डीएड महाविद्यालय पर लटक रहे ताले
विद्यार्थी नहीं ले रहे प्रवेश, सीटे पडी है रिक्त, शिक्षक भर्ती है बंद
अमरावती /दि.27– कुछ वर्ष पहले तक कक्षा 12 वीं उत्तीर्ण होने के बाद कई विद्यार्थी डीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने हेतु दौडभाग किया करते थे और उस समय प्रवेश क्षमता से कई गुना अधिक आवेदन डीएड महाविद्यालय में प्राप्त हुआ करते थे. परंतु इन दिनों शिक्षक पदों की भर्ती ही नहीं होने तथा सरकारी नीतियों के चलते डीएड में प्रवेश लेने वालों की संख्या काफी हद तक घट गई है. जिले में कुछ वर्ष पहले तक 20 डीएड महाविद्यालय थे, जिसमें से एक-एक कर 10 महाविद्यालय बंद हो गये है और इस समय केवल 10 डीएड महाविद्यालय ही कार्यरत है.
जिले में दो सरकारी व 8 निजी ऐसे 10 डीएड महाविद्यालयों में प्रवेश हेतु 537 सीटें उपलब्ध है. जिन पर प्रवेश हेतु केवल 301 आवेदन ही प्राप्त हुए है और अब भी 236 सीटें रिक्त पडी है. करीब 10-15 साल पहले कक्षा 12 वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अधिकांश युवक शिक्षक की नौकरी हासिल करने का सपना देखा करते थे. जिसके चलते डीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए अच्छी खासी प्रतिस्पर्धा देखी जाती थी. उस समय क्षमता से अधिक आवेदन प्राप्त होने के चलते साल दर साल डीएड कॉलेजों की संख्या भी बढती चली गई. परंतु अब पुरानी पेंशन योजना बंद हो गई है. साथ ही डीएड उत्तीर्ण होने के बाद पात्रता व शिक्षक अभियोग्यता परीक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य कर दिया गया है. चयन होने के बाद 3 साल शिक्षण सेवक के रुप में ही काम करना पडता है. वहीं जिला परिषद महानगरपालिका व नगरपालिका सहित किसी नामांकित संस्था में भर्ती नहीं होने पर निजी संस्था में नियुक्ति के लिए भारी भरकम डोनेशन देना पडता है. नौकरी की गारंटी नहीं रहने तथा सरकारी नीतियों का झटका लगने की वजह से कई डीएड महाविद्यालयों में ताले लटक गये है.
* जिले में 10 डीएड कॉलेज
जिले में कई नामांकित शिक्षा संस्थाओं के कुल 20 डीएड कॉलेज है. जिसमें से इस समय तक आधे यानि 10 कॉलेज बंद हो गये है तथा 10 कॉलेज चल रहे है. जिसमें से दो सरकारी व शेष 8 निजी महाविद्यालय है.
* कुल 537 सीटें, 236 रिक्त
जिले के 10 डीएड कॉलेजों में प्रवेश क्षमता 537 है. जिसमें से केवल 301 सीटों पर ही विद्यार्थियों का प्रवेश हुआ है. ऐसे में 236 सीटें रिक्त पडी है.
* शिक्षक भर्ती की प्रतिक्षा
जिले में आचार संहिता से पहले केवल उर्दू माध्यम के ही पद भरे गये. परंतु पेसा क्षेत्र में मराठी माध्यम के 350 पद रिक्त है और उन पदों पर शिक्षक भर्ती होने की प्रतिक्षा की जा रही है.
* नौकरी नहीं मिलने के चलते रुझान हुआ कम
डीएड का पाठ्यक्रम पूरा करने के बावजूद भी नौकरी मिलने की कोई गारंटी नहीं रहने के चलते कई युवा यह पदवि प्राप्त करने के बाद अन्य स्थानों पर रोजंदारी काम कर रहे है. जिन्हें जिनकी हालत देखते हुए अब धीरे-धीरे डीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या घट रही है. साथ ही पूरी क्षमता के साथ प्रवेश नहीं होने के चलते कई महाविद्यालयों पर अब ताले लटक रहे है.