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सांप निकल जाने के बाद लाठी पीट रहे ‘उबाठा’ के स्थानीय नेता

गुढे व बूब सहित दोनों जिला प्रमुख मुंबई जाकर नेताओं से मिले

* हाईकमान ने पूछा ‘तुम्हारा काम ही कहां हैं, कैसे लोगे सीट’
अमरावती/ दि. 19- आगामी लोकसभा चुनाव हेतु अमरावती संसदीय सीट महाविकास आघाडी के तहत शिवसेना उबाठा के हिस्से मेें ही छूटनी चाहिए. ऐसी मांग को लेकर गत रोज पार्टी के पूर्व सांसद अनंत गुढे व टिकट पाने के इच्छुक दिनेश बूब सहित सहसंपर्क प्रमुख सुधीर सूर्यवंशी, जिला प्रमुख सुनील खराटे व श्याम देशमुख एवं महानगर प्रमुख पराग गुडधे ने मुंबई जाकर पार्टी के वरिष्ठ नेता अरविंद सावंत से भेंट की और उन्हें अपनी भावना से अवगत कराया. लेकिन शिवसेना उबाठा के स्थानीय नेताओं की यह कोशिश उस वक्त सांप निकल जाने के बाद लाठी पीटने की तरह साबित हुई. जब पार्टी के नेता अरविंद सावंत ने इन लोगों को यह कहते हुए दो टूक जवाब दे दिया कि पिछले कुछ वर्षो के दौरान आप लोगों का अमरावती संसदीय क्षेत्र में कोई काम ही दिखाई नहीं दे रहा. तो आखिर किस आधार पर महाविकास आघाडी के तहत अमरावती संसदीस सीट को शिवसेना उबाठा द्बारा अपने हिस्से में लिया जाए. शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने अमरावती से मुंबई पहुंचे इन सभी लोगों को मुलाकात हेतु महज एक घंटे के वक्त दिया था. जिसके बाद इन सभी लोगों को खाली हाथ और उल्टे पांव वापिस भी रवाना कर दिया. ऐसी जानकारी पता चली है.
जानकारी के मुताबिक पूर्व सांसद अनंत गुढे के नेतृत्व में मुंबई पहुंचे. इस प्रतिनिधि मंडल ने शिवसेना नेता अरविंद सावंत से कहा कि वर्ष 1991 से अमरावती संसदीय सीट पर शिवसेना का प्रत्याशी चुनाव लडता पाया हैं. ऐसे में यह सीट शिवसेना का मजबूत गढ हैं. अत: भले ही अब राज्य में राजनीति समीकरण बदल गये हो परंतु अमरावती संसदीय क्षेत्र में महाविकास आघाडी के तहत भी शिवसेना का ही दावा बनता है. अत: यह सीट महाविकास आघाडी के तहत शिवसेना उबाठा के लिए छोडी जानी चाहिए. पता चला है कि इस प्रतिनिधि मंडल की सारी बातें सुन लेने के बाद शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने कहा कि पहले की तुलना में अब राजनीतिक स्थितियां काफी हद तक बदल चुकी हैं. ऐेसे में नये सहयोगियों के साथ भी विचार विमर्श करना जरूरी है. इसके अलावा विगत दो तीन वर्षो के दौरान शिवसेना उबाठा के साथ रहनेवाले अमरावती शहर एवं जिले के पदाधिकारियों ने कोई विशेष उल्लेखनीय काम भी नहीं किया हैं. जिसके दम पर शिवसेना उबाठा द्बारा मविआ में अमरावती संसदीय सीट को लेकर सशक्त तौर पर दावा किया जा सके. यह सुनते ही अमरावती से गये शिवसेना उबाठा के पदाधिकारियों के चेहरों पर हवाईयां उडने लगी और वे एक दूसरे का मुंह तांकने लगे. इसी दौरान करीब एक घंटे की मुलाकात का वक्त खत्म हो चुका था. जिसके चलते अमरावती से गये शिवसेना उबाठा के सभी पदाधिकारियों को बेरंग वापिस लौटना पडा.
विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक इस प्रतिनिधि मंडल में शामिल एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने पार्टी के नेता अरविंद सावंत के समक्ष भी उपस्थित किया कि विगत लोकसभा चुनाव में मिली हार और दो ढाई वर्ष पहले शिवसेना में हुई दो फाड के बाद भले ही पार्टी के कुछ पदाधिकारी निस्तेज हुए है. लेकिन अमरावती जिले में शिवसैनिकों की संख्या अच्छी खासी ऐसे में उन सभी शिवसैनिकों एक पूरी ताकत के साथ सक्रिय करने के लिए लोकसभा चुनाव के शानदार मौका हो सकता हैं. ऐसे में यदि यह सीट मविआ के तहत शिवसेना के हिस्सेे में छोडी जाती है तो शिवसेना प्रत्याशी की यहां पर निश्चित रूप से जीत हो सकती हैं. अत: पार्टी के नेताओं ने सीटों के बंटवारे के समय इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए.
बता दें कि लोकसभा चुनाव की तारीखों को लेकर अधिकृत घोषणा हो चुकी हैं और इस समय अमरावती संसदीय क्षेत्र में प्रत्यक्ष मतदान हेतु बमुश्किल डेढ माह का समय शेष हैं. लेकिन अब तक मविआ में यही तय नहीं हो पाया है कि गठबंधन के तहत अमरावती संसदीय सीट किस राजनीतिक दल के हिस्से में रहेगी और उस दल की ओर से प्रत्याशी कौन होगा. जबकि लोकसभा सीट का चुनाव अपने आप में काफी बडा चुनाव होता है. जिसमें जिलेभर के लाखों मतदाता तक अपनी पहुंच बनानी होती हैं. इसके लिए महज सवा डेढ माह का समय काफी कम कहा जा सकता हैं. क्योंकि इतने कम समय में लोकसभा चुनाव की तैयारी ही पूरी नहीं हो सकती. परंतु शिवसेना उबाठा के स्थानीय नेता ऐसे महत्वपूर्ण समय पर ‘1, 2, 3’ से गिनती गिनने की शुरूआत कर रहे हैं. जिसके तहत वे लोग गत रोज मुंबई पहुंचे थे. ऐसे में कहा जासकता है कि शिवसेना उबाठा के स्थानीय नेता सांप निकल जाने के बाद लाठी पीटने का काम कर रहे हैं.

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