संक्रमण का खतरा पहले की तरह बरकरार, सभी को अब ज्यादा संभलकर रहना होगा
अमरावती- लॉकडाउन को लेकर स्थानीय राजनेताओं व व्यापारी संगठनों द्वारा लगातार बनाये जा रहे दबाव और लॉकडाउन के खिलाफ भडक रही जनभावना को देखते हुए जिलाधीश शैलेश नवाल द्वारा 8 मार्च की सुबह 6 बजे तक चलनेवाले लॉकडाउन को 6 मार्च की सुबह 6 बजे शिथिल कर दिया गया. गत रोज इसे लेकर जिलाधीश द्वारा जारी किये गये आदेश के चलते अब कुछ राजनीतिक लोग और व्यापारियों के स्वयंभू नेता खुश हो सकते है कि, जिला प्रशासन उनके सामने झुक गया. लेकिन उन्हेें शायद इस बात का अंदाजा ही नहीं कि, जिला प्रशासन ने ऐसा करते हुए बडी आसानी के साथ जिम्मेदारी की गेंद अब उनके ही पाले में डाल दी है. क्योेंकि लॉकडाउन लगाते समय अमरावती जिले में रोजाना 600 से 700 मरीज पाये जा रहे थे. और इसे समय भी कमोबेश वहीं हालात है. ऐसे में यह माना जा सकता है कि लॉकडाउन की वजह से अमरावती जिले में कम्युनिटी स्प्रेड नहीं फैला और ेचूंकि हालात अब भी वहीं है. अत: अब कम्युनिटी स्प्रेड न फैल पाये, इसकी जिम्मेदारी अमरावती जिले की आम जनता पर है.
बता दें कि, बीते जनवरी व फरवरी माह के दौरान अचानक ही कोरोना संक्रमण की रफ्तार अनियंत्रित हो गयी थी. जिसके चलते अन्य कोई पर्याय सामने न देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा रविवार 21 फरवरी को जनता कर्फ्यू लगाया गया था और 22 फरवरी से 28 फरवरी तक लॉकडाउन लागू किया गया था. जिसे संक्रमितोें की लगातार बढती संख्या को देखते हुए 8 मार्च तक लागू रखा गया है. लेकिन अमरावती के कुछ राजनेताओं व व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा इस लॉकडाउन के खिलाफ विरोध के स्वर मुखर किये गये. साथ ही अधिकांश जनता द्वारा भी लॉकडाउन को लेकर असंतोष व रोष प्रकट किया जाने लगा. ऐसे में जनभावनाओं को देखते हुए जिलाधीश शैलेश नवाल द्वारा शुक्रवार 5 मार्च को एक नया आदेश जारी किया गया. जिसमें 6 मार्च से लॉकडाउन को खत्म कर नये प्रतिबंधात्मक आदेश जारी करने की घोषणा की गई. इस नये आदेश में फर्क केवल इतना है कि, अब जीवनावश्यक वस्तुओं के अलावा सभी तरह के व्यापारी प्रतिष्ठान रोजाना सुबह 9 से दोपहर 4 बजे तक शुरू रखे जा सकेंगे. इस आदेश के अलावा पुराने आदेश में अन्य कोई बदलाव नहीं किया गया है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, इस नये आदेश के चलते कुछ व्यापारी संगठनों द्वारा बाजार खोलने को लेकर उठायी जा रही मांग आंशिक रूप से पूरी हो गयी है.
