कथा श्रवण ही सुलभ त्रिवेणी संगम : ज्ञानेश्वर महाराज
इंद्रशेष दरबार संस्थान में भागवत कथा ज्ञानयज्ञ सप्ताह
अमरावती/दि.1-लगभी 144 वर्षों के बाद महाकुंभ पर्व का संयोग आया. कई संत, महात्माओं सहित आम नागरिकों ने महाकुंभ में भीड की, परंतु जिन्हें जाना संभव नहीं था, उनके लिए भागवत कथा श्रवण ही एक त्रिवेणी संगम के समान है, इस आशय कथन ज्ञानेश्वर महाराज वाघ ने किया. वडाली के इंद्रशेष दरबार संस्थान की ओर से जारी भागवत कथा ज्ञानयज्ञ सप्ताह में भक्तों ने ज्ञानेश्वर महाराज के कथा श्रवण का लाभ उठाया.
महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि, प्रयाग में गंगा और यमुना संगम का प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होता है, परंतु सरस्वति का अस्तित्व वहां गुप्त रुप से है. इसलिए भागवत कथा श्रवण में अनेक भक्त और उनके द्वारा शुरु नाम चिंतन के प्रकट संगम में ईश्वर भी गुप्त रुप से उपस्थित रहते है.
इसलिए इस सत्संग का लाभ लेने का आह्वान उन्होंने किया. अति तत्परता के कारण परिणामों के बारे में न सोचकर कोई कार्य जिस तेजी से शुरु किया जाता है, उसे बाद में भूल जाते है. कई लोग केवल परिणामों के बारे में सोचकर कार्य की शुरुआत ही नहीं करते. इस प्रकार के दोनों व्यक्ति को आरंभ वीर और विचार वीर ऐसी संज्ञा ज्ञानेश्वर महाराज ने दी. उन्होंने कहा कि, कार्य छोटा-बडा कोई भी हो, उसमें स्वयं को समर्पित करते हुए अपने लक्ष्य को पाना चाहिए.