अमरावती

अजीत कडकड़े के भक्ति गायन से श्रोता मंत्रमुग्ध

स्वामी समर्थ मठ द्वारा आयोजन

अमरावती/दि.4- लाखों भक्तों के दिलों में भक्ति का फूल खिलाकर दिलों के सिंहासन पर सर्वोच्च शासन करनेवाले सच्चे स्वर्गगंधर्व अजीत कडकडे के मधुर भक्तिगीतों के मुखर संगीत कार्यक्रम का आनंद लिया. स्थानीय जनार्दन पीठ स्वामी समर्थ मठ देवस्थान की ओर से हाल ही में ओसवाल भवन में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था.
अजीत कडकड़े एक हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक और संगीतकार हैं, जो संगीताचार्य पं.जितेंद्र अभिषेकी बुवा के शिष्य के रूप में प्रसिद्ध हैं. शास्त्रीय और उप-शास्त्रीय संगीत, नाट्यसंगीत, अभंग, भक्तिगीत, गौलन और भावगीत श्रोताओं को आनंदित करते हैं. विठ्ठल और दत्तप्रभु पर गाए गए हजारों अभंग और भक्तिगीत जनता के बीच लोकप्रिय हुए हैं. ऐसे उच्च कोटी के भक्तिगीतों की दावत पाने के लिए आयोजकों ने इस महान गायक के भक्तिगीतों के गायन का आयोजन किया. जिसके पास एक दिव्य आवाज का उपहार है और इस संगीत कार्यक्रम के माध्यम से शहरवासी और बाहर से आए हजारों श्रोता खुश हो जाते हैं.
अजीत कडकड़े ने गोरख कल्याण राग के ख्याल गायन से यानी कजरा लगाये इस बंदीश से संगीत महफिल की जोरदार शुरुआत की और श्री गणेश बाबा के भक्तिगीत गाए. इसके बाद प्रसिद्ध नाट्यगीत ‘काटा रुते कुणाला…, हे सुरांनो…,चंद्र व्हा…, दत्तप्रभु…, स्वामी समर्थ…, संत गजानन…, अवघे गर्जे पंढरपुर…, निघालो घेऊन दत्ताची पालखी…,’ वासुदेवानंद सीताराम टेम्बे स्वामी और राष्ट्रसंत श्रीतुकडोजी महाराज की ‘देव बाजारचा भाजीपाला नाही हो’ ऐसी एक से बढ़कर एक भक्तिमय रचनाएं प्रस्तुत की. अंत में ‘कब होगी स्वामी कृपा…’ इस भैरवी के साथ भक्तिसंगीत महफिल का समापन हुआ. इस अवसर पर अजीत कडकड़े के चाहनेवाले हजारों युवा और वृद्ध प्रशंसक भक्तिमय माहौल में मंत्रमुग्ध हो गए. करीब ढाई घंटे तक चले इस भक्ति-संगीत में अजीत कडकडे के साथ तबले पर रूपक वझे, हारमोनियम पर प्रकाश वगल, मृदुंग पर दिनकर भगत, मंजिरी पर उल्हास दलवी और स्वरों पर किशोर देसाई थे.
इस भक्ति समारोह का संचालन मीराताई ने किया और धन्यवाद प्रस्ताव किशोर नवसालकर ने दिया. शिवकुमार बैस, योगेश वानखेड़े, विशाल कुलकर्णी, जयंत कद्रे, अजय गंधे और स्वामी समर्थ देवस्थान, जनार्दन पेठ के अनेक कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम के आयोजन में सक्रिय योगदान दिया.

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