लोकसभा व विधानसभा का राजनीतिक आरक्षण रद्द करें
वंचित बहुजन आघाडी ने राष्ट्रपति को भेजा निवेदन
फोटो मतदार से
प्रतिनिधि/दि.२१
अमरावती-लोकसभा व विधानसभा का राजनीतिक आरक्षण बंद करने की मांग को लेकर वंचित बहुजन आघाडी के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को निवेदन भेजा है. निवेदन में बताया गया है कि, भारतीय संविधान में अनुसूचित जाती जनजाति के लिए लोकसभा व विधानसभा में राजनीतिक आरक्षण का अवधि केवल १० वर्षो का रखा गया था. लेकिन देश के सत्तारुढ राजनीतिक दलों ने आरक्षण की समीक्षा न करते हुए केवल वोट पाने के की राजनीति करने के लिए व राजनीतिक लाभ मिल सके इसके लिए अनुसूचित जाती व जनजाती का आरक्षण हर १० वर्षो से बढाया है. भारतीय संविधान के शिल्पी विश्वरत्न डॉ. बाबासाहब आंबेडर के मतों से विसंगत है. वर्ष १९५४ में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने राजनीतिक आरक्षण पर अपना मत व्यक्त किया था. केंद्र में पिछले ६० से ७० वर्षो से कांगेे्रस की सत्ता थी. वहीं बीते ६ वर्षो से मोदी सरकार सत्ता में है. उनकी ओर से अनुसूचित जाती, जनजाती व ओबीसी समाज शैक्षिक व सामाजिक व नौकरी पद्धति का मौलिक आरक्षण दबाने का प्रयास किया जा रहा है. अगले पांच वर्षो में अनुसूचित जाती व जनजाती के आरक्षण को बढोत्तरी न देते हुए यह रद्द किया जाए, ओबीसी, अनुसूचित जाती जनजाती व मौलिक अधिकार रहने वाले शैक्षणिक नौकरी के आरक्षण का कडाई से अमल किया जाए. वहीं लोकसभा व विधानसभा का आरक्षण रद्द करने की मांग की गई है. अन्यथा तीव्र आंदोलन करने की चेतावनी दी गई है. निवेदन सौंपते समय वंचित बहुजन आघाडी के जिलाध्यक्ष डॉ. अलीम पटेल , सिद्धार्थ गायकवाड, सिद्धार्थ दामोदरे, किरण गुडधे, साहबराव नाईक, अनिल फुलझेले, धीरज मेश्राम, फजूल सैय्यद, लता थोरात, सुमित्रा रामटेके, विमल चव्हाण, प्रभा गजभिये, सुनीता वानखडे मौजूद थे