* परिवार के परिवार और जत्थे के जत्थे आये संक्रमण की चपेट में
यहां इस बात को अनदेखा नहीं किया जा सकता की बीते माह विद्यापीठ, जिला परिषद व महानगर पालिका जैसे विभिन्न विभागों के दर्जनों कर्मचारी एक साथ कोरोना संक्रमण की चपेट में आये. जिसके तहत विगत दो माह के दौरान अमरावती मनपा में करीब 82 अधिकारी व कर्मचारी कोविड संक्रमित पाये गये. इसके साथ ही विद्यापीठ में 45 अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ उनके परिवार के 14 लोग इस तरह कुल 59 लोगों की रिपोर्ट पॉजीटिव आयी. इसके अलावा जिला परिषद सहित अन्य विविध सरकारी महकमों के भी कई अधिकारी व कर्मचारी कोविड पॉजीटिव पाये गये. सबसे उल्लेखनीय यह है कि, इस दौरान कोविड संक्रमित पाये जानेवाले लोगों में कई लोग व्यापार जगत से भी जुडे रहे. विगत दो माह के दौरान कई व्यापारियोें के साथ उनके प्रतिष्ठानोें में काम करनेवाले कर्मचारी भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आये. साथ ही साथ इन लोगों के कई परिजनोें की रिपोर्ट भी पॉजीटिव आयी. यहां इस बात की भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि, विगत दोे-तीन माह से तमाम प्रतिबंधात्मक आदेश जारी रहने के बावजूद कई प्रतिष्ठित परिवारों के यहां आयोजीत विवाह समारोहों में 1200 से 1500 मेहमानों की उपस्थिति रही और ऐसी शादियोें में शामिल होनेवाले सैंकडोें लोग भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आये. जिसके अनेकों उदाहरण दिये जा सकते है. इसका सीधा मतलब है कि जहां-जहां बडे पैमाने पर लोगबाग एक-दूसरे के संपर्क में आये वहां-वहां कोरोना संक्रमितोें की संख्या बढी. ऐसे में अब जब कुछ राजनेताओं व व्यापारी संगठनों द्वारा उठायी गयी आवाज के बाद लॉकडाउन को समय से पहले शिथिल कर दिया गया है, तो अब इन्हीं लोगोें की यह जिम्मेदारी बनती है कि, वे शहर सहित जिले में कहीं पर भी भीडभाड न होने दें और व्यापारी प्रतिष्ठानों व बाजारोें में कोविड प्रतिबंधातमक त्रिसूत्री का कडाई से पालन करवाने हेतु आवश्यक उपाय करने के साथ ही जनजागृति भी करे.
प्रशासन के पास नहीं था और कोई पर्याय
अमरावती जिले में कोरोना संक्रमण की बढती रफ्तार और कोविड संक्रमितों की लगातार बढती संख्या को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा हालात को नियंत्रित करने लॉकडाउन लागू करने का निर्णय लिया था. क्योेंकि उस वक्त प्रशासन के पास इसके अलावा अन्य कोई पर्याय भी नहीं था. इस निर्णय को लेने की वजह से प्रशासन ने लोगों की गालियां खायी और विरोध में बातें भी सुनी. लेकिन इसके बाद जनता की भलाई के लिए प्रशासन अपने फैसले पर अडिग रहा. जिसके लिए जिला प्रशासन का अभिनंदन किया जा सकता है. साथ ही इस दौरान कोविड संक्रमण की चेन को तोडने और अमरावती की जनता को सुरक्षित रखने के साथ-साथ कोविड संक्रमितों को कोविड मुक्त करने हेतु जितने भी प्रयास किये गये, उसके लिए जिलाधीश शैलेश नवाल, जिला शल्य चिकित्सक डॉ. श्यामसुंदर निकम, मनपा आयुक्त प्रशांत रोडे तथा जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दिलीप रणमले की प्रशंसा की जा सकती है. लेकिन यहां इस तथ्य की भी अनदेखी नहीं की जा सकती है कि लॉकडाउन लगाये जाने से पहले और बाद में भी भीडभाडवाली स्थिति में कोई खास फर्क नहीं पडा. ऐसे में कहा जा सकता है कि, हालात को नियंत्रित करने के लिए केवल लॉकडाउन ही एकमात्र और अंतिम पर्याय नहीं है. क्योंकि किसी भी शहर अथवा जिले को लगातार कितने समय तक बंद रखा जाये. इसकी भी अपनी एक सीमा है. ऐसे में लॉकडाउन लागू करने की बजाय कामकाज को जारी रखते हुए त्रिसूत्री नियमों के पालन को एक बेहतरीन विकल्प कहा जा सकता है.