष्ट न करें.
कुत्ते को 15 दिन में एक बार अच्छी तरह से नहलाए. इसके लिए कम से कम रसायन वाले शैम्पू का प्रयोग करें.
अक्सर ही बाहर की मिट्टी कुत्तों के शरीर पर लगती है और उसे अपनी त्वचा को चाटते है. जिसकी वजह से उस मिट्टी में रहने वाले जीवाणु व विषाणु कुत्तों के पेट में चले जाते है. ऐसे में कुत्तों को रोजाना स्पंजिंग करना चाहिए.