
१३ माह बीत रहे
अमरावती/२५ मार्च-स्थानीय निकाय के चुनाव बार बार प्रलंबित होने के कारण अधिकांश छोटे बडे विकास कार्य भी नही हो पा रहे हैं. १३ माह होने को आए चुनाव होने के लक्षण भी नजर नहीें आ रहे. जिसके कारण ग्रामों में हालत विकट हो चली है. लोगों का मानना है कि पदाधिकारी नहीं होने से अफसरांन पर अंकुश नहीं है. जिसके कारण गांव देहात के लोगों की सुनवाई नहीं हो रही. गत एक साल से अधिक समय हो गया मनपा, पालिका के साथ मिनी मंत्रालय पर भी प्रशासक राज है.
जिला परिषद पदाधिकारियो की कालावधी गत वर्ष २१ मार्च को पूर्ण हो गई. जिसके बाद अगले दिन से मुख्य कार्यकारी अधिकारी अविश्यांत पंडा प्रशासक नियुक्त हो हुए. पूरा वर्ष बीत गया. अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सभापति के कक्ष पर ताले है. पूर्व पदाधिकारी और इच्छुक चुनाव की तैयारी में लगे थे. मगर चुनावों की घोषणा नहीं हुइ. जिसके कारण पूर्व पदाधिकारी
चिंतित है. उनकी मुख्य ङ्क्षचता छोटे-बडे विकास कामों को लेकर है. गांवो में इन नेताओं को काम नही होने के कारण आम लोगों का सामना मुश्किल हो रहा है.
चुनाव को लेकर कुछ माह पहले तक कहा जा रहा था कि अब होंगे, जल्द होंगे. पूरा साल बीत गया. चुनाव की तारिख घोषित नही हुइ जिसके कारण प्रशासक राज मेें अधिकारियों की बन आई है. पदाधिकारी नही होने से मिनी मंत्रालय के अधिकांक्ष अफसर मनमाना कामकाज कर रहे है.
जिले में कौनसी योजना शुरू है, उस पर कितना फंड खर्च हुआ है, इसकी जानकारी नही मिल रहीं. मिनी मंत्रालय के गलियारे में यह भी सुनने मिलता है कि प्रशासक अविश्यांत पंडा कर्तव्यदक्ष अधिकारी है. मगर उनके मातहत काम करनेवाली यंत्रणा व्यवस्थित नही है.
आरोप लगाया जा रहा है कि बांधकाम विभाग में बडे प्रमाण में अस्तव्यस्त कामकाज है. टेंडर प्रक्रिया क्रियांन्वीत करने वाले अधिकारी और कर्मचारी मनमानी कर अनेक पर अन्याय कर रहे है. यह सब आरोप किए जा रहे हैं. आरोप करने वाले नाम लेकर नही करते.
ओबीसी आरक्षण का मसला है. इसके कारण चुनाव का मुद्दा न्यायप्रविष्ठ है. गट व गणरचना के बारे मेंं स्थिती स्पष्ट नहीं है. अनेक मुद्दो पर जिला परिषद चुनाव प्रलंबित है. वित्त वर्ष खत्म हो रहा है. चुनाव विभाग ने जिप के गट और पंचायत समिती के गण कैसे होगें, इस बारे में खुलासा नहीं किया है. इधर पूर्व पदाधिकारी विकास कार्य ठप होने का आरोप कर रहे हैं. उनका कहना है कि गांव देहात में छोटे मोठे काम भी नहीं हो रहे हैं. यह भी प्रश्न पूछा जा रहा है कि स्थानीय निकायों के चुनाव क्या अब लोकसभा विधानसभा चुनाव के बाद होंगे? जिले के राजनितीक हलकों में यह बात आपस में की जा रही है.
चुनाव होने चाहिए, इसमें दोराय नहीं. फिलहाल यह प्रकरण कोर्ट में है. गत एक साल से वे लगातार जनसंपर्क में है. जनता के प्रश्न प्रशासक के ध्यान में लाकर उसका हल का प्रयास जारी है. चुनाव नहीं है तो काम नहीं रूका है.
-तात्या मेश्राम
पूर्व सभापती जिला परिषद अमरावती