जीवन में सत्संग का श्रवण जरूरी

पूज्य श्री परम दिव्यताजी महासतीजी

* महिलाओं व बच्चों के लिए आयोजित विशेष शिबिर का लिया लाभ
अमरावती/ दि. 5 श्री वर्धमान स्थानकवासी गुजराती जैन संघ अंबापेठ अमरावती के प्रांगण में राष्ट्रसंत परम गुरुदेव श्री नम्रमुनि साहेब के आज्ञानुवर्ती पूज्य श्री परम दिव्यताजी महासतीजी, पूज्य श्री परम ऋजुताजी महासतीजी,पूज्य श्री परम सात्विकाजी महासतीजी, पूज्य श्री परम नमस्वीजी महासतीजी,पूज्य श्री परम संवेगीजी महासतीजी एवं पूज्य श्री परम जिनेशाजी महासतीजी आदि ठाणा – 6 का कोलकाता विहार यात्रा दरमियान अमरावती की धन्य धरा पर प्रथम बार मंगल आगमन हुआ.

अमरावती स्थिरता दरमियान पूज्य श्री परम दिव्यताजी महासतीजी ने अर्हम मंत्र से मंगलाचरण कराते हुए,जिनवाणी फरमाते हुए बताया कि,जिस उपाश्रय में अनेकानेक पूज्य गुरुदेव अनेक आचार्य गुरु भगवंत एवं पूज्य श्री महासतीजी पधारे थे, जिनकी क्षेत्र स्पर्शना इस अंबापेठ उपाश्रय में हुई हैं उस उपाश्रय का वाइब्रेशन कितना जबरदस्त होगा. आज तीर्थ रूप इस उपाश्रय में हमें स्पर्शना का अवसर मिला हमारा परम सौभाग्य हैं.

