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लवादा न्यायाधिकरण पर ताले, बोर्ड भी हटा

पुलिस ने कार्यालय में कार्यरत कर्मियों के बयान लेना किया शुरु

* बार असोसिएशन ने उच्चस्तरीय समिति गठित कर गहन जांच की मांग
अमरावती/दि. 15- शहर में चल रहे तथाकथित लवाद न्यायाधिकरण की जांच कर कार्रवाई करने की मांग अमरावती जिला बार असोसिएशन द्वारा जिलाधिकारी पवनीत कौर के पास शुक्रवार को किए जाने के बाद तत्काल जांच के आदेश देते ही यह कथित लवाद कार्यालय शनिवार को बंद दिखाई दिया. कार्यालय पर ताले लगे हुए थे और दर्शनी भाग में लगाया गया फलक भी हटा दिया गया था. वहीं इस प्रकरण की तह तक जाने बार असोसिएशन ने उच्चस्तरीय समिति गठित कर गहन जांच करने की मांग की है.
बता दें कि अमरावती जिला बार असो. के अध्यक्ष शोएब खान के नेतृत्व में वकीलों के प्रतिनिधि मंडल ने शुक्रवार को जिलाधिकारी पवनीत कौर से भेंट कर पंचवटी चौक के पास मोर्शी रोड पर चलने वाले तथाकथित लवाद न्यायाधिकरण की जांच करने की मांग का निवेदन सौंपा था. जिलाधिकारी ने इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल उपविभागीय अधिकारी रणजीत भोसले को जांच के आदेश दिये. वहीं दूसरी तरफ जिला व सत्र न्यायालय (1) में चल रहे एक मामले में भी न्यायाधीश के निर्देेश पर सहायक पुलिस आयुक्त पूनम पाटील भी लवाद न्यायाधिकरण की जांच कर रही हैं. एसीपी पूनम पाटील ने शुक्रवार से इस प्रकरण की जांच शुरु करते हुए लवाद में कार्यरत कर्मचारियों के बयान लेना व पूछताछ करना शुरु किया है. सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार रात 11 बजे तक कर्मचारियों के बयान लिये गए. अब इस कथित लवाद न्यायाधिकरण की जांच शुरु होने से शनिवार को यह कार्यालय बंद दिखाई दिया. दर्शनी भाग में लगाया गया फलक भी हटा दिया गया था. कार्यालय में ताले लगे हुए थे. जिला वकील संघ के अध्यक्ष एड. शोएब खान ने बताया कि इस तथाकथित लवाद न्यायाधिकरण को चलाने वाले सिद्धार्थ शिवनाथ रामटेके को किसी भी प्रकरण में कोई फैसला सुनाने अथवा डिग्री देने का अधिकार नहीं रहने के बावजूद उसने न्यायालय की तरह समांतर काम जारी रखा. एक सरकारी अधिकारी की तरह 8 से 10 दफा गाड़गेनगर थाने में उसके द्वारा शिकायत देने पर मामले भी दर्ज किये गए. जिला न्यायालय ने भी अनेक बार प्रकरण आये हैं. जिन गरीब और मजदूरों को इस न्यायाधिकरण ने आदेश दिये हैं अथवा फैसले की प्रति सौंपी है और उनका जो पैसा खर्च हुआ है, उसे वापस कौन देगा? और न्यायाधिकरण के नाम पर जो पैसा वसुला गया है, उसे जप्त कौन करेगा? इस कारण इस मामले की तह तक जाने के लिए उच्चस्तरीय जांच समिति गठित होनी चाहिए. जिसमें जिलाधिकारी कार्यालय, पुलिस और जिला न्यायालय के वरिष्ठ स्तर के प्रत्येकी दो अधिकारी नियुक्त होना चाहिए और मामले की गहन जांच कर तथाकथित लवाद न्यायाधिकरण के सभी दस्तावेज जप्त होने चाहिए. यह भी देखना चाहिए कि किस कानून के तहत इस न्यायाधिकरण ने फैसले सुनाये और लोगों को डिग्रियां दी.

9 माह में यहां पहुंचे 1007 प्रकरण
बार असोसिएशन के अध्यक्ष एड. शोएब खान ने यह भी बताया कि उनके पास प्राप्त दस्तावेजों से यह पता चलता है कि इस कथित लवाद न्यायाधिकरण में वर्ष 2021 में 9 सितंबर तक 1007 प्रकरण दाखिल हुए हैं और सैकड़ों निर्णय सुनाये गए हैं. इस कारण यह सभी दस्तावेज जप्त होने चाहिए. जिन लोगों को आदेश की डिग्री दी है और पैसे वसुले हैं, उन लोगों को उस डिग्री अथवा फैसले से क्या मिलेगा?

कथित अधिकारी पर दर्ज है दो मामले
जानकारी के मुताबिक तथाकथित लवाद न्यायाधिकरण के सर्वेसर्वा सिद्धार्थ रामटेके के खिलाफ गाड़गेनगर थाने में वर्ष 2021 और वर्ष 2022 में दो मामले दर्ज हुए है. वर्ष 2021 में एक महिला द्वारा दर्ज की गई शिकायत के आधार पर धारा 354, 506 और इस वर्ष 2022 में एक महिला द्वारा की गई शिकायत के आधार पर 354 (अ), 384 के तहत मामला दर्ज है. खुद को सरकारी वकील बताने वाला सिद्धार्थ रामटेके लवाद में आने वाले प्रकरणों को हाइकोर्ट की तरह आदेश देकर निकालता था.

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