भाषाई मीडिया ने अपनी विश्वसनीयता को रखा है बरकरार
दैनिक अमरावती मंडल के संपादक अनिल अग्रवाल का प्रतिपादन
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आयआयएमसी के ऑनलाईन परिचर्चा में कहा
अमरावती प्रतिनिधि/दि.18 – सूचना व प्रसारण मंत्रालय की स्वायत्त संस्था रहनेवाले भारतीय जनसंचार संस्था की संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ स्थित पश्चिम क्षेत्रीय केंद्र की ओर से बुधवार को प्रादेशिक विकास में भाषा पत्रकारिता का महत्व विषय पर विशेष ऑनलाईन परिचर्चा का आयोजन किया गया. इस परिचर्चा की अध्यक्षता केंद्र संचालक प्रा. डॉ. अनिलकुमार सौमित्र ने की. इस अवसर पर दैनिक अमरावती मंडल एवं दैनिक मातृभुमि के संपादक अनिल अग्रवाल,े पुणे के वरिष्ठ पत्रकार आशिष चांदोरकर, वरिष्ठ पत्रकार संजय पाखोडे तथा पुणे के विश्वनाथ गरूड मौजूद थे. इस ऑनलाईन परिचर्चा में दैनिक अमरावती मंडल के संपादक अनिल अग्रवाल ने कहा कि, देश में आज 70 करोड पाठक है. यह सभी पाठक भाषाई समाचारों को पढना बखूबी पसंद करते है. प्रादेशिक विकास में इन सभी का योगदान काफी महत्वपूर्ण है. इसलिए भाषाई मीडिया ने अपनी विश्वसनीयता को हमेशा बरकरार रखना चाहिए. इस ऑनलाईन परिचर्चा में दैनिक अमरावती मंडल के संपादक अनिल अग्रवाल ने भाषाई पत्रकारिता के इतिहास पर प्रखर विचार व्यक्त किये.
इस परिचर्चा में वरिष्ठ पत्रकार संजय पाखोडे ने कहा कि, भाषा के माध्यम से प्रादेशिक विकास को बढावा दिया जा सकता है. जनता की आवाज को भाषिय अखबार सरकार तक पहुंचाने का काम करते है. इस दौरान पुणे के विश्वनाथ गरूड ने कहा कि, डिजीटल मीडिया भी प्रादेशिक विकास में अहम भुमिका निभा सकती है. समस्या की पहचान कराने में यह काफी उपयुक्त साबित हो सकती है. वहीं वरिष्ठ पत्रकार आशिष चांदोरकर ने कहा कि, भाषाई अखबार और अंग्रेजी अखबारो के विकास की परिकल्पना अलग-अलग है. भाषिक अखबार छोटे-छोटे मुद्दों को प्राथमिकता देते हुए विकास प्रक्रिया को क्रियान्वित करने का काम करते है. अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. सौमित्र ने कहा कि, स्थानीय भाषा यह अस्तित्व की भाषा है. इसके चरम विकास के साथ ही न्यूनतम विकास की स्थिति के अध्ययन पर जोर देना चाहिए. परिचर्चा का प्रास्ताविक संयोजक प्रा. अनिल जाधव ने किया. संचालन प्रा. विनय सोेनुले ने किया.