प्रभु की वाणी सुनने से पहले हमें उत्कृष्ट विनय भाव प्रकट करना चाहिए, विनय भाव प्रकट करने से निर्विघ्नता आती हैं. प्रभु जैसे सद् गुण हमारे में प्रकट होने लगते हैं.
आत्मा के क्रोध मान,माया,लोभ,रूपी कषायों को शांत करने के लिए पानी डाला जाए या फिर कोई ऐसा केमिकल जो उसे शांत कर दें. भाविकों ने कहा समता और समाधिरुपी केमिकल डाला जाये, क्षमा, नम्रता रूपी केमिकल डाला जाये तो आग शांत हो सकती है. तब परम महासतीजी ने फरमाया कि बात तो सही है पर यह सद्गगुण आएंगे कहां से ? भाविकों ने बताया समझ से, ज्ञान से.. तब महासतीजी ने फरमाया यह समझ,यह ज्ञान आयेगा कहां से, भाविकों ने बताया गुरु के सानिध्य में, तब परम महासतीजी ने बताया कि ..जी हां गुरु भगवंतों, संतो के सानिध्य में सत्संग करने से, वारंवार जिनवाणी श्रवण करने से… समझ बढ़ेगी,ज्ञान बढ़ेगा,सत्य समझेगा. सांप और नेवला जब भी मिलते तब पूर्व भव के वैर के कारण झगड़ते रहते हैं, परंतु सांप और नेवले में शक्तिशाली कौन होता है ? सांप शक्तिशाली होता है, परंतु नेवला अपने आप को वीक नहीं होने देता, क्योंकि उसे विजयी होना हैं. वह अपनी सेल्फ को सांप के सामने लड़ने के लिए इतना प्रिपेयर कर लेता है कि लड़ते लड़ते जैसे ही वीक होने लगता है.
यदि आप भावी पीढ़ी का भविष्य उज्जवल चाहते हो तो आपको उनके लिए बार-बार सत्संग का योग कराना होगा . उपाश्रय में आकर सत्संग करना आसान है इसी के साथ हमें हमारे घर को भी उपाश्रय बनाना चाहिए. आपके घर में प्रतिदिन एक बार घर सभा होनी चाहिए, रोज रात को,शाम को या रोज सुबह पूरे घर के जितने भी सदस्य है सभी ने एकत्रित होकर एक दूसरे के अनुभव बांटने के साथ एक दिन भक्ति करें, एक दिन जप साधना करें, एक दिन प्रवचन की बुक अथवा जैन धर्म ग्रंथ आगम का वांचन करें और उसके अर्थ को समझें और समझाएं. यदि आपके घर में रोज एक बार घर सभा होती रहें तो आपका घर भी पवित्र स्थान उपाश्रय बन जाएगा. धर्म हमारे जीवन में प्रसन्नता लाता है ,धर्म हमारे जीवन में सकारात्मकता लाता है. जिनशासन बार-बार हमें तभी मिलेगा जब हम शासन की सेवा करेंगे. हमें घर को तो उपाश्रय बनाना ही है लेकिन उसी के साथ हमें हमारे बच्चों को भी धर्म के संस्कारों से प्रेरित करना है. अतः हम भी पढ़ें और बच्चों को भी पढ़ाने के कर्तव्य में जुड़ जाएं. उन्हें यहां चल रही लुक एन लर्न पाठशाला में भेजकर उन्हें संस्कारित करने का कर्तव्य निभाएं. अर्हम युवा सेवा ग्रुप में सेवा कार्य से जोड़े जो प्रभु जैसी करूणा भावना उनमें जगाएं. हमेशा सकारात्मक सोच ही सुख शांति प्रदान करती है. ज्ञानी कहते हैं जैसी भावना वैसी प्रभावना. हमेशा समभाव में रहो शुभ भाव में रहो. हमेशा सत्संग में जानेवालों से,धर्म कथा पढ़नेवालों से, नियमित धर्म आराधना करनेवालों से कभी अशुभ कार्य नहीं होता.
पूज्य श्री परम दिव्यताजी महासतीजी ने दोपहर बहनों के लिए आयोजित शिविर में फ़रमाया कि , मरीचि भी महावीर बन सकते हैं, हमें किसी के भी प्रति पूर्वाग्रह नहीं रखना है. हमारे भीतर किसी के भी प्रति चाहे वह कोई व्यक्ति हो,रिलेटिव्स हो या अन्य कोई…एक बार यदि हमारे मन में किसी के प्रति नेगेटिविटी का भाव आ जाता है तो वह व्यक्ति जितनी भी बार आपके सामने आए वही निगेटिविटी हमारी डिप मेमोरी में से बाहर आ जाती है, ऐसे समय हमें क्या करना चाहिए? हर आत्मा में भगवान बनने की क्षमता है इस भाव को दृढ़ करना चाहिए. इस भाव की कल्पना होते ही हमारे मन में किसी के भी प्रति नेगेटिविटी का भाव नहीं रहेगा. हमें हमारी रिलेशनशिप को सुधारना है,हमें हमारी लाइफ को बेस्ट बनाना है तो किसी भी आत्मा में भावी के भगवान का दर्शन करना चाहिए.
बच्चों के लिए आयोजित शिविर में पूज्य श्री परम ऋजुताजी महासतीजी व पूज्य श्री परम जिनेशाजी महासतीजी वृंद ने लेश्या के विविध प्रकारों की समझ देते हुए बच्चों को शुभ भावों का महत्व समझाया. जितनी आपकी लेश्या शुभ उतना आपका मेमोरी पॉवर ज्यादा. आसन की स्थिरता,स्पाइनल कॉर्ड सीधी होने से ब्रेन से संपर्क ज्यादा तो आपका डिसिजन पॉवर ज्यादा,जितनी आपकी लाइफ में वंदना, नमस्कार, प्रणाम ज्यादा उतना ही आपका विनय ज्यादा,उतना ही आपका ब्रेन पॉवरफुल ज्यादा. ईगो कंट्रोल,एंगर कंट्रोल आदि विविध विषय पर प्रैक्टिकल प्रयोग,दीदी द्वारा बताई गई लेश्या पर शॉर्ट मूवी और गेम्स के माध्यम से परम महासती जी ने शिविर में शामिल हुए करीब 90 बच्चों को मार्गदर्शन दिया.

श्री वर्धमान स्थानकवासी गुजराती जैन श्रावक संघ अंबापेठ अमरावती श्री संघ के अध्यक्ष बिपिन भाई कोठारी,सचिव कल्पेश भाई देसाई एवं समस्त कार्यकारिणी व कायमी आमंत्रित सदस्य गण द्वारा परम महासतीजी के कोलकाता चातुर्मास की विहार यात्रा निर्विघ्न व शांता कारी रूप से संपन्न हो की शुभ भावना अभिव्यक्ति के साथ और चातुर्मास पूर्णाहुति पश्चात पुनः विहार यात्रा दरमियान अमरावती श्री संघ को आयंबिल ओली और धर्म श्रवण कराने का लाभ मिले ऐसी विनती की गई. पच्चक्खाण व मंगल पाठ श्रवण के साथ धर्म सभा का विराम हुआ.

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